फ्रांस-अमेरिका गतिरोध, फ्रांस ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने राजदूतों को वापस बुलाया

फ्रांस ने ‘ऑकस’ (AUKUS) सुरक्षा समझौते के विरोध में अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है. यह निर्णय हाल ही में ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच हुए त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी ‘ऑकस’ (AUKUS) के विरोध में लिया गया है.

क्या है मामला?

ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ अरबों डॉलर की डील खत्म करके AUKUS-गठबंधन के तहत परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों के लिए नई डील की है. ऑस्ट्रेलिया ने फ्रांस के साथ ये डील डीजल चालित पनडुब्बियों के लिए की थी. दरअसल चीन से टक्कर लेने को ऑस्ट्रेलिया ने परमाणु- पनडुब्बियों के लिए, अमेरिका के साथ डील की है.

ऑकस-गठबंधन के तहत ऑस्‍ट्रेलिया को परमाणु चालित पनडुब्‍बी बनाने की टेक्‍नॉलोजी उपलब्ध कराई जानी है. फ्रांस की सरकार का कहना है कि ऑस्ट्रेलिया ने उसके साथ अरबों डॉलर की डील खत्म करके उसे धोखा दिया है.

ऑकस (AUKUS) क्या है?

‘ऑकस’ (AUKUS) ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय सुरक्षा साझेदारी है. अमरीकी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्‍कॉट मॉरीसन ने इसकी घोषणा हाल ही में की थी. ऑकस संधि मोटे तौर पर दक्षिण चीन सागर में चीन का प्रभाव रोकने के उद्देश्‍य से की गई है.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए इस समझौते से फ्रांस बेहद नराज है. फ्रांस को उम्मीद थी कि समझौते के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के साथ उसकी नजदीकी बढ़ेगी.

परमाणु और डीजल पनडुब्बी क्या है?

प्रत्येक परमाणु पनडुब्बी में एक छोटा न्यूक्लियर रिएक्टर होता है. जिसमें ईंधन के रूप में अत्यधिक समृद्ध यूरेनियम का उपयोग करते हुए बिजली पैदा की जाती है. इससे पूरी पनडुब्बी को पावर की सप्लाई की जाती है.

पारंपरिक या डीजल पनडुब्बी में पावर की सप्लाई बैटरी से की जाती है जिसे चार्ज करने के लिए डीजल जनरेटर का उपयोग किया जाता है. किसी दूसरी बैटरी की तरह इसे रीचार्ज करने के लिए पनडुब्बियों को सतह पर आना पड़ता है. ऐसे में दुश्मन देश के पनडुब्बी खोजी विमान या युद्धपोत उन्हें आसानी से देख सकते हैं.