डेली कर्रेंट अफेयर्स
रक्षा मंत्री की रूस यात्रा, शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 3-5 सितम्बर को रूस की यात्रा पर थे. वे रूस के रक्षामंत्री शर्गेई शोइगु के निमंत्रण पर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक हिस्सा लेने के प्रयोजना से गये थे. SCO के रक्षा मंत्रियों की बैठक 4 सितम्बर को रूस की राजधानी मॉस्को में आयोजित की गयी थी.
इस बैठक में आतंकवाद और उग्रवाद जैसी क्षेत्रीय रक्षा चुनौतियों से निपटने के उपायों पर मुख्य रूप से चर्चा हुई. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने SCO के इस बैठक में भारत की रक्षा और सुरक्षा जरुरतों के अनुरुप ठोस सहायता उपलब्ध कराने पर रुस की सराहना की.
SCO की बैठक से अलग रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और चीन के रक्षामंत्री जनरल वेई फेंग ने भारत चीन सीमा की घटनाओं और दोनों देशों के संबंधों पर विस्तार से बातचीत की.
श्री सिंह ने रुस के रक्षा मंत्री जनरल सर्गेई शोइगु से मुलाकात की. दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में परस्पर सहयोग के व्यापक क्षेत्रों पर चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने भारत में एके-47 203 राइफलों के विनिर्माण के लिए भारत-रुस संयुक्त उपक्रम बनाने की चर्चा के अग्रिम चरण में पहुंचने का स्वागत किया. इस संयुक्त उपक्रम में प्रमुख भागीदारी आयुध निर्माणी बोर्ड की होगी. इन राइफलों का निर्माण उत्तर प्रदेश के कोनवा आयुध कारखाने में किया जाएगा.
रक्षा मंत्री SCO की बैठक के अलावा सामूहिक रक्षा समझौता संगठन (CSTO) और पूर्व सोवियत संघ के देशों के संगठन (CIS) की बैठक में भी हिस्सा लिया. वे रुसी संघ के विजय दिवस की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित बैठक में भी हिस्सा लिया.
शंघाई सहयोग संगठन (SCO): एक दृष्टि
- शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation) यूरेशिया का राजनीतिक आर्थिक, और सैनिक संगठन है. इसकी स्थापना 2001 में शंघाई में चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के नेताओं ने मिलकर की थी.
- इस समय चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शंघाई सहयोग संगठन के सदस्य हैं.
- 24 जून 2016 को अस्ताना में आयोजित शिखर सम्मेलन में भारत और पाकिस्तान को भी औपचारिक तौर पर SCO का पूर्णकालिक सदस्य बनाया गया था.
भारत और रूस के नौसेना के बीच समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ का आयोजन किया गया
भारत और रूस के नौसेना के बीच 4 से 5 सितंबर तक समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ का आयोजन किया गया. इसका आयोजन मलक्का जलडमरुमध्य (बंगाल की खाड़ी) में किया गया. यह INDRA NAVY का 11वां संस्करण था.
इस युद्ध-अभ्यास का उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच आपसी ताल-मेल और रक्षा सहयोग को बढ़ावा देना तथा समुद्री सुरक्षा के लिए आपसी समझ को विकसित करना था.
समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’
समुद्री अभ्यास ‘INDRA NAVY’ भारत और रूस के बीच एक द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास है. इसका आयोजन प्रत्येक दो वर्ष में किया जाता है. समुद्री अभ्यास “INDRA NAVY” दोनों नौसेनाओं के बीच दीर्घकालिक रणनीतिक संबंध का प्रतीक है.
इंद्र नौसेना अभ्यास की शुरुआत वर्ष 2003 में हुई थी. भारतीय वायु सेना ने 2014 में रूसी वायु सेना के साथ अभ्यास ‘एविया इंद्र’ में भाग लिया था. 2017 में पहली बार त्रि-सेवा अभ्यास का आयोजन किया गया था.
जर्मनी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्लब में शामिल हुआ
जर्मनी, हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्लब में शामिल हो गया है. व्यापार मार्गों को आक्रामक चीन से सुरक्षित रखने के लिए यह कदम उठाया गया है. जर्मनी ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए अपनी रणनीति औपचारिक रूप से अपनायी है और इस संबंध में 40 पृष्ठों के दिशा-निर्देशों का प्रारूप तैयार किया है.
फ्रांस के बाद हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए औपचारिक रणनीति तय करने वाला जर्मनी दूसरा देश बन गया है. इस रणनीति से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था को दिशा देने में जर्मनी सक्रिय योगदान कर सकेगा.
हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) क्षेत्र क्या है?
- हिंद यानि हिंद महासागर (Indian Ocean) और प्रशांत (Pacific) यानी प्रशांत महासागर के कुछ भागों को मिलाकर जो समुद्र का एक हिस्सा बनता है उसे हिंद प्रशांत क्षेत्र कहते हैं.
- अमेरिका अपनी वैश्विक स्थिति को पुनर्जीवित करने के लिये इस क्षेत्र को अपनी भव्य रणनीति का एक हिस्सा मानता है. अमेरिका के इस रणनीति को चीन द्वारा चुनौती दी जा रही है.
- हिंद-प्रशांत क्षेत्र सामरिक रूप से महत्त्वपूर्ण है. अमेरिका इस क्षेत्र में वृहद् भारत-अमेरिकी सहयोग की बात कर रहा है. इस क्षेत्र में मुक्त व्यापार, आवाजाही की आज़ादी और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिये उपयुक्त ढाँचा बनाना इस रणनीति के मुख्य भाग हैं.
- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रोकने के लिए भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को ‘हिंद-प्रशांत रणनीति’ शामिल करना चाहता है.
ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक
ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की ऑनलाइन बैठक 4 सितम्बर को आयोजित की गयी. बैठक में सभी सदस्य देशों- ब्राज़ील, रुस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका ने हिस्सा लिया. विदेश मंत्री एस जयशंकार ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. बैठक की अध्यक्षता रुस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने की.
बैठक में ब्राज़ील के विदेश मंत्री एर्नेस्टो अराउजो, चीन के विदेश मंत्री वांग यी और दक्षिण अफ्रीका के विदेश मंत्री ग्रेस नालेदी पैंडोर भी मौजूद थे.
बैठक में ब्रिक्स देशों ने एक संयुक्त घोषणापत्र में कहा कि सदस्य देश अंतरराष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र का सम्मान करते हुए आतंकवाद की रोकथाम और इससे मुकाबले के लिए वैश्विक प्रयासों में अपना योगदान जारी रखेंगे क्योंकि आतंकवाद को रोकना देश का प्रमुख उत्तरदायित्व होता है.
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए समूह के सभी पाँच देशों के बीच सहयोग बढ़ाने की मांग की. विदेश मंत्री एस जयशंकार ने इस बात पर बल दिया कि सदस्य देशों को आतंकवाद के ख़तरे से निपटने के लिए सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता है.
चीन और रुस ने अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में ब्राज़ील, भारत और दक्षिण अफ्रीका की भूमिका की सराहना की और संयुक्त राष्ट्र में व्यापक भूमिका की उनकी आकांक्षा के प्रति समर्थन व्यक्त किया.
जापान, आसियान में स्थापित करने की इच्छुक जापानी कम्पनियों को सब्सिडी देगी
जापान सरकार चीन छोड़कर अपना विनिर्माण कारोबार भारत, बंगलादेश और दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों यानी आसियान में स्थापित करने की इच्छुक जापानी कम्पनियों को सब्सिडी देगी.
चीन से कोविड-19 की शुरुआत होने के बाद वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में आई बाधा को देखते हुए जापान सरकार ने यह निर्णय लिया है. अब कई देश चीन छोड़ने अथवा व्यापार या खरीदारी के मामले में चीन पर अपनी निर्भरता कम करने पर विचार कर रहे हैं.
जापान भी चिकित्सा और इलेक्ट्रिक उपकरणों की आपूर्ति के लिए किसी देश विशेष पर निर्भर न रहकर अपनी आपूर्ति शृंखला का विकेंद्रीकरण करना चाहता है.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ईरान की यात्रा पर
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ईरान की राजधानी तेहरान में हैं. उनहोंने ईरान के रक्षा मंत्री ब्रिगेडियर जनरल अमीर हाथामी से द्विपक्षीय रक्षा संबंधों पर विचार-विमर्श किया. दोनों नेताओं ने भारत और ईरान के बरसों पुराने सांस्कृतिक, भाषाई और सामाजिक संबंधों पर जोर दिया. श्री राजनाथ सिंह रूस की तीन दिन की यात्रा संपन्न करने के बाद तेहरान गये हैं. रूस में उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था.
कारोबारी सुगमता मामले में राज्यों की रैंकिंग जारी
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कारोबारी सुगमता (ease of doing business) मामले में राज्यों की रैंकिंग 5 सितम्बर को जारी की. यह कारोबारी सुगमता रैंकिंग का चौथा संस्करण था. इस रैंकिंग आंध्रप्रदेश प्रथम, उत्तरप्रदेश दूसरे और तेलंगाना तीसरे स्थान पर रहे.
अमरीकी ओपन टेनिस
अमरीकी ओपन टेनिस प्रतियोगिता न्यूयार्क में खेला जा रहा है. इस प्रतियोगिता के पुरुषों डबल्स वर्ग में भारत के रोहन बोपन्ना और कनाडा के डेनिस शापावलोफ की जोड़ी ने जर्मनी के केविन क्रेवेज़ और एंड्रियस माइल्स की जोड़ी को हराकर फाइनल में पहुंच गई है. सुमित नागल और दिविज़ शरण के बाहर हो जाने के बाद अब इस टूर्नामेंट में बोपन्ना ही अकेले भारतीय हैं.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर राज्यपालों का सम्मेलन
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी 7 सितंबर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) पर राज्यपालों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करेंगे. इस सम्मेलन का विषय ‘उच्च शिक्षा के बदलाव में NEP-2020 की भूमिका’ है. इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है. राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है, जिसे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के 34 वर्षों के बाद घोषित किया गया है.
थल सेनाध्यक्ष ने लेह की यात्रा की
थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने लेह की यात्रा की. वे भारत-चीन सीमा से लगे वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति का जायजा लेने के लिए अग्रिम इलाकों में गए. उन्होंने अधिक ऊंचाई वाले दुर्गम सीमावर्ती इलाकों में तैनात सैनिकों और स्थानीय सैन्य कमांडरों से बातचीत की.
नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान की स्थापना
जनजातीय कार्य मंत्रालय ने भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) परिसर नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान खोलने के लिए IIPA के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. प्रस्तावित राष्ट्रीय संस्थान देश भर के प्रतिष्ठित सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सहयोग से गुणवत्ता वाले जनजातीय अनुसंधान में शामिल हो जाएगा. इस समझौते पर जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में हस्ताक्षर किए गए.