स्वदेशी कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’ के अंतिम चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हुआ
भारत के स्वदेशी कोविड-19 टीके ‘कोवैक्सीन’ (Covaxin) के तीसरे और अंतिम चरण का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो गया है. यह टीका अंतिम चरण में 13 हजार से अधिक लोगों को दिया गया है. मानव परीक्षणों के तीसरे चरण में कोवैक्सीन को देश भर के लगभग 26 हजार लोगों को दिया जाएगा. पहले दो चरणों में लगभग एक हजार लोगों पर वैक्सीन का परीक्षण किया गया है.
कोवैक्सीन का विकास हैदराबाद स्थित ‘भारत बायोटेक’ और भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा किया गया है. भारत बायोटेक ने पहले कहा था कि प्रथम चरण के नैदानिक परीक्षणों से पता चला है कि इस वैक्सीन का मानव पर कोई गंभीर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है और यह कोरोना वायरस के खिलाफ एक मजबूत प्रतिरक्षा पैदा करने में सक्षम पाया गया है.
आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन
कोवैक्सीन विकसित करने वाली कम्पनी भारत बायोटेक ने 8 दिसम्बर को भारतीय औषधि महानियंत्रक (DCGI) से इस टीके के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन किया है.
कोवैक्सीन से पहले भारत में दो अन्य टीके के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति मांगी गयी थी. भारत में फाइजर कंपनी ने अपनी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग की अनुमति मांगी थी. इसका विकास अमेरिकी कंपनी फाइजर ने जर्मन दवा कंपनी ‘बायोएनटेक’ (BioNTech) के साथ किया है.
उसके अलावा टीके बनाने वाली दुनिया की सबसे बडी कम्पनी पुणे के ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ ने भी ‘कोविशील्ड’ (Covishield) की मंजूरी के लिए आवेदन किया है. कोविशील्ड को ब्रिटेन की दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है.
किसी दवा के आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति तभी दी जाती है जब इस बात के पर्याप्त प्रमाण हों कि वह इलाज के लिए सुरक्षित और प्रभावी है. अंतिम मंजूरी परीक्षणों के पूरा होने और सम्पूर्ण आंकडों के विश्लेषण के बाद ही दी जाती है.