काकरापार परमाणु बिजली संयंत्र के तीसरे रिएक्‍टर की शुरूआत

काकरापार परमाणु बिजली संयंत्र के तीसरे रिएक्‍टर (KAPP-3) की शुरूआत 22 जुलाई को हुई. ऊर्जा संयंत्र के इस रिएक्टर की क्षमता 700 मेगावाट की है और यह गुजरात में स्थित है. घरेलू डिजाइन पर आधारित इस रिएक्टर का निर्माण मेक इन इंडिया पहल के तहत किया गया है. यह देश का सबसे बड़ा रिएक्टर है.

KAPP-3 मार्क-4 टाइप कैटिगरी का उपकरण है. जो प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (PHWR) डिजाइन का बेहतरीन नमूना है. यह रिएक्टर बेहतरीन सेफ्टी फीचर्स से लैस है. यह रिएक्टर स्टीम जनेरेटर से लैस है, जिसका वजन करीब 215 टन है. अप्रैल 2019 में वर्ल्ड एसोसिएशन ऑफ न्यूक्लियर ऑपरेशंस (WANO) ने KAPP-3 का प्री-स्टार्टअप रिव्यू शुरू किया था.

भारत के पास न्यूक्लियर पावर तकनीक

KAPP-3 की यह उपलब्धि काफी बड़ी मानी जा रही है. इसके परिचालन में आने के बाद भारत उन देशों की कतार में खड़ा हो गया है जिनके पास न्यूक्लियर पावर तकनीक है.

भारत ने त्रिस्तरीय न्यूक्लियर प्रोग्राम का विकास किया है. इसने क्लोज्ड फ्यूल साइकल पर आधारित एक तीन चरणों वाला परमाणु कार्यक्रम विकसित किया है जहां एक चरण में इस्तेमाल हुए ईंधन को फिर से प्रोसेस करके अगले चरण के लिए ईंधन बनाया जाता है.

काकरापार एटोमिक पावर स्टेशन: एक दृष्टि

  • काकरापार एटोमिक पावर स्टेशन (KAPS) गुजरात के सूरत में ताप्ती नदी के किनारे स्थित है. इस प्लांट में तीसरे रिएक्‍टर (KAPP-3) की शुरूआत 22 जुलाई को की गयी.
  • पूर्णत: भारत में निर्मित 700 मेगवाट वाले इस प्लांट का विकास और ऑपरेशन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) ने किया है.
  • इस प्लांट में 220 मेगावाट के दो और रिएक्‍टर KAPP-1 और KAPP-2 भी हैं. KAPP-1 की शुरुआत 1993 और KAPP-1 की शुरुआत 1995 में हुई थी. KAPP-3 की शुरुआत के बाद अब KAPP-4 के भी जल्द ही शुरू होने की उम्मीद है.