भारतीय चिकित्सा परिषद का अस्तित्व समाप्त, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का संचालन शुरू

सरकार ने भारतीय चिकित्सा परिषद (Medical Council of India) का अस्तित्व समाप्त कर दिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से 24 सितम्बर को जारी एक अधिसूचना में यह जानकारी दी गई है. MCI के स्थान पर अब राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) को अस्तित्व में लाया गया है जिसने 25 सितम्बर से संचालन शुरू कर दिया है.

भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) का गठन 1934 में किया गया था. MCI के पदाधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों और मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने से जुड़े मामलों की अपारदर्शी जांच के बीच उच्चतम न्यायालय ने मई 2016 में सरकार को नया कानून आने तक MCI के सभी संवैधानिक कार्यों को देखने के लिए एक समिति की स्थापना करने का निर्देश दिया था.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC): एक दृष्टि

राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द ने 8 अगस्त 2019 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) कानून 2019 को मंजूरी प्रदान की थी. यह कानून चिकित्सा शिक्षा, पेशे और संस्थानों से जुड़े सभी पहलुओं के विकास और नियमन के लिए MCI की जगह NMC की स्थापना की बात कहता है. राष्ट्रपति ने 2018 में MCI को भंग कर दिया था.

NMC कानून ने स्नातक और स्नातकोत्तर चिकित्सा संस्थानों में भर्ती होने के लिए राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा (NEET) अनिवार्य कर दी. NMC कानून के अनुसार आयोग में एक अध्यक्ष, 10 पदेन सदस्य और 22 अंशकालिक सदस्य होंगे.

प्रोफेसर सुरेश चंद्र शर्मा NMC के पहले अध्यक्ष

प्रोफेसर सुरेश चंद्र शर्मा को NMC का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है. वे NMC के पहले अध्यक्ष हैं. कैबिनेट की नियुक्ति कमेटी ने शर्मा की नियुक्ति तीन वर्ष या 70 वर्ष की आयु तक की अवधि के लिए करने को मंजूरी दी थी. इनके अलावा मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के बोर्ड आफ गवर्नर्स में महासचिव राकेश कुमार वत्स को समान अवधि के लिए आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है.