26 जनवरी 2021: भारत का 72वां गणतंत्र दिवस

देश में 26 जनवरी 2021 को 72वां गणतंत्र दिवस मनाया गया. इस अवसर पर मुख्‍य समारोह राष्‍ट्रीय राजधानी में राजपथ पर आयोजित किया गया. यहां हर साल की तरह देश की संस्कृति को दिखाने वाली झाकियों के साथ भारतीय सेना ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया. राष्‍ट्रपति रामनाथ कोविन्‍द ने तिरंगा फहराया और परेड की सलामी ली.

गणतंत्र दिवस समारोह के तहत कार्यक्रमों की शुरूआत आज सुबह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करने के साथ हुई. इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा ध्वजारोहण किया गया.

इस साल कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए परेड के गुजरने के मार्ग को छोटा कर दिया गया था. परेड की शुरूआत हमेशा की तरह विजय चौक से हुई लेकिन यह लालकिले की बजाय नेशनल स्टेडियम में जाकर संपन्न हुई.

72वां गणतंत्र दिवस: एक दृष्टि

  • ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को गणतंत्र दिवस परेड के अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में शामिल होना था लेकिन ब्रिटेन में कोविड के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए उन्‍हें अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था.
  • समारोह में 32 झांकियां प्रदर्शित की गई जिनमें से 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की, 9 विभिन्न मंत्रालयों और विभागों तथा अर्धसैनिक बलों की और 6 रक्षामंत्रालय की थीं.
  • इन झांकियों में कार्बन न्यूट्रल लद्धाख की परिकल्पना को प्रदर्शित करने वाली झांकी प्रदर्शित की गई थी.
  • राफाल लड़ाकू विमान गणतंत्र दिवस समारोह में विशेष रूप से प्रदर्शित किए गए. परेड का समापन इस विमान की उड़ान से हुआ था.
  • पहली बार बांग्लादेश के सशस्त्र बलों की टुकड़ी दिल्ली के राजपथ पर होने वाली गणतंत्र दिवस की परेड में हिस्सा लिया. इस सैन्य टुकड़ी में 122 जवान शामिल थे.

गणतन्त्र दिवस क्या है?

गणतन्त्र दिवस भारत का एक राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है. यह दिवस 26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान के आधिकारिक रूप से लागू होने की याद में मनाया जाता है. इसी दिन सन् 1950 को भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान लागू किया गया था.

किसी देश को गणतंत्र तब माना जाता है जब उस देश के प्रमुख का निर्वाचन जनता द्वारा किया जाए. एक स्वतंत्र गणराज्य बनने और देश में कानून का राज स्थापित करने के लिए संविधान को 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान-सभा द्वारा अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे एक लोकतांत्रिक सरकार प्रणाली के साथ लागू किया गया था.

आधुनिक गणराज्‍यों की स्‍थापना इस विचार के साथ की गई है जहां सम्‍प्रभुता लोगों में विद्यमान हो. गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग नवजागरण काल के लेखकों ने उन राज्‍यों के लिए किया जहां राजतंत्र नहीं थे. प्राचीन समय में सबसे उल्‍लेखनीय गणराज्‍यों में से एक रोमन गणराज्‍य था. 2017 तक दुनिया के 159 देश अपने अधिकारिक नामों के रूप में गणतंत्र शब्‍द का प्रयोग करते हैं.

गणतन्त्र दिवस समारोह का इतिहास

पहला गणतंत्र दिवस समारोह 1950 में दिल्‍ली के इ‍रविन एम्‍पीथियेटर में मनाया गया था. जिसे वर्तमान में मेजर ध्‍यानचंद नेशनल स्‍टेडियम के रूप में जाना जाता है. बाद के वर्षों में यह समारोह परेड़ किंग्‍जवे, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित की गई.

1955 में राजपथ परेड़ के लिए स्‍थायी स्‍थल बन गया. उस समय राजपथ को किंग्‍जवे नाम से जाना जाता था. 1955 में जब राजपथ पर परेड़ हुई तब पाकिस्‍तान के गवर्नर जनरल मलिक गुलाम मोहम्‍मद को मुख्‍य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

बीटिंग रीट्रिट के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन

हर साल 29 जनवरी को विजय चौक पर होने वाले समारोह ‘बीटिंग रीट्रिट’ के साथ गणतंत्र दिवस समारोह का समापन होता है. यह 1950 के दशक की शुरूआत में उस समय शुरू हुआ जब भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट्स ने बैंड द्वारा प्रदर्शन का अनूठा तरीका विकसित किया था.