नाटो ने रूस के साथ काम करने के लिए नए सुरक्षा प्रस्ताव के तहत शर्तें तय कीं

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने रूस के साथ काम करने के लिए अपने नए सुरक्षा प्रस्ताव के तहत शर्तें तय की है. नाटो के महासचिव जेन्स स्टोल्टेनबर्ग ने 17 दिसम्बर को ये शर्तें तय कीं और आपसी भरोसा बढ़ाने के लिए मॉस्को के साथ काम करने की पेशकश की. उन्होंने कहा कि साथ काम करने से यूक्रेन को लेकर पैदा हुए तनाव को कम करने में मदद मिलेगी.

रूस ने भी सुरक्षा समझौता मसौदा देकर बातचीत की इच्छा जताई है. रूस ने भी एक मसौदा दस्तावेज दिया है जिसमें सुरक्षा व्यवस्था का खाका है. इसमें उसने अमेरिका और नाटो साझेदारों से बातचीत करने की मंशा प्रकट की है.

स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, नाटो के 30 सदस्य देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि रूस को तनाव कम करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, हम विश्वास बहाली के कदमों को मजबूत करने के लिए काम करने को तैयार हैं.

उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) क्या है?

नाटो या NATO, North Atlantic Treaty Organization (उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन) का संक्षिप्त रूप है. यह 30 यूरोपीय और उत्तरी अमरीकी देशों का एक सैन्य गठबन्धन है जो रूसी आक्रमण के खिलाफ दूसरे विश्वयुद्ध के बाद 1949 में बनाया गया था. इसका मुख्यालय ब्रुसेल्स (बेल्जियम) में है. नाटो सदस्य देशों ने सामूहिक सुरक्षा की व्यवस्था बनाई है, जिसके तहत बाहरी हमले की स्थिति में सदस्य देश सहयोग करते हैं.

नाटो के सदस्य देश

मूल रूप से नाटो में 12 सदस्य (फ्रांस, बेल्जियम, लक्जमर्ग, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, डेनमार्क, आइसलैण्ड, इटली, नार्वे, पुर्तगाल और संयुक्त राज्य अमेरिका) थे जो अब बढ़कर 30 हो गए हैं. सबसे हालिया सदस्य उत्तर मैसेडोनिया है जिसे 2020 में संगठन में जोड़ा गया था.

नाटो के अन्य सदस्य देश- ग्रीस, तुर्की, जर्मनी, स्पेन, चेक गणराज्य, हंगरी, पोलैंड, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया, अल्बानिया और क्रोएशिया, मोंटेनेग्रो और उत्तर मैसेडोनिया.