भारत का पहला परमाणु मिसाइल ट्रैकिंग जहाज INS ध्रुव को नौसेना में शामिल किया गया

भारत के पहले उपग्रह और बैलिस्टिक (परमाणु) मिसाइल ट्रैकिंग जहाज ‘ध्रुव’ को 10 सितम्बर को नौसेना में शामिल कर लिया गया. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की उपस्थिति में विशाखापत्तनम में इस जहाज को शामिल किया गया. 10,000 टन वजनी इस जहाज में लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता है.

INS ध्रुव: एक दृष्टि

INS ध्रुव का विकास रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) और राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (NTRO) के सहयोग से हिंदुस्तान शिपयार्ड ने किया है. निर्माण की शुरुआत के दौरान इस जहाज का नाम वीसी-11184 दिया गया था. इसकी लंबाई 175 मीटर, बीम 22 मीटर, ड्राफ्ट छह मीटर है और यह 21 समुद्री मील की गति प्राप्त कर सकता है.

  • इस तरह के जहाज का संचालन करने वाला भारत छठा देश बन गया है. इससे पहले ऐसे जहाजों का संचालन केवल फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और चीन द्वारा किया जाता था.
  • यह दुश्मन पनडुब्बियों की विस्तृत जानकारी का पता लगाने के लिए समुद्र तल का नक्शा बनाने की क्षमता रखता है. यह अत्याधुनिक सक्रिय स्कैन एरे रडार या एईएसए से लैस है, जो भारत पर नजर रखने वाले जासूसी उपग्रहों की निगरानी के साथ-साथ पूरे क्षेत्र में मिसाइल परीक्षणों की निगरानी के लिए विभिन्न स्पेक्ट्रम को स्कैन करने की क्षमता रखता है.
  • आईएनएस ध्रुव भारतीय नौसेना को तीनों आयामों- सतह के नीचे, सतह और हवा में बेहतर सैन्य संचालन की योजना बनाने में मदद करेगा
  • यह भारतीय शहरों और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर जाने वाली दुश्मनों की मिसाइलों के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के रूप में कार्य करेगा. यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री जानकारियों के लिए एक महत्वपूर्ण साधन होगा.
  • यह मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ पृथ्वी की निचली कक्षा में सैटेलाइटों की निगरानी भी करेगा. लंबी दूरी तक परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को ट्रैक करने की क्षमता होने से भारत की एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल क्षमता बढ़ेगी.
  • जमीनी जंग के बीच चीन और पाकिस्तान समुद्री रास्ते का इस्तेमाल करते हुए भारत पर नौसैनिक शिप से बैलिस्टिक मिसाइल दाग सकते हैं. ऐसे में भारत का यह ट्रैकिंग और सर्विलांस शिप भारत की जमीनी सीमा को किसी मिसाइल या एयरक्राफ्ट के हमले से सुरक्षित करेगा.