लद्दाख से इनर लाइन परमिट की व्यवस्था को खत्म किया गया

लद्दाख प्रशासन ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के संरक्षित क्षेत्रों से इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit – ILP) की आवश्यकता को हटा दिया है. लद्दाख में आने वाले लोगों को यहां की यात्रा के लिए एक विशेष इनर लाइन परमिट लेना होता था.

लद्दाख के जिन हिस्सों के लिए अब तक इनर लाइन परमिट की जरूरत थी, उनमें नुब्रा वैली, खारदुंग ला, तुर्तुक, दाह और पैंगोंग TSO के इलाके शामिल थे.

इनर लाइन परमिट की व्यवस्था खत्म होने पर अब यात्रियों के यहां आने पर किसी सरकारी दस्तावेज की अनिवार्यता नहीं होगी और शुल्क भी बचेगा. इससे पर्यटन के विकास में मदद भी मिलेगी.

क्या होता है इनर लाइन परमिट?

इनर लाइन परमिट एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज (Official Travel Document) होता है. इस परमिट को जिसे संबंधित राज्य सरकार जारी करती है. इस तरह का परमिट भारतीय नागरिकों को देश के अंदर के किसी संरक्षित क्षेत्र में एक तय समय के लिए यात्रा की इजाजत देता है. इस परमिट के एवज में कुछ शुल्क भी सरकारों द्वारा लिया जाता है. लद्दाख के अलावा इनर लाइन परमिट की व्यवस्थाएं पूर्वोत्तर के भी कुछ राज्यों में हैं.

1873 में बना था ब्रिटिश राज का नियम

इनर लाइन परमिट की व्यवस्था को 1873 में ब्रिटिश भारत के कालखंड में लागू किया गया था. इसे तत्कालीन सरकार ने अपने व्यापारिक हितों को संरक्षित करने के लिए बनाया था, जिससे कि प्रतिबंधित इलाकों में भारत के लोगों को व्यापार करने से रोका जाय सके.