अमेरिका में वर्ष 2013 के बाद पोलियो संक्रमण का मामला

अमेरिका में वर्ष 2013 के बाद पोलियो संक्रमण का मामला आया है. इस अमेरिकी नागरिक का टीकाकरण नहीं किया गया था. यह व्यक्ति कथित तौर पर उस प्रकार के पोलियो वायरस के संपर्क में आया जो जिसका इस्तेमाल पोलियो रोधी टीका में किया गया.

अमेरिका में इस प्रकार के टीके का इस्तेमाल वर्ष 2000 के बाद से नहीं किया गया है. संभवतः पोलियो वायरस का यह संक्रमण किसी बाहरी देश में उत्पन्न हुआ होगा, जहां अब भी टीके पिलाए जाते हैं.

पोलियो टीके के प्रकार

  • पोलियो टीके दो प्रकार के हैं. पहला पिलाया जाने वाला टीका ओर दूसरा इंजेक्शन की मदद से लगाया जाने वाला टीका.
  • पिलाया जाने वाला पोलियो टीका, मूल रूप से अल्बर्ट सेबिन ने विकसित किया था. इसे टीके को बनाने में एक कमजोर जीवित पोलियो वायरस का इस्तेमाल किया जाता है.
  • दूसरी तरह के पोलियो टीके को मूल रूप से जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया था. इस टीके में निष्क्रिय और मृत वायरस का इस्तेमाल किया जाता है, और इसे इंजेक्शन की मदद से लगाया जाता है.
  • पिलाये जाने वाले पोलियो टीके में वायरस के कमजोर रूप की मौजूदगी बीमारी को जन्म नहीं दे सकती. लेकिन यह टीका मुंह के जरिये दिया जाता है, इसलिए कमजोर वायरस मल के जरिये निकलकर फैल जाते हैं.
  • यदि यह कमजोर वायरस लंबे समय तक एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में पहुंचकर उत्परिवर्तित (म्युटेट) होता रहा, तो यह लकवा देने यानी लोगों को विकलांग बनाने की अपनी क्षमता को दोबारा हासिल कर सकता है.
  • मुंह के जरिये दिये जाने वाले पोलियो टीके का एक सकारात्मक पहलू यह है कि, कमजोर वायरस पूरे समुदाय में फैल सकता है. इससे उन लोगों में भी प्रतिरक्षा उत्पन्न हो जाती है, जिनका प्रत्यक्ष रूप से टीकाकरण नहीं किया गया है.