मूडीज़ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ के रूप में प्रोन्नत किया

मूल्यांकन एजेंसी ‘मूडीज़’ ने भारतीय अर्थव्यवस्था की रेटिंग (Moody’s India Rating) को ‘नकारात्मक’ से ‘स्थिर’ के रूप में प्रोन्नत किया है. मूडीज ने भारत को BAA3 रेटिंग दी हुई है.

मुख्य बिंदु

  • मूडीज इन्वेस्टर सर्विसेज ने भारत सरकार की साख को लेकर परिदृश्य में बदलाव किया और इसे नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में किया है. साथ ही देश की विदेशी मुद्रा तथा स्थानीय मुद्रा दीर्घकालीन निर्गमकर्ता रेटिंग और स्थानीय मुद्रा रेटिंग (सीनियर अनसिक्योर्ड) BAA3 पर बरकरार रखी गयी है.
  • मूडीज के अनुसार भारत में बेहतर पूंजी और नकदी की अच्छी स्थिति से बैंक तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के स्तर पर जोखिम पूर्व के अनुमान के मुकाबले कम हुए हैं.
  • उल्लेखनीय है कि मूडीज इनेवेस्टर्स सर्विस ने 2020 भारत की साख को ‘BAA2’ से कम कर ‘BAA3’ कर दिया था. इससे पहले मूडीज ने मई 2021 के दौरान भारत की रेटिंग को घटाकर नकारात्मक (निगेटिव) ‘BAA3-‘ कर दिया था.

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग क्या होती है?

विभिन्न देशों की उधार चुकाने की क्षमता के आधार पर सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग तय की जाती है. रेटिंग एजेंसियां इसके लिए इकॉनोमी, मार्केट और राजनीतिक जोखिम को आधार मानती हैं. एजेंसियां क्रेडिट किसी देश की रेटिंग तय करते समाया उस देश के मूलधन और ब्याज जुकाने की क्षमता पर फोकस करती हैं. यह रेटिंग यह बताती है कि एक देश भविष्य में अपनी देनदारियों को चुका सकेगा या नहीं?

सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग टॉप इन्वेस्टमेंट ग्रेड से लेकर जंक ग्रेड तक होती है. जंक ग्रेड को डिफॉल्ट श्रेणी में माना जाता है. सामान्य तौर पर इकॉनोमिक ग्रोथ, बाहरी कारण और सरकारी खजाने में ज्यादा बदलाव पर रेटिंग बदलती है.

अच्छी क्रेडिट रेटिंग का महत्व

कई देश अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए दुनियाभर के निवेशकों से कर्ज लेते हैं. यह निवेशक कर्ज देने से पहले रेटिंग पर गौर करते हैं. ज्यादा रेटिंग पर कम जोखिम माना जाता है. इससे ज्यादा रेटिंग वाले देशों को कम ब्याज दरों पर कर्ज मिल जाता है.

भारत के लिए रेटिंग का महत्व

सामान्य तौर पर भारत सरकार विदेशी बाजारों से कर्ज नहीं लेती है. इसलिए क्रेडिट रेटिंग का ज्यादा महत्व नहीं है. लेकिन कम रेटिंग के कारण स्टॉक मार्केट से विदेशी निवेशकों के बाहर जाने की संभावना बनी रहती है. इसके अलावा नए निवेश के बंद होने की आशंकी भी रहती है.

मुख्य क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां

Standard & Poor’s (S&P), Fitch और Moody’s Investors सॉवरेन रेटिंग तय करने वाली विश्व की मुख्य एजेंसियां हैं.

S&P और फिच रेटिंग के लिए BBB+ को मानक रखती हैं, जबकि मूडीज का मानक Baa1 है. यह सबसे ऊंची रेटिंग है जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड को दर्शाती है.