राजीव हत्‍या कांड दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश, जानिए क्या है अनुच्छेद 142

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्‍या कांड में दोषी एजी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया है. पेरारिवलन इस मामले में पिछले 31 सालों उम्रकैद की सजा काट रहे सात दोषियों में से एक है. कोर्ट ने संविधान के अनुच्‍छेद 142 में मिले विशेषाधिकार के तहत यह फैसला लिया.

मुख्य बिंदु

  • पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा था कि तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल ने उसे रिहा करने के लिए राज्यपाल से सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने फाइल को काफी समय तक अपने पास रखने के बाद राष्ट्रपति को भेज दिया था. यह संविधान के खिलाफ है.
  • जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मामले के सभी सातों दोषियों की समय से पहले रिहाई की सिफारिश संबंधी तमिलनाडु राज्य मंत्रिमंडल की सलाह राज्यपाल के लिए बाध्यकारी थी.
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि अगर राज्यपाल पेरारिवलन के मुद्दे पर राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश को मानने को तैयार नहीं हैं तो उन्हें फाइल को पुनर्विचार के लिए वापस मंत्रिमंडल में भेज देना चाहिए था.
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को भी अस्वीकार कर दिया कि भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत किसी मामले में माफी देने का अधिकार विशिष्ट रूप से राष्ट्रपति के पास है. पीठ ने कहा कि यह अनुच्छेद 161 को निष्प्रभावी कर देगा.
  • दरअसल, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज ने कहा था कि केवल राष्ट्रपति ही केंद्रीय कानून के तहत दोषी ठहराए गए व्यक्ति की माफी, सजा में बदलाव और दया संबंधी याचिकाओं पर फैसला कर सकते हैं.
  • राजीव गांधी हत्याकांड में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था. सभी दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में परिवर्तित कर दिया था.
  • तमिलनाडु सरकार राजीव हत्याकांड के आरोपियों की रिहाई चाहती है. मौजूदा डीएमके सरकार के साथ ही पूर्ववर्ती जे जयललिता और एके पलानीसामी की सरकारों ने 2016 और 2018 में दोषियों की रिहाई की राज्यपाल से सिफारिश की थी.
  • 21 मई 1991 को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हत्या हुई थी. इसके बाद 11 जून 1991 को पेरारिवलन को गिरफ्तार किया गया था.

अनुच्छेद 161 में क्या है?

अनुच्छेद 161 में राज्यपाल के पास दोषी ठहराए गए व्यक्ति की सजा को माफ करने, राहत देने, राहत या छूट देने या निलंबित करने, हटाने या कम करने की शक्ति दी गई.

अनुच्छेद 72 और अनुच्छेद 161 में अंतर

अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का दायरा अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की क्षमादान शक्ति से ज्यादा व्यापक है. कोर्ट मार्शल के तहत राष्ट्रपति व्यक्ति की सजा माफ कर सकता है लेकिन अनुच्छेद 161 राज्यपाल को ऐसी कोई शक्ति प्रदान नहीं करता है. राष्ट्रपति उन सभी मामलों में क्षमादान दे सकता है जिसमें मौत की सजा दी गई हो, लेकिन राज्यपाल की क्षमादान शक्ति मौत की सजा के मामले के लिए नहीं होती है.

क्या है संविधान का अनुच्छेद 142?

भरतीय संविधान के अनुच्छेद 142 में सुप्रीम कोर्ट को विशेष अधिकार दिया गया है. इस आर्टिकल के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि रहेगा. इसके तहत कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो किसी लंबित पड़े मामले को पूरा करने के लिए जरूरी हो.