डेली कर्रेंट अफेयर्स
ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से अलग किया
ईरान ने भारत को चाबहार रेल परियोजना से अलग करने की 14 जुलाई को घोषणा की. घोषणा के तहत ईरान इस रेल परियोजना को भारत की आर्थिक सहायता के बिना पूरा करेगा. इसके लिए वह ईरान के राष्ट्रीय विकास निधि से 40 करोड़ डॉलर की धनराशि का उपयोग करेगा.
चाबहार परियोजना: एक दृष्टि
- सन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान की यात्रा की थी जिस दौरान चाबहार समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था. पूरे परियोजना पर करीब 1.6 अरब डॉलर का निवेश होना था.
- इस परियोजना में चाबहार बंदरगाह और इस बंदरगाह से जहेदान के लिए 628 किलोमीटर रेलवे लाइन को पूरा किया जाना था.
- इस परियोजना से भारत के अफगानिस्तान और अन्य मध्य-एशियाई देशों तक एक वैकल्पिक मार्ग मुहैया कराना जाना था. इसके लिए ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय करार हुआ था.
- भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को विकसित करने में अरबों रुपये खर्च किए हैं.
- भारत के लिए चाबहार व्यापारिक के साथ-साथ रणनीतिक तौर पर बेहद महत्वपूर्ण है. यह बंदरगाह चीन की मदद से विकसित किए गए पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से सिर्फ 100 किलोमीटर दूर है. इसलिए भारत के लिहाज से ये काफी महत्वपूर्ण है.
- अमेरिका के दबाव की वजह से भारत के रिश्ते ईरान के साथ पूर्ववत नहीं हैं. अमेरिका ने चाबहार बंदरगाह के लिए राहत दे रखी है. वैसे भी भारत ने पहले से ही ईरान से तेल का आयात बहुत कम कर दिया है.
चाबहार रेल परियोजना
चाबहार रेल परियोजना चाबहार पोर्ट से जहेदान के बीच बनाई जानी है. भारत और ईरान के बीच हुए समझौते के तहत भारत की सरकारी रेल कंपनी भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (IRCON) इस परियोजना को पूरा करने वाली थी.
इस प्रोजेक्ट के लिए IRCON के इंजीनियर ईरान गए थे लेकिन अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत ने रेल परियोजना पर काम को शुरू नहीं किया.
चीन और ईरान के बीच नये समीकरण की उम्मीद
अमेरिका की एक रिपोर्ट के अनुसार पश्चिम एशिया में अमेरिका के साथ चल विवाद के कारण चीन और ईरान जल्द ही एक बड़ा समझौता कर सकते हैं. इसके अनुसार चीन ईरान से बेहद सस्ती दरों पर तेल खरीदेगा और इसके बदले में पेइचिंग ईरान में 400 अरब डॉलर का निवेश करने जा रहा है. चीन ईरान की सुरक्षा के लिए घातक आधुनिक हथियार देगा. रिपोर्ट के अनुसार ईरान और चीन के बीच 25 साल के रणनीतिक समझौते पर बातचीत पूरी हो गई है
इसरो प्रमुख के. सिवन को 2020 के ‘वॉन कर्मन अवॉर्ड’ से सम्मानित किया जायेगा
इसरो के प्रमुख डॉ के सिवन को 2020 के वॉन कर्मन अवॉर्ड (Von Karman Award) के लिए चुना गया है. उन्हें मार्च 2021 में पेरिस में इस पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.
वॉन कर्मन अवॉर्ड: एक दृष्टि
- यह पुरस्कार इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ एस्ट्रोनॉटिक्स (IAA) के द्वारा प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार अकादमी का सर्वोच्च गौरव है. इसकी शुरुआत 1982 में की गयी थी.
- इसका नामकरण थियोडोर वॉन कर्मन के नाम पर किया गया है, जो एक एयरोस्पेस इंजीनियर थे और विशेष रूप से वायुगतिकी (aerodynamics) में अपनी प्रमुख प्रगति के लिए जाने जाते थे. IAA की स्थापना भी वॉन कर्मन द्वारा की गई थी. जो संगठन के पहले अध्यक्ष भी थे.
- यह पुरस्कार राष्ट्रीयता या जेंडर की सीमा के बिना विज्ञान की किसी भी शाखा में आजीवन उपलब्धियों के लिए हर साल दिया जाता है. यह पुरस्कार अकादमी के संस्थापक और प्रथम अध्यक्ष की स्मृति को सम्मानित करता है.
- यह पुरस्कार पाने वाले पहले भारतीय प्रो. उडुपी रामचंद्र राव थे. उन्हें 2005 में इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके बाद 2007 में इसरो वैज्ञानिक डॉ. के. कस्तूरीरंगन को इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने अपने दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल की
पोलैंड के राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा ने पांच साल के अपने दूसरे कार्यकाल के लिए जीत हासिल की. रूढ़िवादी डूडा ने हाल ही में संपन्न हुए चुनाव में वारसा के उदारवादी महापौर रफाल ट्रजासकोव्स्की को हराया है.
इस चुनाव में डूडा को 51.21 प्रतिशत वोट मिले हैं, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी रफाल ट्रजासकोव्स्की को 48.79 प्रतिशत वोट मिले हैं. इससे पहले आंद्रेजे डूडा ने वर्ष 2015 में पोलैंड का राष्ट्रपति पद का चुनाव जीता था.
अमेरिका लगातार दूसरे साल भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा
अमेरिका लगातार दूसरे साल 2019-20 में भी भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझेदार बना रहा. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अमेरिका और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार 88.75 अरब अमेरिकी डॉलर रहा, जो 2018-19 में 87.96 अरब डॉलर था.
भारत-अमेरिका व्यापार अधिशेष भारत के पक्ष में
अमेरिका उन चुनिंदा देशों में एक है, जिनके साथ भारत का व्यापार अधिशेष है. आंकड़ों के अनुसार 2019-20 में दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर बढ़कर 17.42 अरब डॉलर भारत के पक्ष में रहा. 2018-19 में अधिशेष 16.86 अरब डॉलर था.
भारत और चीन द्विपक्षीय व्यापार
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2019-20 में घटकर 81.87 अरब डॉलर रह गया, जो 2018-19 में 87.08 अरब डॉलर था. दोनों देशों के बीच व्यापार अंतर भी 53.57 अरब डॉलर से घटकर 48.66 अरब डॉलर रह गया.
अमेरिका 2018-19 में चीन को पीछे छोड़कर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बन गया था. आंकड़ों के मुताबिक, चीन 2013-14 से 2017-18 तक भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था. चीन से पहले, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) देश का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
भारत-यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर बैठक
भारत-यूरोपीय संघ की 15वीं शिखर बैठक 15 जुलाई को वर्चुअल संपर्क के जरिए आयोजित की जाएगी. बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल और यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष उर्सला वॉन डर लेयेन संयुक्त रूप से करेंगे. बैठक में कोविड-19 महामारी, विदेश व्यापार पर इसके असर, लोगों की आवाजाही और महामारी से निपटने के उपायों पर चर्चा होने की संभावना है. भारत और यूरोपी संघ ने सन् 2000 में शिखर स्तर की वार्ता संबंधी प्रणाली विधिवत कायम की थी. इस वर्ष इस प्रणाली को बीस साल पूरे हो गये हैं. पिछली शिखर वार्ता 2017 में हुई थी.
15वें वित्त आयोग से जन स्वास्थ्य के खर्च में बढ़ोतरी का आग्रह
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग से जन स्वास्थ्य के खर्च में बढ़ोतरी करने का आग्रह किया है. कोविड-19 महामारी के प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वित्तीय आवश्यकताओं में संशोधन करते हुए इसे 4 लाख 90 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 6 लाख 4 हजार करोड़ रुपये कर दिया है. केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने 2025 तक जन स्वास्थ्य खर्च को लगातार बढ़ाते हुए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5 प्रतिशत के बराबर करने के सरकार के लक्ष्य के बारे में बताया.
नाबार्ड ने कर्नाटक में जल विभाजन परियोजनाओं के अनुदान को मंजूरी दी
कर्नाटक में नाबार्ड ने 298 जल विभाजन परियोजनाओं के लिए करीब 222 करोड़ रुपये के अनुदान को मंजूरी दी है. इससे 66500 परिवारों और तीन लाख हैक्टेयर भूमि को लाभ पहुंचेगा. इन परियोजनाओं से फसलों की उत्पादकता, मृदा और जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा. ग्रामीण क्षेत्रों में कोविड से प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के उद्देश्य से नाबार्ड ने राज्य के सहकारिता और ग्रामीण क्षेत्रीय बैंको को 22 अरब रुपये की विशेष सहायता दी है.