कर्नाटक विधानसभा ने धार्मिक स्वतंत्रता संरक्षण विधेयक पारित किया

कर्नाटक विधानसभा ने 23 दिसम्बर को ‘कर्नाटक धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021’ पारित किया था. यह विधेयक जबरन धर्मांतरण को अपराध घोषित करता है.

विधेयक में नियम का उल्लंघन करने वाले नाबालिग पर तीन से पांच साल तक की कैद और 25000 रुपये जुर्माना लगाने का प्रावधान है. वहीं महिला, एससी एसटी दोषियों को तीन से 10 वर्ष की कैद और कम से कम 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है. साथ ही दोषी को उस व्यक्ति को पांच लाख रुपये तक का हर्जाना देना पड़ेगा जिसका धर्म परिवर्तन कराया गया.

एक साथ बड़ी संख्या में लोगों का धर्म परिवर्तन कराने वाले को तीन से दस साल की कैद और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान विधेयक में किया गया है.

इसके अलावा अगर विवाह के लिए धर्मांतरण कराया गया तो ऐसी शादी को गैर कानूनी माना जाएगा. इस बिल के तहत सभी अपराध गैर जमानती होंगे.

संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत धर्म को मानने, प्रचार करने और अभ्यास करने की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. हालाँकि कोई भी व्यक्ति अपने धार्मिक विश्वासों को ज़बरन लागू नहीं कर सकता है और परिणामस्वरूप व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी भी धर्म का पालन करने के लिये मजबूर नहीं किया जाना चाहिये.