स्‍वदेश में विकसित पहली न्‍यूमोकोक्‍कल पॉलीसैकैराइड कंज्‍युगेट वैक्‍सीन को मंजूरी

भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने स्‍वदेश में विकसित पहली ‘न्‍यूमोकोक्‍कल पॉलीसैकैराइड कंज्‍युगेट’ (Pneumococcal Polysaccharide Conjugate) वैक्‍सीन को मंजूरी दे दी है. यह वैक्‍सीन शिशुओं में स्‍ट्रेप्‍टोकोक्‍कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाती है. यह वैक्‍सीन मांसपेशियों में इंजेक्‍शन के जरिए दी जाती है.

निमोनिया के उपचार के लिए स्‍वदेश विकसित पहली वैक्‍सीन

निमोनिया के उपचार के लिए स्‍वदेश में विकसित यह पहली वैक्‍सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्‍सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्‍योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. स्वदेशी वैक्‍सीन पर इन वैक्‍सीन से कम लागत आएगी.

भारतीय दवा नियामक ने जुलाई में सीरम इंस्टीट्यूट को निमोकोकल पॉलीसैकेराइड कांजुगेट वैक्सीन के लिए मार्केट अप्रूवल दे दिया था.

यह वैक्‍सीन पुणे के भारतीय सीरम संस्‍थान (Serum Institute of India) ने विकसित की है. इस संस्‍थान को वैक्‍सीन के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई थी जो अब सम्‍पन्‍न हो गए हैं. कंपनी ने गाम्बिया में भी इसके परीक्षण किए हैं. उसके बाद कंपनी ने वैक्‍सीन बनाने की अनुमति के लिए आवेदन किया था.

एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत

निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.