डेली कर्रेंट अफेयर्स
26वां अंतरराष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन ग्लासगो में आयोजित किया जा रहा है
जलवायु परिवर्तन से संबंधित 26वां शिखर सम्मेलन (कॉप-26) 31 अक्तूबर से 12 नवंबर तक स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित किया जा रहा है. इसका आयोजन ब्रिटेन और इटली की सह अध्यक्षता में किया जा रहा है. इसमें 120 से अधिक देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग ले रहे हैं. धरती के बढ़ते तापमान को नियंत्रित करने की दिशा में ग्लास्गो शिखर सम्मेलन को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
जलवायु परिवर्तन के विषय पर उभरा यह वैश्विक मंच इस बार पेरिस के समझौते को पूरा करने से जुड़े दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने और जलवायु वित्तीय संग्रहण तथा बढ़ते वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने से जुड़े तय लक्ष्यों पर की रूप रेखा तय की जाएगी.
मुख्य बिंदु
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस सम्मेलन में हिस्सा लिया था. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शिखर सम्मेलन से अलग स्विटजरलैंड, फिनलैंड, इस्राइल, नेपाल और अन्य राष्ट्रों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्त बैठक की. श्री मोदी ने इजराइल के प्रधानमंत्री नेफ्ताली बैनेट से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की और उच्च प्रौद्योगिकी के साथ ही नवाचार के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत की.
- श्री मोदी ने यूक्रेन के प्रधानमंत्री वोलोडीमिर जेलेनेस्की के साथ द्विपक्षीय तथा क्षेत्रीय मुद्दों के बारे में विचार विमर्श किया. उन्होंने दोनों देशों के बीच कोविड महामारी के दौरान कोविड टीकाकरण प्रमाण-पत्रों को परस्पर आधार पर मान्यता दिये जाने की सराहना की. श्री मोदी ने फिनलैंड की प्रधानमंत्री सना मारिन से भी मुलाकात की.
- श्री मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने के उपायों पर विचार किया. दोनों नेताओं ने जलवायु, कोविड पर भी चर्चा की.
- प्रधानमंत्री ने माइक्रोसॉफ्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स के साथ भी मुलाकात की. दोनों पक्षों ने सतत विकास को और आगे बढ़ाने तथा जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के तरीकों के बारे में विचार-विमर्श किया.
- ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने 2050 तक ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को समाप्त करने के लिए अपने देश की दीर्घावधि प्रतिबद्धता योजना जारी की.
एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मेलन के दौरान ‘एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड’ (One Sun, One World and One Grid) दृष्टिकोण के तहत ‘ग्लोबल ग्रीन ग्रिड इनिशिएटिव’ का शुभारंभ किया. इसमें सौर ऊर्जा के लिए एक विश्वव्यापी ग्रिड की कल्पना की गयी है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सौर ऊर्जा पूरी तरह से स्वच्छ और सतत है. चुनौती यह है कि यह ऊर्जा केवल दिन के समय उपलब्ध है और मौसम पर निर्भर है. उन्होंने कहा, ‘वन सन, वन वर्ल्ड एंड वन ग्रिड’ इस समस्या का समाधान है और विश्वव्यापी ग्रिड के माध्यम से स्वच्छ ऊर्जा को कहीं भी और कभी भी प्रेषित किया जा सकता है.
संवेदनशील द्वीप देशों के लिए अवसंरचना पहल का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन से अलग संवेदनशील द्वीप देशों के लिए अवसंरचना (IRIS) पहल का शुभारंभ किया. इसका उद्देश्य विकासशील छोटे द्वीप देशों के बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए एक गठबंधन बनाना है. यह गठबंधन जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं का सामना करने वाले संवेदनशील द्वीप देशों को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करने में मदद करेगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ऐसे छोटे द्वीप देशों (सिड्स) के लिए विशेष आंकडे एक ही जगह उपलब्ध कराएगा. इसरो, सिड्स के लिए एक स्पेशल डेटा विन्डो का निर्माण करेगी. इससे सिड्स को सेटेलाइट्स के माध्यम से साइक्लोन, कोरल रीफ, मॉनिटरिंग, कोस्टलाइन मॉनिटरिंग आदि के बारे में टाइमली जानकारी मिलती रहेगी.
2030 तक वनों की कटाई रोकने का वायदा
विश्व के एक सौ से अधिक देशों के नेताओं ने शिखर सम्मेलन में पहला बड़ा समझौता किया. इसमें 2030 तक वनों की कटाई रोकने और वनों का दायरा बढ़ाने का वायदा किया गया है.
समझौते के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सार्वजनिक और निजी सहायता से 19 अरब 20 करोड़ डॉलर की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है. समझौते पर ब्राजील ने भी हस्ताक्षर किए हैं, जहां अमेजन के उष्णकटिबंधीय वन की कटाई की गई है.
ग्लास्गो में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु सम्मेलन के आयोजक ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा कि पहले से कहीं ज्यादा कुल 110 देशों के नेताओं ने इस ऐतिहासिक प्रतिबद्धता पर सहमति व्यक्त की है.
भारत वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त देश बन जाएगा
ग्लास्गो जलवायु सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत वर्ष 2070 तक कार्बन उत्सर्जन मुक्त देश बन जाएगा. वर्ष 2030 तक अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में से एक अरब टन की कमी की जायेगी. सम्मेलन में श्री मोदी ने राष्ट्रीय वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए पांच मंत्रों का जिक्र किया.
- भारत, 2030 तक अपनी नॉन फॉसिल एनर्जी कैपेसिटी को 500 गीगावाट तक पहुंचाएगा.
- भारत, 2030 तक अपनी 50 परसेंट एनर्जी रिक्वायरमेंट रिन्यूएबल एनर्जी से पूरी करेगा.
- भारत अब से लेकर 2030 तक के कुल प्रोजेक्टेड कार्बन एमिशन में एक बिलियन टन की कमी करेगा.
- 2030 तक भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन इंटेन्सिटी को 45 परसेंट से भी कम करेगा और
- वर्ष 2070 तक भारत, कार्बन उत्सर्जन मुक्त (नेट जीरो) देश का लक्ष्य हासिल करेगा. ये पंचामृत, क्लाइमेट एक्शन में भारत का एक अभूतपूर्व योगदान होंगे.
पेरिस समझौता इस वर्ष से लागू होने जा रहा है
प्रधानमंत्री ने 2015 में पेरिस में आयोजित कॉप-21 सम्मेलन में हिस्सा लिया था, जिसमें पेरिस समझौते को अंतिम रूप दिया गया था. कॉप-26 में समझौते से संबद्ध देश पेरिस समझौता क्रियान्वयन दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप देने का प्रयास करेंगे.
इसमें जलवायु कार्य योजना के लिए धन जुटाने, जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देने, प्रौद्योगिकी विकास और हस्तांतरण तथा धरती के तापमान में वृद्धि को सीमित करने संबंधी पेरिस समझौते के लक्ष्य प्राप्त करने के उपायों पर भी विचार किया जायेगा.
पेरिस समझौते के अंतर्गत देशों द्वारा उत्सर्जन कम करने का स्वयं निर्धारित लक्ष्य है. पेरिस समझौते के अनुसार सभी देशों के लिये राष्ट्रीय प्रतिबद्धता योगदान तय करना और बनाए रखना आवश्यक है.
भारत के, वर्ष 2005 की तुलना में मौजूदा एनडीसी में वर्ष 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद के 33 से 35 प्रतिशत तक उत्सर्जन कम करने का लक्ष्य शामिल है. भारत वर्ष 2030 तक विद्युत उत्पादन में चालीस प्रतिशत हिस्सेदारी गैर-खनिज ईंधन से करने के लिए प्रतिबद्ध है. इससे वातावरण में कार्बन गैस हटाने में मदद मिलेगी.
नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन
संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन या कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज-कोप 26 में नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन पर चर्चा होनी है. नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन का तात्पर्य है कि पृथ्वी का तापमान कम करने के लिए मानव निर्मित सभी कार्बन गैस, वातावरण से हटा दी जाए.
भारत जैसे विकासशील देशों के लिए विकास प्राथमिक लक्ष्य है, जो 2050 तक नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन को बल दे रहा है. इसके अलावा भारत उन देशों में शामिल है, जहां प्रति व्यक्ति कार्बन उत्सर्जन सबसे कम है. इस लक्ष्य के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे ज्यादा आबादी वाले देश भारत को अपनी आबादी के लिए विकास विकास गतिविधियों में कम से कम कार्बन उत्सर्जन करेगा.
जलवायु वित्त या क्लाइमेंट फाइनेंस क्या है?
जलवायु वित्त या क्लाइमेंट फाइनेंस का तात्पर्य उन सभी गतिविधियों, कार्यक्रमों या परियोजनाओं के लिए धन का प्रवाह सुनिश्चित करना से है जो जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करती हैं. इनमें जलवायु परिवर्तन के संबंध में तापमान कम करने जैसी दुनियाभर में की जा रही गतिविधियां शामिल हैं. इनके लिए धन विविध प्रकार के स्रोतों, सार्वजनिक और निजी, द्विपक्षीय और बहुपक्षीय तथा वित्त के वैकल्पिक स्रोतों से आ सकता है.
2015 के पेरिस समझौते में विकसित देशों ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के उद्देश्य से विकासशील देशों के लिए 2020 तक संयुक्त रूप से 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता व्यक्त की थी. इसके बाद यह अवधि बढ़ाकर 2023 कर दी गई थी.
भारत निरंतर जलवायु परिवर्तन से निपटने में विकासशील देशों के लिए धनी देशों से ज्यादा योगदान की अपील करता रहा है.
जानिए क्या है UNFCCC COP और पेरिस समझौता…»
धनवंतरि जयंती के दिन राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस मनाया जाता है
प्रत्येक वर्ष धनवंतरि जयंती (धनतेरस) के दिन ‘राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस’ मनाया जाता है. इस वर्ष यानी 2021 में यह दिवस 2 नवम्बर को मनाया गया. यह दिवस आयुर्वेद के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जागरुकता लाने और आयुर्वेदिक जीवन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मनाया जाता है. राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस 2021 का मुख्य विषय ‘पोषण के लिए आयुर्वेद’ है. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने इस दिवस की शुरुआत 2016 में हुई थी.
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सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए उनासी अरब पैंसठ करोड़ रुपए का अनुमोदन
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रक्षा खरीद परिषद ने सशस्त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए सात हजार नौ सौ पैंसठ करोड़ रुपए की लागत के प्रस्तावों का अनुमोदन किया है. यह सभी प्रस्ताव मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत मंजूर किए गए हैं. इनमें भारत में डिजाइन, विकास और विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जायेगा.
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एलन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स भारत में अपनी सहायक कंपनी ‘स्टारलिंक’ स्थापित की है. यह भारत में ब्रॉडबैंड सेवा प्रदान करेगी. इसका नाम स्टारलिंक सेटेलाइट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड है. Starlink इंटरनेट की सेवाएं SpaceX कंट्रोल करती है जो कि एक एयरोस्पेस कंपनी है. SpaceX की स्थापना 2002 में एलन मस्क ने की थी.
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मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (MCC) ने 18 क्रिकेटरों को आजीवन सदस्यता के लिए चुना है. इस सूची में 2 भारतीय क्रिकेटरों – हरभजन सिंह और जवागल श्रीनाथ के नाम है.