गांधीनगर में विश्‍व के पहले नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने 28 मई को गुजरात में नैनो तरल यूरिया संयंत्र का उद्घाटन किया. यह विश्‍व का पहला नैनो तरल यूरिया संयंत्र है जो गांधीनगर के कलोल में लगाया गया है. यह संयंत्र इफको (IFFCO) द्वारा शुरू किया गया है.

175 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया गया इस अति आधुनिक नैनो फर्टिलाइजर प्लांट से किसानों को फसल की पैदावार बढ़ाने में मदद मिलेगी. इस प्लांट से प्रतिदिन 500 मिली लीटर नैनो तरल यूरिया की करीब डेढ़ लाख बोतलों का उत्पादन किया जाएगा.

नैनो तरल यूरिया: एक दृष्टि

  • इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) ने व्यावसायिक रूप से दुनिया का पहला नैनो यूरिया विकसित किया और इसक पैटेंट भी इफको के ही पास है.
  • नैनो तरल यूरिया की एक बोतल में 40,000 पीपीएम नाइट्रोजन होता है जो सामान्य यूरिया के एक एक बैग परंगरागत यूरिया के बराबर नाइट्रोजन पोषक तत्व देता है. IFFCO नैनो यूरिया एकमात्र नैनो फर्टिलाइजर है जिसे भारत सरकार ने मान्यता दी है.
  • किसान यूरिया का इस्तेमाल फसलों में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने के लिए करते हैं. इफको के मुताबिक नैनो तरल यूरिया के इस्तेमाल से सामान्य यूरिया की खपत 50 फीसदी तक कम हो सकती है.
  • नैनो तरल यूरिया, परंगरागत यूरिया से अधिक कारगर है. परंगरागत यूरिया सफेद दानों के रुप में उपलब्ध थी. इसका इस्तेमाल करने पर आधे से भी कम हिस्सा पौधों को मिलता था जबकि बाकी जमीन और हवा में चला जाता था.
  • भारत नैनो लिक्विड यूरिया को लॉन्च करने वाला पहला देश है. मई 2021 में इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने इसे लॉन्च किया था. इससे पहले नैनो तरल यूरिया को 94 से ज्यादा फसलों को देश भर में 11,000 कृषि क्षेत्र परीक्षण (एफएफटी) पर परिक्षण किया गया था. इसके बाद आम किसानों को दिया गया.
  • इस संयंत्र से अब एक बोरी यूरिया की क्षमता को एक बोतल में समेट पाना संभव होगा. इससे ढुलाई की लागत कम होगी.