सुप्रीम कोर्ट ने 124-A के अंतर्गत देशद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश दिया

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-A के अंतर्गत देशद्रोह कानून को स्थगित करने का आदेश दिया है. शीर्ष न्‍यायालय ने एक अंतरिम आदेश में केंद्र और राज्य सरकारों से इस धारा पर पुनर्विचार होने तक कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं करने का आग्रह किया है.

सुप्रीम कोर्ट इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है. प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पीठ राजद्रोह कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है. इस पीठ में न्यायमूर्ति सूर्यकांत और हिमा कोहली शामिल हैं.

मुख्य बिंदु

  • न्‍यायालय ने एक कहा है कि धारा 124A के अंतर्गत लगाए गए आरोपों के संबंध में सभी लंबित मामले अपील और कार्यवाही को फिलहाल स्थगित रखा जाए. जो लोग पहले से ही इस धारा के अंतर्गत जेल में हैं, वे जमानत के लिए संबंधित अदालतों में जा सकते हैं.
  • केन्‍द्र सरकार ने उच्‍चतम न्‍यायालय में बताया था कि उसने IPC की धारा 124A के प्रावधानों पर का दुरुपयोग को रोकने के लिए पुनर्विचार करने का फैसला किया है. सरकार ने शीर्ष न्यायालय से आग्रह किया कि जब तक यह काम पूरा नहीं हो जाता, तब तक इससे संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई न की जाए.
  • सरकार ने न्‍यायालय में दाखिल शपथ-पत्र में कहा कि 1962 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने ‘केदारनाथ बनाम बिहार राज्य’ मामले में इस कानून को वैध बताया है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124-A: एक दृष्टि

  • भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A को 1870 में शामिल किया गया था. इसके मुताबिक अगर कोई भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा या अवमानना फैलाने का प्रयास करता है तो यह राजद्रोह माना जाएगा.
  • भारत में इस कानून को अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों की अभिव्यक्ति को दबाने के लिए लेकर आई थी. इसके जरिए महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक जैसे नेताओं के लेखन को दबा दिया गया. इन लोगों पर राजद्रोह कानून के तहत मुकदमे चलाए गए.
  • अनुच्छेद 124A के मुताबिक राजद्रोह एक गैर-जमानती अपराध है. इसके दोषी को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा के साथ जुर्माना तक हो सकता है. जिस व्यक्ति पर राजद्रोह का आरोप होता है वह सरकारी नौकरी नहीं कर सकता. उसका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया जाता है.
  • इस कानून से जुड़ा एक मामला हाल ही में चर्चा में रहा है. अप्रैल, 2022 में महाराष्ट्र में सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ. दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के घर के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ करने का एलान किया था. राज्य सरकार का कहना था कि दोनों सरकार और मुख्यमंत्री के खिलाफ घृणा फैला रहे थे.