प्रधानमंत्री ने लद्दाख की यात्रा कर मौजूदा रक्षा तैयारियों का जायजा लिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 जुलाई को लद्दाख की यात्रा कर मौजूदा रक्षा तैयारियों का जायजा लिया. उन्होंने लेह में सेना, वायुसेना और ITBP के जवानों को संबोधित किया. इस दौरे में उनके साथ प्रमुख रक्षा अध्‍यक्ष (CDS) जनरल बिपिन रावत और सेना अध्‍यक्ष मनोज मुकुन्‍द नरवणे भी थे.

चीन के साथ तनाव के बीच निमू में अग्रिम चौकी पर मौजूद वरिष्‍ठ अधिकारियों ने प्रधानमंत्री को मौजूदा स्थिति की जानकारी दी. करीब 11 हजार फुट की उंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम क्षेत्रों में शामिल है. यह क्षेत्र जन्‍सकार रेंज से घिरा है और सिन्‍धु नदी के तट पर है. प्रधानमंत्री ने एक बार फिर गलवान घाटी में बहादुर शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

रिनपोछे की चर्चा: एक दृष्टि

  • प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में बकुला रिनपोछे की चर्चा की. उन्होंने कहा कि लद्दाख ने कुशल बकुला रिनपोछे जैसे महान राष्ट्रभक्त देश को दिये हैं.
  • 19वें कुशक बकुला रिनपोछे कुशक बकुला रिनपोछे के अवतार माने जाते हैं. उनका जन्म 19 मई, 1917 को लेह (लद्दाख) में हुआ था. वे लद्दाख के सर्वाधिक प्रसिद्ध लामाओं में से एक थे.
  • रिनपोछे भारत के अन्तर्राष्ट्रीय राजनयिक भी थे. उन्होने मंगोलिया एवं रूस में बौद्ध धर्म के पुनरुत्थान के लिये उल्लेखनीय योगदान दिया था.
  • 1922 में 13वें दलाई लामा ने उन्हें 19वाँ कुशक बकुला घोषित किया. तिब्बत की राजधानी ल्हासा के द्रेपुंग विश्वविद्यालय में उन्होंने 14 वर्ष तक बौद्ध दर्शन का अध्ययन किया था.
  • 1947-48 में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर पर आक्रमण कर दिया. श्री रिम्पोछे ने भारतीय सेना के साथ मिलकर इसे विफल किया और लद्दाख को बचा लिया था.