इसरो ने श्रीहरिकोटा से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान SSLVD-2 का प्रक्षेपण किया

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 10 फ़रवरी को लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान ‘SSLV-D2’ का सफल प्रक्षेपण किया था. यह प्रक्षेपण सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से किया गया था.

मुख्य बिन्दु

  • SSLVD-2, SSLV का दूसरा संस्करण था. पहला संस्करण SSLVD-1 को पहली बार अगस्त 2022 में प्रक्षेपित किया गया था लेकिन यह उपग्रहों को सटीक कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा था.
  • SSLV-D2 द्वारा इसरो के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह ‘EOS-07’ और दो सह-यात्री उपग्रहों- Janus-1 एवं AzaadiSat2 को आंतरिक्ष में स्थापित किया गया.
  • Janus-1 एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है जिसे अमेरिका स्थित Antaris और इसके भारतीय भागीदारों XDLinks तथा Ananth Technologies द्वारा बनाया गया है.
  • चेन्नई स्थित अंतरिक्ष स्टार्टअप SpaceKidz को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित किया गया है.  यह एक क्यूब उपग्रह है जिसका वज़न लगभग 8 किलोग्राम है और इसमें 75 अलग-अलग पेलोड हैं.
  • EOS-07 156.3 किलोग्राम का उपग्रह है जिसे इसरो द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है. इस मिशन का उद्देश्य भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिये माइक्रोसेटेलाइट बसों और नई तकनीकों के साथ संगत पेलोड उपकरणों को डिज़ाइन एवं विकसित करना है.

SSLV: एक दृष्टि

  • SSLV, इसरो का सबसे छोटा प्रक्षेपण यान रॉकेट है. यह 3 चरण का प्रक्षेपण यान है जिसे टर्मिनल के रूप में तीन ठोस प्रणोदन चरणों (Solid Propulsion Stages) और तरल प्रणोदन आधारित वेग ट्रिमिंग मॉड्यूल (Velocity Trimming Module -VTM) के साथ संयोजित (कॉन्फिगर) किया गया है.
  • SSLV का व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है, जिसका भार लगभग 120 टन है तथा 500 किलोमीटर की समतल कक्षीय तल में 10 से 500 किलोग्राम उपग्रह लॉन्च करने में सक्षम है.
  • रॉकेट SSLV-D2 बहुत कम लागत में अंतरिक्ष तक पहुंच प्रदान करता है, कम टर्न-अराउंड समय और कई उपग्रहों को एक साथ अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है.