RBI की मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 5.9%, रिवर्स रेपो दर 3.35%
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 28-30 सितम्बर को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी.
RBI ने इस समीक्षा में रेपो दर में 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है. RBI मई 2022 से अब तक रेपो रेट में 190 बेसिस प्वाइंट (1.90 फीसदी) की बढ़ोतरी कर चुका है.
शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत की GDP वृद्धि आज भी सबसे बेहतर है. वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर 6.3% रह सकती है.
रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव
रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.
RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.
रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.
वर्तमान दरें: एक दृष्टि
नीति रिपो दर | 5.90% |
रिवर्स रेपो दर | 3.35% |
सीमांत स्थायी सुविधा दर (MSF) | 6.15% |
बैंक दर | 6.15% |
नकद आरक्षित अनुपात (CRR) | 4.5% |
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) | 18% |
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि
- भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
- RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
- पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.