डेली कर्रेंट अफेयर्स
भारत, वासेनार व्यवस्था के पूर्ण सत्र का अध्यक्ष बना
भारत, 1 जनवरी 2023 को वासेनार व्यवस्था (Wassenaar Arrangement-WA) के पूर्ण सत्र का अध्यक्ष बना. इस समझौते में 42 देश शामिल हैं. भारत वासेनार समझौते में दिसम्बर 2017 में 42वें सदस्य देश के रूप में शामिल हुआ था. वासेनार समझौते के पूर्ण – सत्र में सहमति के आधार पर मुख्य निर्णय लिए जाते हैं.
मुख्य बिन्दु
- वासेनार एक समझौता है जिसमें निर्यात को नियंत्रित करने वाली एक स्वैच्छिक व्यवस्था है. इसमें पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं के हस्तांतरण पर नजर रखी जाती है.
- इस समझौते का 26वां वार्षिक पूर्ण सत्र दिसम्बर 2021 में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में आयोजित किया गया था जिसमें आयरलैंड के राजदूत ने भारत के राजदूत जयदीप मजुमदार को अध्यक्षता सौंपी थी. श्री मजुमदार विएना में संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हैं.
- वासेनार व्यवस्था बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण प्रशासन है जिसमें सदस्य देश पारम्परिक हथियारों के हस्तांतरण जैसे विभिन्न मुद्दों पर सूचना का आदान-प्रदान करते हैं.
1 जनवरी 2023 से देश में नई एकीकृत खाद्य सुरक्षा योजना लागू
1 जनवरी 2023 से देश में नई एकीकृत खाद्य सुरक्षा योजना लागू हो गया. नई योजना के अंतर्गत 2023 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत 81 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को नि:शुल्क खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम: मुख्य बिन्दु
- इस अधिनियम से पूरे देश में एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड के अंतर्गत पोर्टेबिलिटी सुनिश्चित की जाएगी.
- इस योजना के तहत, अत्योदय अन्न योजना वाले परिवारों और प्राथमिकता वाले घरेलू व्यक्तियों सहित, सभी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के लाभार्थियों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा.
- देश भर में पांच लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानें हैं जिसके माध्यम से लाभार्थियों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित किए जाएंगे.
- केंद्र सरकार खाद्य सब्सिडी के रूप में, एक साल में दो लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च वहन करेगी.
- केन्द्र सरकार का यह निर्णय, गरीबों के लिए खाद्यान्न की पहुंच, सामर्थ्य और उपलब्धता के मामले में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को मजबूत करेगा.
2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है
2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (International Year of Millets – IYM) के रूप में मनाया जा रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष की शुरुआत केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और भारतीय दूतावासों की गतिविधियों के साथ हुई.
मुख्य बिन्दु
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल और भारत सरकार के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष घोषित किया है. यह भारत के साथ-साथ विश्व स्तर पर उत्साह के साथ मनाया जाएगा.
- मोटे छोटे बीज वाली घास हैं जिन्हें अक्सर “न्यूट्री-अनाज” कहा जाता है. रागी, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों का लंबे समय से इस्तेमाल होता रहा है. सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान कई ऐसे सबूत मिले हैं जिससे यह पता चलता है कि मोटे अनाज भारत की प्राचीन फसलें रही थीं.
- बाजरा प्रोटीन, फाइबर खनिज, लोहा और कैल्शियम का एक समृद्ध स्रोत है. एक अनुमान के अनुसार अफ्रीका और एशिया में 9 करोड़ से अधिक लोग अपने आहार के लिए बाजरा पर निर्भर हैं.
- भारत बाजरे का एक प्रमुख उत्पादक है जिसका एशिया के उत्पादन में 80% और वैश्विक उत्पादन में 20% का योगदान है.
भारत और पाकिस्तान ने परमाणु ठिकानों और कैदियों की सूची साझा की
भारत और पाकिस्तान ने 1 जनवरी 2023 को अपने-अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और कैदियों की सूची का आदान प्रदान किया था. इन सूची का आदान-प्रदान नई दिल्ली और इस्लामाबाद में राजनयिक माध्यम से एक साथ किया गया.
भारत ने वर्तमान में देश की जेलों में बंद 339 पाकिस्तानी नागरिक कैदियों और 95 पाकिस्तानी मछुआरों की सूची साझा की. इसी तरह, पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में 51 नागरिक कैदियों और 654 मछुआरों की सूची साझा की.
परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची संबंधी समझौता: एक दृष्टि
- पाकिस्तान और भारत के बीच परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमले पर प्रतिबंध संबंधी समझौते (Agreement on Prohibition of Attacks against Nuclear Installations and Facilities) के अनुच्छेद-2 के तहत यह सूची साझा की जाती है. इस समझौते के तहत दोनों देश हर वर्ष 1 जनवरी को इस सूची का आदान प्रदान करते हैं.
- यह समझौता 31 दिसम्बर 1988 में किया गया था और 27 जनवरी 1991 से अमल में है. 1 जनवरी 1992 को पहली बार दोनों देशों ने एक दूसरे को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों की सूची सौंपी थी.
- दोनों देशों ने एक-दूसरे की जेलों में बंद असैन्य कैदियों (civilian prisoners) की सूची का भी 1 जनवरी को आदान-प्रदान करते हैं. कैदियों की सूची का आदान-प्रदान 21 मई, 2008 को हुए राजनयिक पहुंच संबंधी समझौते के तहत किया जाता है.
1 जनवरी 2023: DRDO का 65वां स्थापना दिवस
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 1 जनवरी 2023 को अपना 65वां स्थापना दिवस (65th DRDO Day) मनाया था. DRDO की स्थापना भारत को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेष रूप से सैन्य प्रौद्योगिकी में मजबूत तथा आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1 जनवरी, 1958 को की गई थी.
रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (DRDO): एक दृष्टि
- DRDO, रक्षा अनुसन्धान व विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation) का संक्षिप्त रूप है. यह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एक संगठन है.
- रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मात्र दस प्रयोगशालाओं के साथ संगठन की शुरुआत हुई थी. इस संस्थान की स्थापना भारतीय थल सेना एवं रक्षा विज्ञान संस्थान के तकनीकी विभाग के रूप में की गयी थी.
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. DRDO का आदर्श वाक्य ‘बलस्य मूलं विज्ञानं’ है. पूरे देश में DRDO की 52 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क है.
- DRDO के वर्तमान अध्यक्ष समीर वी कामत हैं. DRDO देश की सुरक्षा के लिए मिसाइल, रडार, सोनार, टॉरपीडो आदि का निर्माण करती है.
देश-दुनिया: एक संक्षिप्त दृष्टि
सामयिक घटनाचक्र का डेलीडोज
दूसरी राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दूसरी राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की अध्यक्षता की. श्री मोदी ने बताया कि इस महीने की 13 तारीख को 2300 किलोमीटर की विश्व की सबसे लंबी क्रूज सेवा की शुरुआत काशी से होगी, जो बांग्लादेश होते हुए डिब्रूगढ़ पहुंचेगी.
दिसम्बर में GST संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये
पिछले माह दिसम्बर में वस्तु और सेवा कर (GST) संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा. दिसम्बर 2021 की तुलना में यह 15 प्रतिशत अधिक है.
108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का शुभारंभ
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 3 जनवरी को विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से भारतीय विज्ञान कांग्रेस को सम्बोधित किया. इस वर्ष का विषय है- महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी. कार्यक्रम की मेजबानी राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय (RTMNU) अपने अमरावती रोड परिसर में कर रहा है.
बांग्लादेश में, दसवां ढाका साहित्य महोत्सव शुरू
बांग्लादेश में, 2 से 5 जनवरी तक दसवां ढाका साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. चार दिन चलने वाले इस साहित्य महोत्सव में नोबेल पुरस्कार विजेता अब्दुल रज़ाक गुरनाह समेत दुनिया भर के 500 से अधिक साहित्यकार भाग लेंगे.