भारत के प्रस्तावित सौर मिशन ‘आदित्य एल-1’ के लिए सपोर्ट सेल ‘AL1SC’ की स्थापना की गयी

भारत के प्रस्तावित पहला सौर मिशन ‘आदित्य एल-1’ (Aditya L-1 Mission) से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को एक वेब इंटरफेस पर जमा करने के लिए एक कम्युनिटी सर्विस सेंटर की स्थापना की गई है. इस सेंटर का नाम ‘आदित्य L1 सपोर्ट सेल’ (AL1SC) दिया गया है. इसकी स्थापना उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी में किया गया है.

आदित्य L1 सपोर्ट सेल (AL1SC): मुख्य बिंदु

  • इस सेंटर को भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (ISRO) और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (ARIES) ने मिलकर बनाया है.
  • सपोर्ट सेल ‘AL1SC’ की स्थापना का उद्देश्य भारत के प्रस्तावित पहले सौर अंतरिक्ष मिशन आदित्य L1 (Aditya-L1) से मिलने वाले सभी वैज्ञानिक विवरणों और आंकड़ों का अधिकतम विश्लेषण करना है. इस केंद्र का उपयोग अतिथि पर्यवेक्षकों (गेस्ट ऑब्जर्वर) द्वारा किया जा सकेगा. यह विश्व के प्रत्येक इच्छुक व्यक्ति को आंकड़ों का वैज्ञानिक विश्लेषण करने की छूट देगा.
  • AL1SC की स्थापना ARIES के उत्तराखंड स्थित हल्द्वानी परिसर में किया गया है, जो इसरो के साथ संयुक्त रूप काम करेगा.
  • यह केंद्र दुनिया की अन्य अंतरिक्ष वेधशालाओं से भी जुड़ेगा. सौर मिशन से जुड़े आंकड़े उपलब्ध कराएगा, जो आदित्य L1 से प्राप्त होने वाले विवरण में मदद कर सकते हैं.

भारत का प्रस्तावित सौर मिशन ‘आदित्य एल-1’

  • ‘आदित्य एल-1’ (Aditya-L1) भारत का प्रस्तावित पहला सौर मिशन है. इसरो (ISRO) ने अगले वर्ष (2022 में) इस मिशन को प्रक्षेपित करने की योजना बनायी है.
  • इसरो द्वारा आदित्य L-1 को 400 किलो-वर्ग के उपग्रह के रूप में वर्गीकृत किया है जिसे ‘ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-XL’ (PSLV- XL) से प्रक्षेपित (लॉन्च) किया जाएगा.
  • आदित्य L-1 को सूर्य एवं पृथ्वी के बीच स्थित एल-1 लग्रांज/ लेग्रांजी बिंदु (Lagrangian point) के निकट स्थापित किया जाएगा. आदित्य L-1 का उद्देश्य ‘सन-अर्थ लैग्रैनियन प्वाइंट 1’ (L-1) की कक्षा से सूर्य का अध्ययन करना है.
  • यह मिशन सूर्य का नज़दीक से निरीक्षण करेगा और इसके वातावरण तथा चुंबकीय क्षेत्र के बारे में अध्ययन करेगा.
    आदित्य L-1 को सौर प्रभामंडल के अध्ययन हेतु बनाया गया है. सूर्य की बाहरी परतों, जोकि डिस्क (फोटोस्फियर) के ऊपर हजारों किमी तक फैला है, को प्रभामंडल कहा जाता है.
  • प्रभामंडल का तापमान मिलियन डिग्री केल्विन से भी अधिक है. सौर भौतिकी में अब तक इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल पाया है कि प्रभामंडल का तापमान इतना अधिक क्यों होता है.
  • आदित्य L-1 देश का पहला सौर कॅरोनोग्राफ उपग्रह होगा. यह उपग्रह सौर कॅरोना के अत्यधिक गर्म होने, सौर हवाओं की गति बढ़ने तथा कॅरोनल मास इंजेक्शंस (CMES) से जुड़ी भौतिक प्रक्रियाओं को समझने में मदद करेगा.

लग्रांज/लेग्रांजी बिंदु क्या होता है?

सूर्य के केंद्र से पृथ्वी के केंद्र तक एक सरल रेखा खींचने पर जहां सूर्य और पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल बराबर होते हैं, वह लग्रांज बिंदु (Lagrangian point) कहलाता है.

लग्रांज बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण बल समान रूप से लगने से दोनों का प्रभाव बराबर हो जाता है. इस स्थिति में वस्तु को ना तो सूर्य अपनी ओर खींच पाएगा, ना पृथ्वी अपनी ओर खींच सकेगी और वस्तु अधर में लटकी रहेगी.

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO): एक दृष्टि

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान है. इसकी स्थापना वर्ष 1969 में की गई थी. इस संस्थान का प्रमुख काम उपग्रहों का निर्माण करना और अंतरिक्ष उपकरणों के विकास में सहायता प्रदान करना है.

आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (ARIES)

‘आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस’ (ARIES), भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा संचालित एक स्वायत्त संस्थान है. यह संस्थान उत्तराखंड की मनोरा पीक (नैनीताल) में स्थित है. इसकी स्थापना 20 अप्रैल, 1954 को की गई थी. इस संस्थान के कार्यक्षेत्र खगोल विज्ञान, सौर भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान इत्यादि हैं.