डेली कर्रेंट अफेयर्स
T-20 वर्ल्ड कप-2021 टूर्नमेंट भारत में खेला जाएगा
ICC (International Cricket Council) ने T-20 वर्ल्ड कप-2021 टूर्नमेंट भारत में और T-20 वर्ल्ड कप-2020 टूर्नामैंट ऑस्ट्रेलिया में कराये जाने की पुष्टि की है. इस मामले में फैसला भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) और क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया (CA) के प्रमुखों के साथ हुई अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की 7 अगस्त को हुई बैठक में लिया गया है.
भारत में T-20 वर्ल्ड कप-2021 पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही होगा. इस प्रकार 2021 का टी-20 वर्ल्ड कप और 2023 वनडे वर्ल्ड कप भारत में आयोजित किया जायेगा. T-20 वर्ल्ड कप-2021 अक्टूबर-नवंबर में खेला जाएगा. टूर्नमेंट का फाइनल 14 नवंबर को होगा.
T-20 वर्ल्ड कप-2020 टूर्नामैंट कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी के कारण स्थगित कर दिया गया था जो अब 2022 में ऑस्ट्रेलिया में होगा. यह टूर्नामैंट अक्टूबर-नवंबर में होगा. उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर 2020 से ऑस्ट्रेलिया में इसका आयोजन किया जाना था लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था.
ICC ने महिला वनडे वर्ल्ड कप 2021 को स्थगित कर दिया है. अब यह टूर्नमेंट 2022 में 6 फरवरी से 7 मार्च तक न्यूजीलैंड में ही खेला जाएगा.
तनावग्रस्त लोन की रीस्ट्रक्चरिंग के लिए केवी कामत समिति का गठन किया गया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने तनावग्रस्त लोन (stressed assets) को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग के लिए एक एक्सपर्ट समिति का गठन किया है. केवी कामत को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
यह समिति लोन रीकास्ट विंडो पर RBI को सुझाव देगी और वित्तीय शर्तों और किसी खास सेक्टर के लिए खास मानक पर अपनी सिफारिश देगी. समिति की सिफारिश पर विचार करने के बाद RBI इस लोन रीकास्ट विंडो पर फाइनल नोटिफिकेशन 30 दिनों के अंदर जारी करेगा.
RBI ने मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए 6 अगस्त को बैंको को stressed assets को बिना NPA घोषित किए, उसकी रीस्ट्रक्चरिंग करने की सुविधा दी थी. बैंक इस सुविधा का इस्तेमाल 31 दिसंबर 2020 तक कभी भी कर सकेंगे.
केवी कामत समिति के सदस्य
केवी कामत की अध्यक्षता वाली इस कमिटी में एशियन डेवलपमेंट बैंक के वाइस प्रेसीडेंट दिवाकर गुप्ता, कैनरा बैंक के चेयरमैन टीएन मनोहरन और इंडियन बैंक एसोसिएशन के सीईओ अश्विन पारेख भी होंगे. अश्विन पारेख इस समिति के सेक्रेटरी होंगे.
अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर संगठन के सत्र का फ्रांस में आयोजन
अंतरराष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर संगठन (ITER) के सत्र का आयोजन फ्रांस में हाल ही में किया गया था. इस संगठन के सत्र के अवसर पर फ्रांस में एक भव्य आयोजन किया गया था. इस आयोजन का उद्घाटन फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने किया था. इस सत्र में दुनिया भर के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने हिस्सा लिया था.
क्या है ITER?
- ITER, International Thermonuclear Experimental Reactor का संक्षिप्त रूप है. इसका उद्देश्य व्यावसायिक उपयोग के लिए फ्यूजन (संलयन) से ऊर्जा तैयार करने की संभावना तलाशना है.
- यह ऊर्जा की कमी की समस्या से निबटने के लिए भारत सहित विश्व के कई राष्ट्रों द्वारा चलाया जा रहा एक अनुसंधान परियोजना है.
- यह अनुसंधान अन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के सहयोग से ‘संलयन नाभिकीय प्रक्रिया’ पर आधारित है. वर्ष 2000 में इस परियोजना की कुल लागत 4.57 अरब यूरो आंकी गयी थी.
- यह हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर आधारित नाभिकीय परियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया गया है. इसमें नाभिकीय संलयन से उसी प्रकार से ऊर्जा मिलेगी जैसे पृथ्वी को सूर्य या अन्य तारों से मिलती है.
- ITER परियोजना के सदस्य देश: इस परियोजना के भागीदार यूरोपियन यूनियन, जापान, चीन, रूस, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका और अमेरिका हैं. भारत आधिकारिक रूप से इस परियोजना में 6 दिसम्बर, 2005 को शामिल हुआ था.
8 अगस्त 2020: ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की 78वीं वर्षगांठ
8 अगस्त 2020 को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (अगस्त क्रांति दिवस) की 78वीं वर्षगांठ मनाई गयी. आज से 78 साल पहले 1942 में आज ही के दिन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने बंबई अधिवेशन में ‘भारत छोड़ो प्रस्ताव’ को मंजूरी दी थी, इससे स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए एक बड़े आंदोलन का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
8 अगस्त 1942 को महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन खत्म करने का बिगुल बजाया था. इसकी नींव मुंबई के गोवलिआ टैंक, यानि की अगस्त क्रांति मैदान में रखी गयी थी. क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद गांधी जी ने मुंबई में गोवालिया टैंक मैदान में अपने भाषण में ‘करो या मरो’ का आह्वान किया था.
भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा के एक दिन बाद ही महात्मा गांधी और अन्य कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था. बड़े नेताओं की गिरफ्तारी के दौरान जयप्रकाश नारायण और राममनोहर लोहिया जैसे दूसरे पंक्ति के नेताओं ने आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को अहमदनगर किले में कैद किया गया था
भारत छोड़ो आन्दोलन में महाराष्ट्र के अहमदनगर किले की विशेष भूमिका रही है. भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बारह प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को इसी किले में कैद कर रखा गया, जिनमें पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल थे. यहीं पर उन्होनें अपना लोकप्रिय ‘द डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ ग्रंथ लिखा. सन 2003 में, भारतीय पुरातत्वशास्त्र सर्वेक्षण ने अहमदनगर किले को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया.
गांधीजी को आगा खान पॅलेस में रखा गया था
भारत छोड़ो आन्दोलन का आरम्भ मुंबई में करने के पश्चात महात्मा गांधीजी को हिरासत में लेकर पुणे के आगा खान पॅलेस में रखा गया. उनके साथ उनकी पत्नी कस्तुरबा तथा उनके नीजी सचिव महादेव देसाई भी थे. इस दौरान कस्तुरबा तथा देसाई का यहीं पर देहान्त हुआ, उनकी समाधियां आगा खान पॅलेस में स्थित है.