भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी (Single Crystal Blade Technology) विकसित की है. यह प्रौद्योगिकी ज्यादा गर्मी में भी इंजन को सुरक्षित रखते हैं. भारत इस प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाला विश्व का पांचवां देश है. इससे पहले अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के पास ही यह तकनीक थी.
सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी: मुख्य बिंदु
सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी से छोटे और ज्यादा शक्तिशाली इंजनों का निर्माण किया जा सकेगा. ये ब्लेड्स इंजन को ज्यादा गर्मी में भी सुरक्षित रखते हैं. ये ब्लेड्स 1500 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान सहन कर सकते हैं.
इस ब्लेड को DRDO की प्रीमियम प्रयोगशाला डिफेंस मेटालर्जिकल रिसर्च लेबोरेटरी (DMRL) ने बनाया है. इसमें निकल-आधारित उत्कृष्ट मिश्रित धातु (CMSX-4) का उपयोग किया गया है. सिंगल क्रिस्टल उच्च दबाव वाले टरबाइन (HPT) ब्लेड के पांच सेट (300 ब्लेड) विकसित किए जा रहे हैं.
DRDO ने इनमें से 60 ब्लेड की आपूर्ति हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को हेलिकॉप्टर इंजन एप्लीकेशन (Helicopter) के लिए दिया है. HAL इस समय स्वदेशी हेलीकॉप्टर विकास कार्यक्रम के तहत हेलिकॉप्टर बना रहा है. जिसमें इस क्रिस्टल ब्लेड का उपयोग किया जाएगा.
रणनीतिक व रक्षा एप्लीकेशन्स में इस्तेमाल किए जाने वाले हेलिकाप्टरों को चरम स्थितियों में अपने विश्वसनीय संचालन के लिए कॉम्पैक्ट तथा शक्तिशाली एयरो-इंजन की आवश्यकता होती है. इसके लिए जटिल आकार वाले अत्याधुनिक सिंगल क्रिस्टल ब्लेड काम आते हैं. ये मिशन के दौरान उच्च तापमान सहन करने में सक्षम होता है.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO), भारत की रक्षा से जुड़े अनुसंधान कार्यों के लिये देश की अग्रणी संस्था है. इस संस्थान की स्थापना 1958 में भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. डॉ जी सतीश रेड्डी DRDO के वर्तमान चेयरमैन हैं.
https://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.png00Team EduDosehttps://www.edudose.com/wp-content/uploads/2014/05/Logo.pngTeam EduDose2021-04-28 23:55:072021-04-29 09:17:12भारत सिंगल क्रिस्टल ब्लेड प्रौद्योगिकी को विकसित करने वाला विश्व का पांचवां देश बना