जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट जारी, विधानसभा में सदस्यों की बढ़कर 90 हुई

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर के विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन पर अंतिम रिपोर्ट जारी कर दी है. 5 मई को आयोग ने एक बैठक के बाद रिपोर्ट को जारी की. आयोग के लिए 6 मई 2022 तक अंतिम रिपोर्ट सौंपने की समय सीमा निर्धारित थी. रिपोर्ट के जारी होने के साथ ही केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराए जाने का रास्ता साफ हो गया है.

जम्मू कश्मीर परिसीमन आयोग की रिपोर्ट: मुख्य बिंदु

  • राज्य पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार विधानसभा की 7 सीटें बढ़ाई जानी हैं. इससे विधानसभा में सदस्यों की संख्या 83 से बढ़कर 90 की जानी हैं. परिसीमन आयोग ने जम्मू संभाग में 6 व कश्मीर संभाग में 1 विधानसभा सीट को बढ़ाया है.
  • केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले विधानसभा में सीटों की संख्या 87 थी जिसमें चार सीटें लद्दाख की थीं. लद्दाख के अलग होने से 83 सीटें रह गईं, जो बढ़ने के बाद 90 हो जाएंगी.
  • पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए जम्मू कश्मीर में 9 विधानसभा सीटों को आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है, जबकि अनुसूचित जाति के लिए पहले की तरह ही 7 विधानसभा सीटें आरक्षित रखी गई हैं. जम्मू कश्मीर की नई विधानसभा में कश्मीरी पंडितों और पीओजेके विस्थापितों को प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है.
  • जम्मू-कश्मीर की लोकसभा सीटों में भी परिसीमन आयोग ने फेरबदल किया है. अब कश्मीर व जम्मू दोनों संभागों के हिस्से ढाई-ढाई लोकसभा सीटें (कुल 5 सीट) होंगी. पहले जम्मू संभाग में उधमपुर डोडा व जम्मू तथा कश्मीर में बारामुला, अनंतनाग व श्रीनगर की सीटें थीं. प्रत्येक लोकसभा सीट में 18 विधानसभा सीटें होंगी.

क्या होता है परिसीमन?

  • विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की प्रक्रिया परिसीमन कहलाती है. केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद प्रदेश में एक बार फिर परिसीमन के लिए आयोग बनाया गया है. इस बार सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जज रंजना प्रकाश देसाई इस आयोग के अध्यक्ष हैं.
  • जम्मू-कश्मीर में आखिरी बार परिसीमन 1995 में हुआ था. उस समय जम्मू-कश्मीर में 12 जिले और 58 तहसीलें हुआ करती थीं. वर्तमान में प्रदेश में 20 जिले हैं और 270 तहसील हैं. पिछला परिसीमन 1981 की जनगणना के आधार पर हुआ था. इस बार परिसीमन 2011 की जनगणना के आधार पर किया गया है.