स्वदेश विकसित पहली निमोनिया की वैक्सीन ‘निमोसिल’ का उद्घाटन
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने स्वदेश विकसित भारत की पहली निमोनिया की वैक्सीन का 28 दिसम्बर को उद्घाटन किया. इस वैक्सीन का नाम ‘निमोसिल’ (Pneumosil) है. भारतीय औषध महानियंत्रक (DCGI) ने इस वैक्सीन को जुलाई 2020 में मंजूरी दी थी.
यह वैक्सीन शिशुओं में स्ट्रेप्टोकोक्कस निमोनिया (Streptococcus pneumonia) के कारण और निमोनिया के उपचार के लिए उपयोग की जाएगी. यह मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाएगी. भारत में निमोनिया के फुल पीसीवी वैक्सीनेशन के लिए वैक्सीन के 3 डोज की जरूरत पड़ेगी. यह न्यूमोकॉकस बैक्टीरिया के 10 प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करता है, जो बच्चों में निमोनिया, मैनिंजाइटिस, कान और रक्त संक्रमण का कारण बनता है.
इस वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (SIIPL) ने बनाया है. SIIPL दुनिया में सबसे ज्यादा संख्या में वैक्सीन खुराक का निर्माण करती है.
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश विकसित पहली वैक्सीन
निमोनिया के उपचार के लिए स्वदेश में विकसित यह पहली वैक्सीन है. इससे पहले ऐसी वैक्सीन देश में लाइसेंस के जरिए आयात की जाती थी क्योंकि इसे बनाने वाली सभी कंपनियां भारत से बाहर की हैं. वर्तमान में निमोनिया के लिए फाइजर और ग्लैक्सोस्मिथलाइन द्वारा तैयार की गई वैक्सीन का प्रयोग किया जाता है. इस वैक्सीन के दुनिया की सबसे किफायती निमोनिया की वैक्सीन होने का दावा किया जा रहा है.
एक लाख से अधिक बच्चों की ‘निमोकॉकल’ बीमारियों से मौत
निमोनिया एक श्वास संबंधी बीमारी है. यूनिसेफ के डेटा के मुताबिक, हर साल भारत में पांच साल से कम उम्र में ही एक लाख से अधिक बच्चों की निमोकॉकल बीमारियों से मौत हो जाती है.