न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कानून बनाया

न्यूजीलैंड ने जलवायु परिवर्तन के लिए हाल ही में एक कानून बनाया है. इस कानून में वित्तीय क्षेत्रों को पर्यावरण के लिए जवाबदेह बनाया गया है.

न्यूजीलैंड वैसे तो जलवायु परिवर्तन का बुरी तरह से शिकार देश नहीं माना जाता है, लेकिन फिर भी न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री जैसिंडा आर्डर्न ने यह संकल्प लिया है कि उनका देश साल 2050 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश बन जाएगा और साल 2035 तक पूरी तरह से अक्षय ऊर्जा के जरिए अपनी ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी करने लगेगा.

क्या है न्यूजीलैंड जलवायु परिवर्तन कानून?

इस कानून के तहत न्यूजीलैंड में अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने द्वारा किए गये निवेश के कारण जलवायु परिवर्तन पर पड़ने वाले प्रभावों की जानकारी देना आवश्यक होगा. यह दुनिया का पहला कानून होगा जो वित्तीय क्षेत्र को पर्यावरण के प्रति जवाबदेह बनाएगा. इस कानून के मुताबिक बैंक, बीमा कंपनी और निवेश प्रतिष्ठानों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग अब अनिवार्य होगी.

वित्तीय क्षेत्र क्यों?

वैश्विक पूंजीवादी व्यवस्था में वित्तिय क्षेत्र की कंपनियों और प्रतिष्ठानों का खासा प्रभाव रहता है और उनके निवेश ही औद्योगिक गतिविधियों को दिशा प्रदान करते हैं.

इस कानून से फायदा

यह कानून अगर पास हो गया तो साल 2023 को लागू हो जाएगा जिसके बाद वित्तीय क्षेत्र की कंपनियों के लिए जलवायु रिपोर्टिंग आनिवार्य हो जाएगी. वार्षिक रिपोर्ट इस तथ्य को रेखांकित करेंगी कि उच्च कार्बन निवेश कम आकर्षक हो जाएगा क्योंकि उत्सर्जन को रोकने के ले सख्तियां लागू होने लगेंगी.

दुनिया में इस तरह का कानून ला कर न्यूजीलैंड को वास्तविक नेतृत्व दिखाने का मौका मिला है जिससे दूसरे देशों को जलवायु संबंधित खुलासे करने अनिवार्य करने के लिए रास्ता मिलेगा. इससे वित्तीय प्रतिष्ठानों को अपने निवेश के जलवायु पर असर का ध्यान रखना होगा और लोगों को उनका प्रदर्शन आंकने का अवसर भी मिलेगा.

जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए अन्य देशों के पहल

जलवायु परिवर्तन (Climate Change) को रोकने के लिए दुनिया के लगभग सभी देश पेरिस समझौते से बंधे हैं. इसके बाद भी पर्यावरणविदों को लगता है कि यह काफी नहीं है क्योंकि दुनिया का कोई देश अपने यहां उद्योगों के लिए सख्त कानून लागू नहीं कर रहा है जिससे उनकी गतिविधियां पर्यावरण पर बुरा प्रभाव डालना बंद कर दें.

वैसे दुनिया में कहीं भी राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का कानून नहीं बना है. अमेरिका के कैलिफोर्निया ने साल 2006 में ग्लोबल वार्मिंग सॉल्यूशन्स एक्ट लागू किया था जिसमें बहुत सारे जलवायु परिवर्तन संबंधी बड़े कदम उठाए गए थे. इस कानून का लक्ष्य साल 2020 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन के 1990 के स्तर तक ले जाने का था.