चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया-जापान ने एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए

चीन के खिलाफ 10 जनवरी को ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एक बड़े रक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के एयरबेस, बंदरगाहों, रसद और बुनियादी सुविधाओं तक गहरी पहुंच की अनुमति देता है. इस डील से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन को साधने में मदद मिलने की संभावना है, क्योंकि चीन बहुत तेजी से अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ा रहा है.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने ऑनलाइन एक सम्मेलन में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. यह अमेरिका के अलावा किसी भी देश के साथ जापान द्वारा हस्ताक्षरित ऐसा पहला रक्षा समझौता है.

मुख्य बिंदु

  • ऑस्ट्रेलिया और जापान के बीच हुए रक्षा समझौते के कारण दोनों देशों की सेनाएं एक साथ प्रशिक्षण, अभ्यास और संचालन में भी तेजी ला सकती हैं. ऐसे में अगर भविष्य में चीन के साथ कोई युद्ध होता है तो दोनों देश एक साथ मिलकर प्रभावी और तेज जवाबी कार्रवाई भी कर सकते हैं.
  • इसका उद्देश्य कानूनी बाधाओं को खत्म करना है, ताकि एक देश के सैनिकों को प्रशिक्षण और अन्य उद्देश्यों के लिए दूसरे में प्रवेश करने की अनुमति मिल सके.
  • इंडो-पैसिफिक में चीन की बढ़ती आक्रामकता से सबसे अधिक खतरा भारत को है. ऐसे में भारत से भी अपेक्षा की जा रही है कि वह दुनिया के बाकी चीन विरोधी देशों के साथ रक्षा सहयोग को मजबूत करे.