पुराने वाहनों पर ‘ग्रीन टैक्स’ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पुराने वाहनों पर ‘ग्रीन टैक्स’ लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. इस प्रस्ताव के औपचारिक रूप से लागू होने से पहले यह परामर्श के लिए राज्यों को भेजा जायेगा. ग्रीन टैक्स का उद्देश्य लोगों को वाहनों का उपयोग करने से रोकना है जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं और लोगों को नये, कम प्रदूषण वाले वाहनों के लिए प्रेरित करते हैं.

प्रस्ताव के प्रावधानों के अनुसार आठ साल से अधिक पुराने परिवहन वाहनों पर रोड टैक्स के 10 से 25 प्रतिशत की दर से फिटनेस प्रमाण-पत्र के नवीनीकरण के समय ‘ग्रीन टैक्स’ लगाया जा सकता है. ग्रीन टैक्स से प्राप्त राजस्व को एक अलग खाते में रखा जाएगा और प्रदूषण से निपटने के लिए और राज्यों को उत्सर्जन निगरानी के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं स्थापित करने के लिए उपयोग किया जाएगा.

प्रस्ताव के मुख्य बिंदु

  • निजी वाहनों के लिए, पंजीकरण प्रमाण-पत्र के अनिवार्य नवीकरण के समय 15 साल के बाद कर का भुगतान करना होगा. वर्तमान में, सभी वाणिज्यिक वाहनों को पहले दो वर्षों के बाद हर साल फिटनेस प्रमाणपत्र प्राप्त करने की आवश्यकता होती है.
  • जिन शहरों में प्रदूषण काफी ज्यादा है वहां पर पंजीकृत वाहनों के लिए अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा. आपको बता दें कि ये रोड टैक्स का 50 प्रतिशत तक हो सकता है. पुराने वाहनों से नये वाहनों की तुलना में 10-25 फीसद ज्यादा प्रदूषण फैलता हैं.
  • मजबूत हाइब्रिड, इलेक्ट्रिक वाहन, और वैकल्पिक ईंधन जैसे सीएनजी, इथेनॉल, एलपीजी और खेती में इस्तेमाल होने वाले वाहनों को छूट दी जाएगी.
  • सिटी बसों जैसे सार्वजनिक परिवहन वाहनों से कम शुल्क लिया जाएगा. कर राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि वाहन कौन से ईंधन से चलता है, मसलन पेट्रोल वाहनों के लिए अलग और डीजल वाहनों के लिए अलग टैक्स चुकाना पड़ेगा.
  • यह अनुमान लगाया गया है कि वाणिज्यिक वाहन, जो कुल वाहन बेड़े का लगभग 5 प्रतिशत हैं, कुल वाहन प्रदूषण में लगभग 65-70 योगदान करते हैं.