डेली कर्रेंट अफेयर्स
राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला द्वारा राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन का आयोजन
राष्ट्रीय माप पद्धति सम्मेलन (National Metrology Conclave) 2021 का आयोजन किया जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मलेन का वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उद्घाटन किया था. इस सम्मलेन का आयोजन वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (CSIR-NPL) द्वारा किया गया है.
यह आयोजन राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (NPL) की स्थापना के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया गया है. सम्मेलन का विषय- ‘राष्ट्र के समावेशी विकास के लिए माप पद्धति’ (Metrology for the Inclusive Growth of the Nation) है.
प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर राष्ट्रीय परमाणु समय मापक (नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल) और भारतीय निर्देशक द्रव्य राष्ट्र को समर्पित किया और राष्ट्रीय पर्यावरण संबंधी मानक प्रयोगशाला की आधारशिला भी रखी.
नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल, भारतीय मानक समय को 2.8 नैनोसेकंड की सटीकता के साथ दर्शाता है. भारतीय निर्देशक द्रव्य का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रयोगशालाओं को गुणवत्ता आश्वासन उपलब्ध कराना है. राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला औद्योगिक उत्सर्जन निगरानी उपकरणों के प्रमाणीकरण में आत्मनिर्भरता हासिल करने में सहायता करेगी.
राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला: एक दृष्टि
राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (NPL) नई दिल्ली में स्थित है. यह प्रयोगशाला वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के अधीन है. यह भारत में SI मापन पद्धति का अनुरक्षण करती है.
COVID-19 वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन को भारत में आपात उपयोग के लिए स्वीकृति
भारत के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने कोविड के दो टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग की स्वीकृति दे दी है. CDSCO ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया के कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटैक के कोवैक्सीन (Covaxin), को अनुमति दी है. औषधि महानियंत्रक (DGCA) वीजी सोमानी ने इसकी घोषणा 3 जनवरी को की.
दोनों टीकों का आपात उपयोग के बारे में केन्द्रीय औषध मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर यह स्वीकृति प्रदान की गयी है. कोविशील्ड और कोवाक्सिन दोनों टीकों में से किसी एक टिके की दो खुराकें दी जाएगीं.
कोविशील्ड
कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनिका के साथ भारत में पुणे की प्रयोगशाला सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया में विकसित किया गया है.
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इण्डिया ने 23745 लोगों संबंधी सुरक्षा, रोग प्रतिरक्षा क्षमता के आकड़े प्रस्तुत किये और वैक्सीन के समग्र प्रभाव कार्य का 70.42 प्रतिशत पाई गई. इसके अतिरिक्त संस्थान को देश में 1600 लोगों पर दूसरे और तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी गई.
कोवैक्सीन
भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु संस्थान पूणे के सहयोग से कोवैक्सीन तैयार किया है. को-वैक्सीन का तीसरे चरण का परीक्षण भारत में 25800 स्वयंसेवियों पर किया गया था. यह पहली स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन है जिसका अनुसन्धान और निर्माण भारत में किया गया है.
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया
भारत में किसी दवा और वैक्सीन के मंजूरी ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा दिया जाता है. यह देश में दवा से संबंधित सभी नियामक कार्यों के लिए जिम्मेदार है. DCGI भारत में दवाओं के विनिर्माण, बिक्री, आयात और वितरण के लिए मानक स्थापित करती है.
बिहार के लखीसराय में गंगा घाटी का पहला बौद्ध स्तूप मिला
बिहार के लखीसराय में गंगा घाटी का पहला बौद्ध स्तूप मिला है. यह बौद्ध स्तूप लाल पहाड़ी की खुदाई में मिला है. यह देश का पहला पहाड़ी बौद्ध मठ (Hilltop Buddhist monastery) बन गया है. अब तक प्राप्त सभी बौद्ध स्तूप धरातल यानी जमीन पर हैं. लेकिन यह पहला बौद्ध स्तूप है जो किसी पहाड़ी पर मिला है.
मुख्य बिंदु
- इतिहासकारों के अनुसार 11वीं 12वीं शताब्दी के इस मठ में कुछ ऐसी विशेषताएं मिली हैं जो देश के किसी और बौद्ध मठ में नहीं देखी गईं. पूर्वी भारतीय बौद्ध मठों के बीच इस मठ की वास्तुकला इसे एक अलग पहचान देती है. इससे पहले बिहार के किसी भी हिस्से से विहार-स्तरीय मठ की वास्तुकला का कोई प्रमाण नहीं मिला है.
- खुदाई में मिली चीजों से पता चलता है कि यह मठ मुख्य रूप से महिलाओं के लिए बनवाया गया होगा. अभिलेख के जरिए भी यहां ऐसा प्रमाण मिला है कि पाल रानी मल्लिका देवी ने विजयश्री भद्र नाम की एक महिला बौद्ध भिक्षु को दान दिया था. साथ ही यह स्थान देखने पर ऐसा लगता है कि इसमें चारों तरफ से सुरक्षा के भी इंतजाम किए गए हैं जो अक्सर महिलाओं के रहने के स्थानों पर ही जाते हैं.
- इस मठ के सभी कमरों में दरवाजे पाए गए हैं, जबकि आमतौर पर नालंदा, विक्रमशिला जैसे मठों में दरवाजों के प्रमाण नहीं मिले हैं. इसी के साथ यहां तांबे की चूड़ियां, हाथी दांत की अंगूठी, नाक की लौंग आदि मिली हैं. इससे पता चलता है कि यह मठ विशेष रूप से या तो महिलाओं के लिए बनवाया गया होगा.
- लाल पहाड़ी की खुदाई में पहली बार लकड़ी से बना हुआ वोटिव टेबलेट मिला है. खुदाई से मिलीं दो जली हुई मिट्टी की मुहरों पर संस्कृत में ‘श्रीमदधर्माभिर्वाचिका’ नाम लिखा हुआ है. इस नाम से पता चलता है कि प्रारंभिक मध्ययुगीन मगध में महायान बौद्ध धर्म की कितनी प्रतिष्ठा थी.
- यह राज्य का पहला विहार या बौद्ध मठ हो सकता है, जिसने संभवतः बिहार को अपना नाम दिया, जैसा कि नालंदा, विक्रमशिला और तेलहारा में पाए गए महाविहार (बड़े बौद्ध मठ) थे. बिहार में नालंदा और तेलहारा के बाद, यह पहला मठ है, जिसमें मिली मुहरों पर मठ के नाम का उल्लेख किया गया है. आमतौर पर महाविहारों के नाम भारत के एपिग्राफिक और पुरातात्विक रिकॉर्ड से पता चलते हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू करवाई थी खुदाई
इस लाल पहाड़ी की खुदाई का काम 25 नवंबर, 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुरू करवाया था. यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा बिहार में 3 साल के अंदर पूरी की गई पहली खुदाई परियोजना है.
4 जनवरी: लुई ब्रेल दिवस
प्रत्येक वर्ष 4 जनवरी को लुई ब्रेल दिवस (World Braille Day) मनाया जाता है. यह दिन दृष्टिबाधित दिव्यांगजनों को मानवाधिकार प्रदान करने और संचार के माध्यम के रूप में ब्रेल लिपि के बारे में जागरूकता लाने के लिए मनाया जाता है.
लुई ब्रेल का जन्मदिन
यह दिवस लुई ब्रेल के जन्मदिन पर मनाया जाता है. लुई ब्रेल का जन्म इसी दिन 1809 में फ्रांस में हुआ था. सिर्फ तीन साल की उम्र में, उन्होंने एक दुर्घटना में अपनी दोनों आँखें खो दी थीं. लुई ब्रेल ने नेत्रहीनों के लिये ब्रेल लिपि का निर्माण किया था. लुई ब्रेल की वजह से नेत्रहीनों को पढ़ने का मौक़ा मिला.
ब्रेल लिपि: एक दृष्टि
- ब्रेल लिपि (स्क्रिप्ट) एक तरह की लिपि है, जिसको विश्व भर में नेत्रहीनों को पढ़ने और लिखने में छूकर व्यवहार में लाया जाता है.
- इस पद्धति का आविष्कार 1821 में एक नेत्रहीन फ्रांसीसी लेखक लुई ब्रेल ने किया था.
- यह 6 बिंदुओं के उपयोग से 64 अक्षर और चिह्न वाली लिपि है.
- दृष्टि बाधित समाचार वाचक द्वारा ब्रेल लिपि से लाइव समाचार पढ़ने का प्रारम्भ देश में सबसे पहले क्षेत्रीय समाचार एकांश अहमदाबाद द्वारा 2004 में शुरू किया गया था.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 जनवरी को वर्चुअल माध्यम से कोच्चि-मंगलुरु प्राकृतिक गैस पाइपलाइन राष्ट्र को समर्पित करेंगे. 450 किलोमीटर लंबी इस पाइपलाइन का निर्माण गेल इंडिया लिमिटेड ने किया है. इसकी परिवहन क्षमता प्रतिदिन 12 मिलियन मीट्रिक टन स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर है. इस परियोजना पर लगभग तीन हजार करोड़ रुपये खर्च हुए हैं.
राजस्थान के झालावाड़ जिले में बर्ड फ्लू की पुष्टि
राजस्थान के झालावाड़ जिले में मृत कौवों में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद अलर्ट घोषित किया गया है. पशुपालन विभाग ने राज्य स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है और प्रभावी निगरानी के लिये जिले में अपने दल भेजे हैं.
ऑस्ट्रेलिया ने अपने राष्ट्रगान में बदलाव किया
ऑस्ट्रेलिया ने एकता की भावना और देश की स्थानीय जनसंख्या को महत्व देने के लिए अपने राष्ट्रगान में बदलाव किया है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री मॉरिसन ने अपने राष्ट्रगान ‘Advance Australia Fair’ की दूसरी पंक्ति ‘For we are young and free’ को बदलकर ‘For we are one and free’ करने की घोषणा की है. यह बदलाव 1 जनवरी से लागू हो गया है.