अंडमान निकोबार के पर्यटन स्थल ‘माउंट हैरियट’ का नाम बदलकर ‘माउंट मणिपुर’ किया गया

केंद्र सरकार ने हाल ही में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ‘माउंट हैरियट’ का नाम बदलकर ‘माउंट मणिपुर’ कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पोर्ट ब्लेयर की यात्रा के दौरान यह घोषणा की गई थी.

माउंट हैरियट क्या है?

1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध में महाराजा कुलचंद्र ध्वज सिंह सहित कई मणिपुर के लोगों ने अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी. इस युद्ध के बाद इन सभी को सजा के तौर पर अंडमान निकोबार के सेलुलुर जेल (कालापानी) भेजा गया था. लेकिन इस जेल के बनने में देरी थी, इस कारण से कैदियों को माउंट हैरियट पर रखा गया था.

माउंट हैरियट दक्षिण अंडमान जिले की फेरगुंज तहसील में एक पहाड़ी है. ब्रिटिश राज के दौरान यह चीफ कमिशनर की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करती थी. इसका नाम ब्रिटिश कलाकार और फोटोग्राफर, हैरियट क्रिस्टीना टाइटलर के नाम पर रखा गया था

एंग्लो-मणिपुर युद्ध 1891

एंग्लो-मणिपुर युद्ध 1891 में एक महीने से अधिक तक मणिपुर के लोगों और अंग्रेजों के बीच लड़ा गया था. इसकी शुरुआत महल के तख्तापलट से शुरू हुई थी और जिसका फायदा उठाकर अंग्रेजों ने हमला कर मणिपुर को अपना नया रियासत बना लिया था.

अंग्रेजों ने राजा कुलचंद्र और उनके भाइयों सहित कुल 23 लोगों को जीवन भर के लिए अंडमान ले जाया गया था. कुलचंद्र को बाद में रिहा कर दिया गया और मौत से पहले कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया. इन 23 लोगों को मणिपुर में युद्ध नायक माना जाता है. यही कारण है कि माउंट हैरियट 1891 के एंग्लो-मणिपुर युद्ध का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है.