सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट पर 5 जनवरी को निर्णय सुनाया. जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से सरकार को इस प्रोजेक्ट के निर्माण की अनुमति दी. इस निर्णय के साथ ही नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.

लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों पर सुनवाही करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय सुनाया. कोर्ट ने अपने निर्णय में पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही.

जस्टिस खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के अलावा पीठ के तीसरे जज जस्टिस संजीव खन्ना ने भी परियोजना को मंजूरी पर सहमति जताई, लेकिन भूमि उपयोग में बदलाव संबंधी फैसले और परियोजना को पर्यावरण मंजूरी दिए जाने पर असहमति जताई.

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट क्या है?

केंद्र सरकार ने दिल्ली के लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा के निर्माण की घोषणा सितंबर, 2019 में की थी. इस परियोजना पर 20 हजार करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी.

इस परियोजना में संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी, जिसमें एक साथ 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे. इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा किया जाना है. इसमें केंद्रीय सचिवालय का निर्माण वर्ष 2024 तक करने की योजना है.