नीतीश कुमार ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की

नीतीश कुमार ने 16 नवम्बर को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की. राजभवन में आयोजित समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी. उन्होंने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की है.

शपथ ग्रहण समारोह में नीतीश कुमार के साथ कुल 15 नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली. इसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) से 7, मुख्यमंत्री समेत वाली जनता दल U (JDU) से 6 और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा (HAM) व विकासशील इंसान पार्टी (VIP) से एक-एक नवनिर्वाचित सदस्यों ने शपथ ली.

बहुमत के लिए 122 सदस्यों की जरूरत

243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा के लिए हाल ही में चुनाव कराये गये थे. राज्य विधानसभा या लोकसभा में बहुमत के लिए आधे से अधिक निर्वाचित सदस्यों की जरूरत होती है. इस प्रकार यहाँ सरकार बनाने के लिए 122 या इससे अधिक सदस्यों की जरूरत थी.

इस चुनाव में राष्ट्रीय लोकतान्त्रिक गठवंधन (NDA) को 125 सीटें मिलीं थीं. NDA के घटक दलों में नीतीश कुमार की अगुवाई वाली JDU को 43 सीटें मिलीं जबकि BJP को 74 सीट हासिल हुई थी. दो अन्य घटक दलों VIP और HAM को 4-4 सीटें प्राप्त हुई. इस चुनाव में 75 सीटें जीत कर राष्ट्रीय जनता दल सबसे बड़ी पार्टी रही.

तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को उप-मुख्यमंत्री का पद

BJP ने कटिहार से निर्वाचित विधायक तारकिशोर प्रसाद को विधानमंडल दल का नेता और बेतिया से निर्वाचित विधायक रेणु देवी को विधानमंडल दल का उप-नेता चुना है. इन्हें राज्य में उप-मुख्यमंत्री का पद दिया गया है.

उप-मुख्यमंत्री का पद: एक दृष्टि

  • भारतीय संविधान में उप-प्रधानमंत्री या उप-मुख्यमंत्री पद का कोई उल्लेखन नहीं है अर्थात यह पद संवैधानिक नहीं है. इस पद पर आसीन व्यक्ति को प्रधानमंत्री/ मुख्यमंत्री की शक्तियां प्राप्त नहीं होतीं और न ही वह प्रधानमंत्री/ मुख्यमंत्री अनुपस्थिति में प्रदेश की अगुवाई कर सकता है. उसे कोई अतिरिक्त वेतन, भत्ता देने का भी प्रावधन नहीं है.
  • पंडित नेहरू की सरकार में सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले उप-प्रधानमंत्री थे. इसके बाद मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह और जगजीवन राम भी उप-प्रधानमंत्री रहे. हालांकि देवीलाल पहले ऐसे नेता रहे, जिन्होंने 1989 में उप-प्रधानमंत्री की बकायदा शपथ ली थी.
  • एसएम कृष्णा देश का पहला उप-मुख्यमंत्री थे. कर्नाटक में 1994 में वह उप-मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद कर्नाटक में ही 2004 में सिद्धारमैया उप-मुख्यमंत्री बने थे.