गीतांजलि श्री के उपन्यास ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

भारतीय हिंदी लेखिका गीतांजलि श्री को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह पुरस्कार उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ के लिए दिया गया है.

गीतांजलि श्री को 26 मई को लंदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया. ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ यह पुरस्कार जीतने वाला किसी भी भारतीय भाषा से अनुवादित पहला उपन्यास है.

अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022: मुख्य बिंदु

  • गीतांजलि श्री न केवल हिंदी की पहली पुरस्कार विजेता हैं, बल्कि यह पहली बार है कि किसी भारतीय भाषा में लिखी गई पुस्तक ने बुकर पुरस्कार जीता है.
  • गीतांजलि श्री की यह पुस्तक मूल रूप से हिंदी में ‘रेत समाधि’ के नाम से प्रकाशित हुई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद ‘टॉम्ब ऑफ सैंड’ डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया है.
  • ‘रेत समाधि’ उत्तर भारत की एक 80 साल की महिला की कहानी है जो अपने पति की मौत के बाद तनाव में चली जाती है और एक नया जीवन शुरू करना चाहती है.
  • पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड (करीब 49.57 लाख रुपए) की राशि प्रदान की जाएगी, जो लेखक (गीतांजलि श्री) और अनुवादक (डेजी रॉकवेल) के बीच समान रूप से विभाजित होगी.

अन्तर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार: एक दृष्टि

  • यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष किसी भी भाषा के काल्पनिक कथा उपन्यास को दिया जाता है जिसका अनुवाद अंग्रेजी में हुआ है और प्रकाशन ब्रिटेन अथवा आयरलैंड में हुआ हो. यह पुरस्कार ‘मूल बुकर पुरस्कार’ से अलग है.
  • इस पुरस्कार विजेता को 50,000 पाउंड की इनाम राशि प्रदान की जाती है. नियमों के अनुसार यह ईनाम राशि लेखक और अनुवादक के बीच बराबर-बराबर बांटी जाती है.

गीतांजलि श्री: एक दृष्टि

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में जन्मी गीतांजलि जानी-मानी उपन्यासकार हैं. ‘वैराग्य’ और ‘यहां हाथी रहते थे’ जैसे कहानी संग्रहों में उनके द्वारा लिखी गयी मुख्य कहानियां हैं. गीतांजलि श्री का पहला उपन्यास ‘माई’ था. ‘हमारा शहर उस बरस’, ‘तिरोहित’ और ‘खाली जगह’ उनके द्वारा लिखित अन्य मुख्य उपन्यास हैं.

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