डेली कर्रेंट अफेयर्स
भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य बना
भारत 1 जनवरी 2021 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council) का अस्थायी सदस्य बन गया. संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में भारत 8वीं बार प्रतिष्ठित सुरक्षा परिषद के का अस्थायी सदस्य बना है. भारत का दो साल का कार्यकाल से 31 दिसम्बर 2022 तक होगा.
जून 2020 में हुए चुनाव में भारत के साथ-साथ आयरलैंड, मैक्सिको, नॉर्वे और केन्या को इसका का अस्थायी सदस्य चुना गया था. 193 सदस्यों वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत को 184 मत मिले थे. भारत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र से 2021-22 के लिए अस्थायी सदस्यता का एकमात्र उम्मीदवार था.
भारत अगस्त, 2021 में UNSC का अध्यक्ष पद संभालेगा. नियमों के अनुसार, हर सदस्य देश अंग्रेजी वर्णानुक्रम के अनुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए अध्यक्षता करता है.
भारत ने हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी का पहला सफल परीक्षण किया
रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) ने नौसेना के साथ मिलकर हवा से गिराये जाने वाले कंटेनर सहायक-एनजी (SAHAYAK-NG) का पहला सफल परीक्षण किया है. यह परीक्षण गोवा के तट से किया गया. परीक्षण में इस कंटेनर को IL-38SD विमान से गिराया गया.
सहायक-एनजी क्या है?
सहायक-एनजी भारत का पहला स्वदेशी कंटेनर है. यह GPS से लैस है और 50 किलो भार के साथ विमान से गिराया जा सकता है. इसके माध्यम से दूर तैनात जहाजों को जरूरत के सामानों की आपूर्ति की जा सकती है. DRDO और निजी कंपनी एवांटेल की दो प्रयोगशालाओं में इसका विकास हुआ है. हवा से गिराया जाने वाला सहायक-एनजी कंटेनर सहायक MKI का एडवांस वर्जन है.
WHO ने फाइजर और बायोएनटेक की COVID-19 वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने फाइजर और बायोएनटेक की COVID-19 (कोरोना वायरस) वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है. संयुक्त राष्ट्र की इस संस्था की मंजूरी मिलने के बाद अब दुनियाभर के देशों में फाइजर की कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल का रास्ता खुल गया है.
फाइजर की कोरोना वैक्सीन को सबसे पहले ब्रिटेन ने इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी थी. जिसके बाद अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, इजरायल, सऊदी अरब समेत दुनिया के कई देशों ने वैक्सीन के इमरजेंसी प्रयोग को मंजूरी दे दी.
ब्रिटेन में अबतक 1.40 लाख लोगों को फाइजर बायोएनटेक की वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. इस वैक्सीन को –70 डिग्री के तापमान पर रखने की जरूरत होती है.
ब्रिटेन में ऑक्सफर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के इमरजेंसी इस्तेमाल को भी हाल ही में मंजूरी दी गयी है. इस वैक्सीन को कमरे के तापमान पर भी रखा जा सकता है. ऐसे में इस वैक्सीन की मांग और इसे दूर दराज के इलाकों तक लेकर जाने में काफी सहूलियत होने वाली है.
ऑक्सफोर्ड की COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गयी
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित COVID-19 वैक्सीन ‘Covishield’ के भारत में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी गयी है. केंद्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की कोविड-19 पर एक विशेषज्ञ समिति ने इसकी मंजूरी 31 दिसम्बर को दी.
Covishield वैक्सीन का उत्पादन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) कर रहा है. इससे पहले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने पहले इस वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग के लिए आवेदन किया था. SII ने Covishield के उत्पादन के लिए एस्ट्रेजेनेका के साथ करार किया है. यह दुनिया की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंपनी है.
भारत और पाकिस्तान ने परमाणु ठिकानों और कैदियों की सूची साझा की
भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची का आदान प्रदान किया. इन प्रतिष्ठानों की सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया. यह आदान-प्रदान दोनों देशों के बीच परमाणु ठिकानों पर हमले के विरुद्ध समझौते (Agreement on Prohibition of Attacks against Nuclear Installations and Facilities) के तहत किया जाता है.
परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची संबंधी समझौता: एक दृष्टि
- पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले पर प्रतिबंध संबंधी समझौते के अनुच्छेद-2 के तहत यह सूची साझा की जाती है. इस समझौते के तहत दोनों देश हर वर्ष 1 जनवरी को इस सूची का आदान प्रदान करते हैं.
- यह समझौता 31 दिसम्बर 1988 में किया गया था और 27 जनवरी 1991 से अमल में है. 1 जनवरी 1992 को पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी थी.
- दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद कैदियों की सूची का भी 1 जनवरी को आदान-प्रदान करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.
देश के 6 राज्यों में लाइट हाउस परियोजनाओं की आधारशिला रखी गयी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जनवरी को छह राज्यों में लाइट हाउस परियोजनाओं (LHPs) की आधारशिला रखी. केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने शहरी कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए छह राज्यों मध्यप्रदेश में इंदौर, गुजरात में राजकोट, तमिलनाडु में चेन्नई, झारखंड में रांची, त्रिपुरा में अगरतला और उत्तरप्रदेश में लखनऊ को लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत आवास बनाने के लिए चुना है.
आधारशिला के इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ASHA-India (Affordable Sustainable Housing Accelerators) के विजेताओं की भी घोषणा की. साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (PMAY-U) के क्रियान्वयन के लिए उत्कृष्टता का वार्षिक पुरस्कार भी दिया.
इस कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने नवप्रर्वतक निर्माण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नए पाठ्यक्रम की भी शुरुआत की. इस पाठ्यक्रम का नाम ‘NAVARITIH’ (New, Affordable, Validated, Research Innovation Technologies for Indian Housing) रखा गया है.
लाइट हाउस परियोजना क्या है?
लाइट हाउस परियोजना का उद्देश्य गरीबों को शहरों में सस्ती दरों पर आवास मुहैया करवाना है. यह वैश्विक आवास निर्माण प्रौद्योगिकी चुनौती-भारत (Global Housing Technology Challenge-India) के तहत किया जा रहा है.
प्रधानमंत्री का संकल्प है कि 2022 तक हर गरीब के पास अपना मकान हो. वहीं लाइट हाउस परियोजना के तहत चुनी गई जगहों पर प्रत्येक जगह में एक हजार से ज्यादा घर बनाए जाएंगे. इस परियोजना के तहत सस्ते और मजबूत मकान बनाए जाते हैं. इस योजना में निर्माण कार्य से वक्त की बचत होती है और लागत कम आती है. इसके तहत बने मकान भूकंपरोधी होते हैं.
1 जनवरी: DRDO दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को अपना स्थापना दिवस (DRDO Day) मनाती है. DRDO की स्थापना 1 जनवरी, 1958 में की गई थी.
रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र दस प्रयोगशालाओं के साथ संगठन की शुरुआत हुई थी. DRDO के वर्तमान अध्यक्ष डॉक्टर जी सतीश रेड्डी हैं. DRDO देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, रडार, सोनार, टॉरपीडो आदि का निर्माण करती है.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
DRDO, रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) का संक्षिप्त रूप है. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है. यह सैन्य अनुसन्धान तथा विकास से सम्बंधित कार्य करता है. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. DRDO का आदर्श वाक्य ‘बलस्य मूलं विज्ञानं’ है. पूरे देश में DRDO की 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
गुजरात के राजकोट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 दिसम्बर को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से गुजरात के राजकोट में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान की आधारशिला रखी. इस संस्थान के निर्माण पर 1195 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत आएगी और इसके 2022 के मध्य तक पूरा हो जाने की उम्मीद है. 750 बिस्तरों वाले इस अस्पताल में 30 बिस्तरों वाला एक आयुष विभाग भी होगा. संस्थान में MBBS पाठ्यक्रम के लिए 125 और नर्सिंग पाठ्यक्रम के लिए 60 सीटें रखी गई हैं.
पंजाब में आतंकवाद-रोधी विशेष प्रयोजन सेल गठित करने का फैसला
पंजाब सरकार ने राज्य पुलिस बल की आतंकवाद-रोधी क्षमता बढाने और उसकी प्रौद्योगिकी संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए विशेष प्रयोजन सेल गठित करने फैसला किया है. इसका उद्देश्य सीमावर्ती राज्य में ड्रोन के जरिए हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी और सीमापार के आतंकवाद को रोकना है.
नागालैंड में AFSPA को 6 महीने के लिए बढ़ाया गया
केंद्र सरकार ने नागालैंड में सशस्त्र बल अधिनियम, 1958 (AFSPA) को 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. AFSPA का उपयोग अशांत घोषित किये गये क्षेत्रों में किया जाता है. इस अधिनियम के द्वारा किसी क्षेत्र में धार्मिक, नस्लीय, भाषायी तथा समुदायों के बीच विवाद के कारण इसे राज्य अथवा केंद्र सरकार द्वारा अशांत घोषित किया जा सकता है.
केरल ने केंद्र द्वारा पारित कृषि कानूनों को खत्म करने का प्रस्ताव पारित किया
केरल विधानसभा ने केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में पारित तीन कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है. मुख्य रूप से पंजाब के किसान इन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. इन कानूनों को सितंबर 2020 में लागू किया गया था. इस कानूनों ने कृषि उत्पादों की बिक्री और मूल्य निर्धारण के लिए पहले से जारी विकल्पों के अतिरिक्त कुछ और विकल्प दिए गये हैं.