स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागशीर का परीक्षण शुरू किया गया

स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी आईएनएस वागशीर (INS Vagsheer) को 20 अप्रैल को मुंबई में समुद्र में उतारा गया. अब इसका समुद्री परीक्षण होगा और इसके बाद इसे मार्च 2024 तक नौसेना के बेड़े में शामिल किया जा सकेगा.

आईएनएस वागशीर: एक दृष्टि

  • यह समुद्री सीमा की निगरानी से लेकर हमले तक की क्षमताओं से लैस है. इसे मुंबई की मझगांव गोदी में आत्मनिर्भर भारत के तहत बनाया गया है.
  • वागशीर, प्रोजेक्ट -75  (P-75) की स्कॉर्पीन श्रेणी की अंतिम पनडुब्बी है. पी-75 परियोजना के तहत अब तक चार पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं. इनमें आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज और आईएनएस वेला शामिल हैं. आईएनएस वागीर का अभी परीक्षण चल रहा है.
  • यह दुनिया की अत्याधुनिक पनडुब्बियों में से एक है. सोनार तकनीक के जरिए यह दुश्मन को चकमा देने में सक्षम है.
  • वागशीर पनडुब्बी को हमलावर पनडुब्बी या हंटर-किलर कहा गया है. यह दुश्मन सेना के युद्धपोतों को समुद्र में डुबोने के काम आएगी.
  • इसकी लंबाई 221 फीट और ऊंचाई 40 फीट है. यह समुद्र में 20 समुद्री मील (37 किमी प्रति घंटे) की गति से चलेगी. यह समुद्र में 350 फीट गहराई तक जा सकती है. 50 दिनों तक पानी में रह सकती है.