चीन को पीछे छोड़ भारत विश्व की सबसे अधिक आबादी वाला देश बना

संयुक्त राष्ट्र (UN) के आंकड़ों अनुसार भारत ने दुनिया की सबसे अधिक आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है. संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड पॉपुलेशन डैशबोर्ड के अनुसार 2023 मध्य तक के अनुमानों के अनुसार भारत की आबादी 1.4286 अरब हो गई है यह चीन की आबादी 1.4257 अरब से कुछ ज्यादा है.

मुख्य बिन्दु

  • दुनिया की लगभग 2.4% भूमि वाला देश भारत कुल वैश्विक आबादी के लगभग पांचवें हिस्से का घर है. भारत में अमेरिका, अफ्रीका या यूरोप की पूरी आबादी से अधिक लोग रहते हैं.
  • यूएन के आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी भी रहती है. भारत की आधी आबादी 30 साल से कम लोगों की है जिनकी औसत उम्र 28 वर्ष है. अमेरिका और चीन की बात की जाए तो वहां की औसत उम्र 38 वर्ष है.
  • भारत से लगभग तीन गुना बड़े चीन की भी स्थिति लगभग ऐसी ही है. पर यहां गौर करने वाली बात यह है कि भारत की आबादी अपेक्षाकृत युवा और बढ़ रही है. वहीं चीन की आबादी में वृद्धों की संख्या अधिक है और यह घट रही है.
  • ये आंकड़े संयुक्त राष्ट्र के ताजा अनुमानों पर आधारित हैं. भारत में आखिरी जनगणना 2011 में हुई थी. ऐसे तो हर 10 वर्ष के अंतराल पर देश में जनगणना की जाती है पर वर्ष 2021 में कोरोना संकट के कारण सरकार ने टालने का फैसला किया था.
  • भारत में 2022 में दो करोड़ 30 लाख बच्चों का जन्म हुआ. हालांकि भारत में जन्म दर (प्रति एक हजार की आबादी पर पैदा होने वाले बच्चों की संख्या) में 2004 के 24.1 की तुलना में गिरावट आई है और यह 2019 में 19.7 रह गया है.
  • 2022 में चीन में 1950 के बाद से सबसे कम केवल 95.6 लाख बच्चों का जन्म हुआ. जन्म से ज्यादा मौतें हुई इस कारण 1960 के बाद से चीन की आबादी में पहली बार गिरावट दर्ज की गई.
  • वहीं दूसरी ओर, भारत की आबादी में वर्ष 2060 के मध्य तक वृद्धि का अनुमान है, जबकि चीन में इस दौरान आबादी घटने का अनुमान है.

भारत में दुनिया की सबसे युवा आबादी वाला देश

आर्थिक विकास के मामले में भारत की युवा आबादी अहम रोल अदा कर सकती है, क्योंकि यहां कि दो तिहाई से अधिक आबादी काम करने की उम्र यानी 15 वर्ष से 64 वर्ष के बीच की है. ऐसे में भारत के पास वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन और उपभोग में वृद्धि लाने की असीम संभावना है.

देश की अर्थव्यवस्था के लिए बढ़ती आबादी के मायने

  • लगातार बढ़ती आबादी भारत के लिए संभावनाओं के साथ-साथ चुनौतियों भी बढ़ा रही है. देश की अर्थव्यवस्था 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर और 2030 तक 7 ट्रिलियन डॉलर की हो सकती है. हालांकि बढ़ती आबादी सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने की राह का रोड़ा भी बन सकता है.
  • देश की आबादी के बढ़ने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. पहले ही भारत में गरीबी, भूख और कुपोषण जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए गंभीर प्रयास किए जाने की जरूरत है.
  • बढ़ती आबादी के साथ लोगों को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था, बेहतर शिक्षा, बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर और शहरों व गांवों को अधिक सुविधाजनक बनाना सरकार के लिए और भी बड़ी चुनौती होगी.
  • बढ़ती आबादी के साथ देश के सामने जलवायु परिवर्तन, जल संकट, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाओं की बुरी स्थिति आदि कई समस्याएं मुंह बाए खड़ीं हैं.
  • बढ़ती आबादी का मतलब है और बड़ा बाजार. इससे अर्थव्यवस्था को फायदा हो सकता है. पर अगर हमने बढ़ती जनसंख्या से जुड़ी चुनौतियों की अनदेखी की तो हालात बुरी तरह बिगड़ भी सकते हैं.