46वां जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन 2021 ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित किया गया

46वां जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन (46th G7 summit) 11-13 जून को ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित किया गया था. यह इस सम्मेलन का 46वां संस्करण था. यह सम्मेलन ब्रिटेन की मेजवानी में आयोजित किया गया था जिसकी अध्यक्षता ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने की थी. इस वर्ष के शिखर सम्‍मेलन का विषय- ‘बिल्‍ड बैक बेटर’ यानी बेहतर भविष्‍य की ओर था.

इस वार्षिक सम्‍मेलन में सभी सदस्‍य देश – फ्रांस, इटली, कनाडा, अमरीका, जापान, जर्मनी और ब्रिटेन के नेता ने हिस्‍सा लिया. इसके आलावा यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वोन डेर लियन और यूरोपीय परिषद प्रमुख चार्ल्स माइकल ने भी सम्मेलन में भाग लिया.

सम्‍मेलन में शामिल नेता स्‍वास्‍थ्‍य और जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्‍यान देते हुए कोरोना महामारी से उबरने की तैयारियों पर अपने विचार रखे.

सम्मलेन के मुख्य बिंदु

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने मुख्य विचार-विमर्श की शुरूआत करते हुए कहा कि महामारी से उबरने के बाद वैश्विक रूप से सबके लिए समान व्यवस्था कायम करना और बेहतर स्थिति बहाल करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि जी-7 समूह एकजुट होकर जलवायु परिवर्तन की समस्याओं का समाधान करते हुए स्वच्छ और हरित विश्व का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ सकता है.

चीन के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना का अनावरण

जी-7 के नेताओं ने चीन के वैश्विक अभियान के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए एक बुनियादी ढांचा योजना (Build Back Better World- B3W) का अनावरण किया. उल्लेखनीय है कि जी-7 देश, विकासशील देशों को ऐसे बुनियादी ढांचे की स्कीम का हिस्सा बनने का प्रस्ताव देने की योजना बना रहे हैं, जो चीन की अरबों-खरब डॉलर वाली ‘बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) को टक्कर दे सके.

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जी-7 शिखर सम्मेलन में लोकतांत्रिक देशों पर बंधुआ मजदूरी प्रथाओं को लेकर चीन के बहिष्कार का दबाव बनाने की योजना तैयार की है.

वहीं, कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने चीन को लेकर हुई चर्चा की अगुवाई की. उन्होंने सभी नेताओं से अपील की कि वे चीन की ओर से बढ़ते खतरे को रोकने के लिए संयुक्त कदम उठाएं.

भारत को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रण

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने इस सम्‍मेलन में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी को आमंत्रित किया था. वर्तमान में ब्रिटेन इस समूह का अध्‍यक्ष देश है. इस बार के शिखर सम्‍मेलन के लिए भारत के साथ ऑस्‍ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और दक्षिण अफ्रीका को अतिथि देशों के रूप में आमंत्रित किया गया था.

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 जून को जी-7 देशों के शिखर सम्‍मेलन के ऑनलाईन आउटरीच सत्रों में हिस्सा लिया. यह दूसरा अवसर था जब प्रधानमंत्री मोदी, जी-7 सम्‍मेलन में शामिल हुए. वर्ष 2019 में भी तत्‍का‍लीन अध्‍यक्ष फ्रांस ने भारत को सद्भावना निमंत्रण दिया था. उस सम्मलेन में उन्होंने जलवायु, जैव विविधता और महासागर तथा डिजिटल रूपांतरण सत्रों में अपने विचार रखे थे.

प्रधानमंत्री मोदी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर सामूहिक कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया. जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भारत की स्‍पष्‍ट प्रतिबद्धता के बारे में श्री मोदी ने भारतीय रेलवे द्वारा 2030 तक शून्‍य उत्‍सर्जन का लक्ष्‍य निर्धारित करने की चर्चा की. उन्‍होंने कहा कि भारत जी-20 देशों में एकमात्र राष्‍ट्र है जिसने पेरिस समझौते की प्रतिबद्धताओं को पूरा किया है. उन्‍होंने भारत द्वारा पोषित दो प्रमुख वैश्विक संगठनों-आपदा प्रतिरोधक बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI) और अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन के प्रयासों की चर्चा की.

‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ का नारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-7 शिखर सम्मेलन 2021 के दौरान ‘एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य’ (One Earth One Health) का नारा दिया जिसका जर्मनी की चांसलर एंगेला मकेर्ल ने समर्थन किया. प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 जैसी महामारियों की भविष्य में रोकथाम के लिए लोकतांत्रिक और पारदर्शी समाजों को विशेष रूप से जिम्मेदार बताते हुए वैश्विक नेतृत्व एवं एकजुटता कायम करने का आह्वान किया.

प्रधानमंत्री ने कोविड संबंधी प्रौद्योगिकियों पर पेटेंट (TRIPS) छूट के लिए भारत, दक्षिण अफ्रीका द्वारा WTO में दिए गए प्रस्ताव के लिए जी-7 के समर्थन का आह्वान भी किया.

TRIPS क्या है?

TRIPS का पूर्ण रूप Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights है. यह बौद्धिक संपदा अधिकारों पर एक बहुपक्षीय समझौता है जिसमें मुख्य रूप से पेटेंट, कॉपीराइट और औद्योगिक डिजाइन शामिल हैं. यह समझौता जनवरी 1995 में लागू हुआ था.

ब्रिटेन ने अध्‍यक्ष के तौर पर चार प्राथमिकताएं

ब्रिटेन ने अध्‍यक्ष के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चार प्राथमिकताएं तय की हैं. इनमें भावी महामारियों से निपटने की तैयारियों के साथ कोरोना संक्रमण से उबरने में विश्‍व का नेतृत्‍व करना है, खुशहाल भविष्‍य के लिए स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष व्‍यापार को बढ़ावा देना, जलवायु परिवर्तन की समस्‍या का समधान और जैव विविधता का संरक्षण करना तथा साझा मूल्‍यों और मुक्‍त समाज का समर्थन करना है.

G7 संगठन: तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ‘G7’ सात विकसित देशों का समूह है जिसमें ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमरीका सदस्य देश हैं. भारत उन कुछ देशों में शामिल है जिन्‍हें शिखर सम्‍मेलन में विशेष रूप से आमंत्रित किया गया है.
  • गठन: वर्ष 1975 में फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति वैलेरी जिस्कार्ड डी एस्टेइंग के आह्वान पर विश्व के सर्वाधिक औद्योगीकृत, लोकतांत्रिक एवं गैर-समाजवादी 6 राष्ट्रों- फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, एवं जापान ने फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक बैठक का आयोजन किया जिसमें इस समूह का गठन हुआ.
  • कनाडा सदस्य बना: वर्ष 1976 में कनाडा को इस समूह में शामिल कर लिया गया. कनाडा की सहभागिता के पश्चात यह समूह ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा.
  • रूस सदस्य बना: वर्ष 1994 में ‘G7’ में रूस के शामिल होने से यह समूह ‘G8’ के नाम से जाना गया.
  • रूस निलंबित: 27 मार्च, 2014 को इस संगठन से रूस को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया गया. अब यह समूह पुनः ‘G7’ के नाम से जाना जाने लगा है.
  • मुख्यालय: ‘G7’ एक अनौपचारिक संगठन है जिसका कोई मुख्यालय अथवा सचिवालय नहीं है. इसके अध्यक्ष का चयन रोटेशन प्रणाली के आधार पर होता है.
  • अर्थशास्त्र: ‘G7’ देश में विश्व की जनसंख्या का 10.3% लोग रहते हैं. सदस्य देशों की GDP विश्व के GDP का 32.2% है, जबकि विश्व के निर्यात में 34.1% तथा आयात में 36.7% हिस्सा है.