देश की रक्षा क्षमताओं को बढाने के लिए तीन अनुबंधों पर हस्ताक्षर

रक्षा मंत्रालय ने देश की रक्षा क्षमताओं को बढाने के लिए करीब 5.4 हजार करोड रुपये के तीन अनुबंधों पर हस्‍ताक्षर किए हैं.

मुख्य बिन्दु

  • पहला अनुबंध भारत इलेक्‍ट्रोनिक्‍स लिमिटेड के साथ किया गया है. यह अनुबंध भारतीय सेना के लिए ऑटोमेटेड हवाई रक्षा नियंत्रण और रिर्पोटिंग प्रणाली परियोजना ‘आकाशतीर’ की खरीद से जुडा है.
  • भारत इलेक्‍ट्रोनिक्‍स लिमिटेड के साथ किया गया दूसरा अनुबंध नौसेना के लिए सारंग इलेक्‍ट्रोनिक्‍स सहयोग प्रणाली की खरीद से जुडा है.
  • न्‍यू स्‍पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ तीसरा अनुबंध उन्नत संचार उपग्रह जी-सैट 7-बी की खरीद से संबंधित है. इस उपग्रह से सेना की संचार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी.

भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश हथियार प्रणाली की खरीद

  • रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना के लिए उन्नत आकाश हथियार प्रणाली तथा हथियारों का पता लगाने के लिए 12 स्वाति रडार की खरीद के लिए हस्ताक्षर किए हैं. इनकी लागत 9100 करोड़ रुपये से अधिक है.
  • उन्नत आकाश हथियार प्रणाली की खरीद के लिए भारत डायनामिक्स लिमिटेड के साथ हस्ताक्षर किए गए हैं. कम दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल हवाई रक्षा प्रणाली है.
  • रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने स्वदेश निर्मित इस प्रणाली का डिज़ाइन और विकास किया है.

ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ भी अनुबंध

  • रक्षा मंत्रालय ने अगली पीढ़ी के तटीय मोबाइल ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड के साथ भी अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. इसकी लागत 1700 करोड़ रुपये से अधिक है.
  • यह प्रणाली 2027 से मिलनी शुरू हो जाएगी. प्रणाली सुपर सोनिक ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होंगी और भारतीय नौसेना की क्षमता में वृद्धि करेगी.
  • ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड भारत और रूस का संयुक्त उपक्रम है. इसका उद्देश्य नई पीढ़ी की सक्षम मिसाइल का विनिर्माण करना है.