जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अमेरिका और चीन में सहमति

जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए चीन और अमेरिका ने दूसरे देशों के साथ मिलकर काम करने पर सहमति जताई हैं. यह सहमति चीन के जलवायु दूत शी झेनहुआ ​​और उनके अमेरिकी समकक्ष जॉन केरी के बीच शंघाई में हाल ही में हुई कई बैठकों के बाद बनी है. 18 अप्रैल को जारी एक संयुक्त बयान में दोनों ने उत्सर्जन कम करने के लिए भविष्य में उठाए जाने वाले विशेष कदमों पर भी अपनी सहमति जताई.

जलवायु परिवर्तन पर अमेरिका और चीन में सहमति: मुख्य बिंदु

  • दोनों देश ‘पेरिस समझौते’ के अनुरूप धरती के तापमान को तय सीमा के भीतर रखने के उद्देश्य से उत्सर्जन कम करने के लिए इस दशक में ठोस कार्रवाई करने पर अपनी चर्चा जारी रखेंगे.
  • दोनों देश विकासशील देशों को कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले ऊर्जा के स्रोतों को अपनाने के लिए धन मुहैया कराने पर भी सहमत हुए हैं.
  • वैज्ञानिकों ने चेताया है कि दुनिया के तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तर की तुलना में दो डिग्री से भी कम बढ़ने का लक्ष्य रखना चाहिए.
  • दोनों देशों ने स्वीकार किया है कि पूंजी के प्रवाह को ज्यादा कार्बन उत्सर्जित करने वाली परियोजनाओं की बजाय कम-कार्बन परियोजनाओं की ओर मोड़ना चाहिए. दोनों देशों ने अपने उत्सर्जन को और भी कम करने का वादा किया है.

चीन को 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए

हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया कि चीन को जलवायु पर अपने वादे पूरा करने के लिए कोयला से चलने वाले 588 बिजली घरों को बंद कर देना चाहिए. इस वक़्त अर्थव्यवस्था बढ़ाने के लिए इसके कई इलाकों में कई नए कोयला चालित बिजली घर बनाए जा रहे हैं.

अमेरिका द्वारा वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन विश्व पृथ्वी दिवस यानी 22 अप्रैल को एक वर्चुअल जलवायु सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं. इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित कई देशों के प्रमुखों के भाग लेने की उम्मीद है. हालांकि अब तक यह साफ नहीं है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस सम्मेलन में भाग लेंगे या नहीं.