देश की प्रथम क्लोन गिर गाय ‘गंगा’ का जन्म, NDRI करनाल के प्रयासों से मिली सफलता

भारतीय वैज्ञानिकों ने पहली बार स्वदेशी गिर गाय के क्लोन के बछड़े को पैदा करने में सफलता हासिल की है. इस बछिया का जन्म 16 मार्च को हुआ था लेकिन 10 दिनों तक उसके स्वास्थ्य को जांचने के बाद 26 मार्च को इसके बारे में जानकारी सार्वजनिक की गई थी.

मुख्य बिन्दु

  • यह सफलता राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) करनाल के प्रयासों से मिली है. इसे जलवायु परिवर्तन के बीच पशु और दुग्ध उत्पादन में क्रांति माना जा रहा है.
  • NDRI के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने इस क्लोन बछिया का नाम ‘गंगा’ रखा गया है. इसका वजन 32 किलोग्राम है और वह बिल्कुल स्वस्थ है.
  • NDRI करनाल ने 2009 में भैंस की क्लोन ‘गरिमा’ तैयार की थी. जलवायु परिवर्तन के बीच ऐसी प्रजातियों की जरूरत महसूस हुई जो गर्मी और ठंड को सहन करे और दुग्ध उत्पादन में सहायक हो.
  • NDRI की इस क्लोनिंग तकनीक से उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों पैदा करने में सफलता मिलेगी. दुग्ध उत्पादन बढ़ेगा, खासकर बुल (साड़ों) की कमी दूर होगी.
  • 2021 में उत्तराखंड लाइवस्टॉक डेवलपमेंट बोर्ड देहरादून के सहयोग से NDRI करनाल के पूर्व निदेशक डॉ. एमएस चौहान के नेतृत्व में गिर, साहीवाल और रेड-सिंधी गायों की क्लोनिंग का काम शुरू किया गया था.
  • स्वदेशी गिर गाय की नस्ल मूलतः गुजरात में है. गिर गाय अधिक सहनशील होती है, जो अधिक तापमान और ठंड सहन कर लेती है. यह विभिन्न ऊष्ण कटिबंध के प्रति भी रोग प्रतिरोधक है.

क्लोनिंग तकनीक

  • गिर किस्म की क्लोनिंग में साहीवाल किस्म की गाय से अंडा लिया गया, गिर किस्म का सेल (डीएनए) लिया और परखनली में भ्रूण तैयार करके फिर संकर प्रजाति की गाय में रोपित किया गया.
  • आठ दिन के इन विट्रो-कल्चर के बाद विकसित भ्रूण (ब्लास्टोसिस्ट) को किसी भी गाय में स्थानांतरित किया गया. इसके नौ महीने बाद क्लोन बछड़ी (या बछड़ा) होता है.