लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 प्रस्‍तुत किया गया

वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने 29 जनवरी को लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 प्रस्‍तुत किया. इस सर्वेक्षण में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के पटरी पर आने का विस्‍तार से विश्‍लेषण किया गया है. इसमें सरकारी उपभोग में बढ़ोतरी से अर्थव्‍यवस्‍था की विकास दर में सुधार होने का संकेत दिया गया है.

आर्थिक सर्वेक्षण 2021: मुख्य बिंदु

  • अगले वित्‍त वर्ष में भारत का वास्‍तविक सकल घरेलू उत्‍पाद (GDP) की विकास दर के 11 प्रतिशत रहने का अनुमान है. निर्यात और सरकारी उपभोग में बढ़ोतरी होने से अर्थव्‍यवस्‍था में गिरावट का सिलसिला रोकने में मदद मिलेगी.
  • स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र देश की अर्थव्‍यवस्‍था का केंद्र बिंदु बन गया है. दुनिया में भारत ऐसा देश है जहां लोगों को अपनी आय का सबसे ज्यादा व्यय स्वास्थ्य पर करना पड़ता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकारी निवेश कम है. इसमें कहा गया है कि 17 फीसदी आबादी अपनी कुल आय या घरेलू खर्च का 10 फीसदी से ज्यादा और 4 फीसदी आबादी 25 फीसदी से ज्यादा स्वास्थ्य पर खर्च करती है. यह विश्व में सबसे ज्यादा है.
  • स्वास्थ्य पर GDP का 2.5 से 3 फीसदी तक आवंटन करना होगा. अभी स्वास्थ्य पर GDP का 1 फीसदी के करीब ही खर्च होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, इंडोनेशिया, फिलीपीन्स समेत कई देशों ने आवंटन बढ़ाकर स्वास्थ्य पर जेब से होने वाले खर्च को कम किया है.
  • भारत में अस्पताल में भर्ती होने की दर 3-4 फीसदी ही है. जबकि कम आए वाले देशों में यह दर 8-9 फीसदी है और उच्च आय वाले देशों में 13-17 फीसदी है.
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार देश में प्रति दस हजार पर 46 स्वास्थ्य कार्मिक होने चाहिए लेकिन देश में महज 23 की ही उपलब्धता है. बुजुर्गों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता 2014 में 19.9 फीसदी से बढ़कर 2018 24.7 फीसदी हुई है.