सरकार ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिये दिशा-निर्देश जारी किये

नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने अपशिष्ट से ऊर्जा कार्यक्रम के लिये दिशा-निर्देश जारी किये. यह कार्यक्रम अम्ब्रेला योजना, राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम का हिस्सा है. भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (IREDA) इस कार्यक्रम के लिये कार्यान्वयन एजेंसी होगी.

मुख्य बिन्दु

  • नए दिशा-निर्देश से कंपनियों के लिये शहरी, औद्योगिक और कृषि अपशिष्ट तथा अवशेषों से बायोगैस, बायोसीएनजी व बिजली का उत्पादन करने का मार्ग प्रशस्त हुआ है. सरकार अपशिष्ट से ऊर्जा परियोजना विकसित करने वालों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी.
  • बायोगैस एक जैव रासायनिक प्रक्रिया के माध्यम से उत्पन्न होती है, जिसमें कुछ प्रकार के बैक्टीरिया जैविक कचरे को उपयोगी बायोगैस में परिवर्तित करते हैं. मीथेन गैस बायोगैस का मुख्य घटक है. बायोगैस हमारे शहरों को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने में मदद कर सकता है.
  • बायोसीएनजी, बायोगैस को शुद्ध करके प्राप्त किया जाने वाला नवीकरणीय ईंधन है. बायोगैस का उत्पादन तब होता है जब सूक्ष्मजीव कार्बनिक पदार्थ जैसे- भोजन, फसल अवशेष, अपशिष्ट जल आदि को अपघटित करते हैं.
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम को 2025-26 तक जारी रखने की बात कही है. इसके लिये पहले चरण में 858 करोड़ रुपये का बजटीय खर्च निर्धारित किया गया है.
  • MNRE 1980 के दशक से जैव ऊर्जा को बढ़ावा दे रहा है. इसका उद्देश्य ऊर्जा उत्पादन के लिये बड़े पैमाने पर उपलब्ध कृषि अवशेष, गोबर और औद्योगिक तथा शहरी जैव कचरे का उपयोग करना है.
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