RBI मौद्रिक नीति समिति की बैठक, रेपो दर 4%, रिवर्स रेपो दर 3.35% पर अपरिवर्तित
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक 3-5 फरवरी को मुंबई में हुई. यह चालू वित्त वर्ष (2020-21) की छठी और अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति (6th Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी. इस बैठक में समिति ने नीतिगत दरों में कोई परिवर्तन नहीं करने का निर्णय लिया है.
MPC की बैठक: मुख्य बिंदु
- इस बैठक में RBI ने रेपो दर को 4 प्रतिशत और बैंक दर को 4.25 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है.
- RBI ने अगले वित्त वर्ष में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) दर 10.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
- चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से संशोधित कर 5.2 प्रतिशत कर दिया है.
रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?
रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि
- भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
- RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
- पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर | 4% |
रिवर्स रेपो दर | 3.35% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर (MSF) | 4.25% |
बैंक दर | 4.25% |
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) | 4% |
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) | 18% |