पहली बार मृतकों के दिल को मशीन से जिंदा कर 6 बच्चों में ट्रांसप्लांट किया गया

ब्रिटेन के डॉक्टरों ने मृत घोषित हो चुके व्यक्तियों के दिल का उपयोग कर 6 बच्चों का सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया है. इसके लिए एक खास किस्म की मशीन का इस्तेमाल किया गया है. ये सभी बच्चे अब पूरी तरह स्वस्थ हैं. इससे पहले हार्ट ट्रांसप्लांट में केवल उन व्यक्तियों के ही हार्ट का उपयोग होता था, जो ब्रेन डेड घोषित होते थे.

ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) के डॉक्टरों ने हार्ट ट्रांसप्लांट की यह तकनीक विकसित की है. इसके लिए NHS ने ‘ऑर्गन केयर सिस्टम’ (Organ care system) मशीन बनाई है.

इस तकनीक का उपयोग करते हुए केंब्रिजशायर के रॉयल पेपवर्थ अस्पताल के डॉक्टरों ने ऑर्गन केयर मशीन के जरिए मृत व्यक्तियों के दिल को जिंदा कर 6 बच्चों के शरीर में धड़कन पैदा कर दी. यह उपलब्धि हासिल करने वाली यह दुनिया की पहली टीम बन गई है.

इस तकनीक से 12 से 16 साल के 6 ऐसे बच्चों को नया जीवन मिला, जो पिछले दो-तीन सालों से अंगदान के रूप में हार्ट मिलने का इंतजार कर रहे थे.

मरणोपरांत हार्ट डोनेट की प्रक्रिया: एक दृष्टि

  • इस तकनीक के बिकसित हो जाने के बाद अब मरणोपरांत दिल (हार्ट) डोनेट किया जा सकेगा, और लोगों को ट्रांसप्लांट के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं करना पड़ेगा.
  • मृत्यु की पुष्टि होते ही डोनर के दिल को तुरंत निकालकर इस मशीन में रखकर 12 घंटे तक जांचा जाता है और उसके बाद ही ट्रांसप्लांट किया जाता है.
  • डोनर से मिले दिल को जिस मरीज के शरीर में लगाना है, उसके शरीर की आवश्यकतानुसार ऑक्सीजन, पोषक तत्व और उसके ग्रुप का ब्लड इस मशीन में रखे दिल में 24 घंटों तक प्रवाहित किया जाता है.