26 अप्रैल: विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस

प्रत्येक वर्ष 26 अप्रैल को विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस (World Intellectual Property Day) मनाया जाता है. इसी दिन 1970 में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना के लिए समझौता लागू हुआ था. इस दिवस को मनाये जाने का उद्देश्य बौद्धिक संपदा के अधिकारों (पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट इत्यादि) के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

बौद्धिक संपदा क्या है?

मानव बुद्धि से निर्मित रचनाएं बौद्धिक संपदा कहलाती है, जिन्हें छूकर महसूस नहीं किया जा सकता. इनमें मुख्य रूप से कॉपीराइट, पेटेंट और ट्रेडमार्क शामिल हैं. इनके अलावा ट्रेड सीक्रेट्स, प्रचार अधिकार, नैतिक अधिकार और अनुचित प्रतिस्पर्द्धा के खिलाफ अधिकार भी इसमें शामिल हैं.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस 2024 का विषय

इस वर्ष यानी 2022 के विश्व बौद्धिक सम्पदा अधिकार दिवस का मुख्य विषय (थीम)– ‘आईपी और एसडीजी: नवाचार और रचनात्मकता के साथ हमारे साझा भविष्य का निर्माण’ (IP and the SDGs: Building Our Common Future with Innovation and Creativity) है.

विश्‍व बौद्धिक सम्‍पदा दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र के विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) ने वर्ष 2000 में प्रतिवर्ष 26 अप्रैल को इस दिवस को मनाने की घोषणा की थी.

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

WIPO की स्थापना 1967 में हुई थी. इसका कार्य बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा तथा संवर्द्धन करना है. वर्तमान में भारत सहित इसके कुल 191 सदस्य देश हैं. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है. भारत 1975 में WIPO का सदस्य बना था.

राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति

भारत ने राष्ट्रीय बौद्धिक सम्पदा अधिकार नीति 2016 में स्वीकार की थी. जिसका मुख्य उद्देश्य बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

25 अप्रैल: विश्व मलेरिया दिवस, मलेरिया से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

प्रत्येक वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस (World Malaria Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य मलेरिया के विषय में लोगों में जागरूकता लाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) इस दिन मलेरिया से बचाव, इससे मुक़ाबले के लिए प्रभावी रणनीति और इससे होने वाली मौतों में कमी लाने के उपायों पर जोर देता है.

विश्व मलेरिया दिवस 2024 का विषय

इस वर्ष यानी 2024 में विश्व मलेरिया दिवस का मुख्य विषय (थीम)- ‘अधिक न्यायसंगत दुनिया के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाएं’ (Accelerate the fight against malaria for a more equitable world) है.

मलेरिया क्या है?

मलेरिया एक प्रकार के परजीवी ‘प्लाजमोडियम’ से फैलने वाला रोग है. जिसका वाहक मादा ‘एनाफिलीज’ मच्छर होता है. जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो संक्रमण फैलने से उसमें मलेरिया के लक्षण दिखाई देने लगते हैं.

मलेरिया परजीवी ‘प्लाजमोडियम’ विशेष रूप से लाल रक्त कणिकाओं (RBC) को प्रभावित करता है जिससे शरीर में रक्त की कमी हो जाती है और मरीज कमजोर होता जाता है.

वर्ष 2030 मलेरिया के उन्मूलन का लक्ष्य

भारत ने 2027 तक मलेरिया मुक्त और 2030 तक मलेरिया को जड़ से खत्म करने का लक्ष्य रखा है. जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा.

विश्व मलेरिया दिवस का इतिहास

विश्व मलेरिया दिवस वर्ष 2007 में विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य राष्ट्रों द्वारा शुरू किया गया था. पहली बार विश्व मलेरिया दिवस ’25 अप्रैल, 2008′ को मनाया गया था.

मलेरिया से सबसे ज्यादा प्रभवित देश

विश्व में मलेरिया सबसे ज्यादा प्रभवित देश अफ्रीकी महाद्वीप का नाइजीरिया है. विश्व की 27 फीसदी मलेरिया पीड़ित लोग नाइजीरिया में रहते हैं. इस सूची में दूसरे स्थान पर अफ्रीका का ही कांगो गणराज्य है. यहां 10 फीसदी मलेरिया पीड़ित आबादी है. जबकि तीसरे स्थान पर 6 फीसदी आबादी के साथ भारत है. चौथे स्थान पर 4 फीसदी मरीजों के साथ मोजांबिक और 4 फीसदी के साथ घाना है.

मलेरिया का टीका ‘मॉसक्यूरिक्स’

मलेरिया के लिए इजाद किए गए वैक्सीन का नाम RTS-S/AS01 है. इस वैक्सीन का ट्रेड नेम मॉसक्यूरिक्स (Mosquirix) है. इस टीके को इंजेक्शन के जरिए दिया जाता है. इसे ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल कंपनी ग्लाक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा PATH मलेरिया वैक्सीन इनिशिएटिव के साथ मिलकर तैयार किया है. इस टीके की चार डोज़ निश्चित समय अंतरान पर दी जानी होती हैं.

24 अप्रैल: राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस, पंचायती राज से संबंधित महत्त्वपूर्ण तथ्य

प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को ‘राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस’ (National Panchayati Raj Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिन देश में ज़मीनी स्‍तर पर सत्‍ता के विकेन्‍द्रीकरण के इतिहास में महत्त्वपूर्ण दिन माना जाता है. इसी दिन 1993 में भारतीय संविधान के 73वें संशोधन अधिनियम (73rd Amendment Act) 1992 के जरिए पंचायती राज व्‍यवस्‍था लागू हुई थी.

पंचायती राज क्या है?

सिर्फ केंद्र या राज्य सरकार ही पूरे देश को चलाने में सक्षम नहीं हो सकती है. इसके लिए स्थानीय स्तर पर भी प्रशासन की व्यवस्थ की गई है. इसी व्यवस्था को पंचायती राज का नाम दिया गया है.

त्रि-स्तरीय ढांचा

भारत में पंचायती राज त्रि-स्तरीय है. पंचायती राज में गांव के स्तर पर ग्राम सभा, ब्लॉक स्तर पर मंडल परिषद और जिला स्तर पर जिला परिषद होता है. इन संस्थानों के लिए सदस्यों का चुनाव होता है जो जमीनी स्तर पर शासन की बागडोर संभालते हैं.

भारत में पंचायती राज का इतिहास

भारत में प्राचीन काल से ही पंचायती राज व्यवस्था आस्तित्व में रही हैं. आधुनिक भारत में पहली बार तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गाँव में 2 अक्टूबर 1959 को पंचायती राज व्यवस्था लागू की थी. 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत साल 2010 से हुई थी.

पंचायती राज से संबंधित संवैधानिक तथ्य

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया हैं.
  • भारतीय संविधान के 73वें संशोधन विधेयक से देश में पंचायती राज संस्था को संवैधानिक मान्यता दी गयी है.
  • भारतीय संसद ने 1992 में इस संशोधन विधेयक को पारित किया था. यह संशोधन विधेयक 24 अप्रैल 1993 से लागू हुआ था.
  • 73वें संशोधन के द्वारा संविधान के अनुच्छेद 243 में पंचायतों की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है. इस संशोधन के द्वारा संविधान में 11वीं अनुसूची जोड़ी गयी, इसमें पंचायत के 29 विषयों को शामिल किया गया है.
  • 73वें संशोधन में एक त्रि-स्तरीय ढांचे की स्थापना (ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला पंचायत) का प्रावधन किया गया है.

पंचायती राज संस्था अवधारणा के लिए गठित मुख्य समिति और सिफारिशें

  1. बलवंत राय मेहता समिति की सिफारिशें (1957)
  2. अशोक मेहता समिति की सिफारिशें (1977)
  3. पीवीके राव समिति (1985)
  4. डॉ एलऍम सिन्घवी समिति (1986)

23 अप्रैल: विश्व पुस्तक दिवस, स्ट्रासबर्ग को विश्व पुस्तक राजधानी 2024 नामित किया गया

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को ‘विश्व पुस्तक दिवस’ (World Book Day) के रूप में मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य लोगों के बीच किताब पढ़ने की आदत को बढ़ावा देना है.

चूंकि किताबी दुनिया में कॉपीराइट एक अहम मुद्दा है, इसलिए विश्व पुस्तक दिवस पर इस पर भी जोर दिया जाता है. इसी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में इसे ‘विश्व पुस्तक और कॉपीराइट दिवस’ (World Book and Copyright Day) के तौर पर भी मनाया जाता है.

ब्रिटेन और आयरलैंड में 23 अप्रैल को सेंट जॉर्ज दिवस होता है. इस वजह से वहां मार्च के पहले गुरुवार को विश्व पुस्तक दिवस मनाया जाता है.

विश्व पुस्तक राजधानी 2024

UNESCO प्रत्येक वर्ष विश्व पुस्तक राजधानी (World Book Capital) नामित करता है. यह पुस्तक राजधानी 23 अप्रैल से 1 वर्ष की अवधि के लिए रहती है. इस वर्ष फ्रान्स के स्ट्रासबर्ग (Strasbourg, France) को ‘विश्व पुस्तक राजधानी 2024’ के रूप में नामित किया गया है.

पुस्तक दिवस 2024 की थीम

इस वर्ष यानी वर्ष 2024 में विश्व पुस्तक दिवस का मुख्य विषय (थीम)- ‘रीड योर वे’ (Read Your Way) है.

विश्व पुस्तक दिवस का इतिहास

संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने विश्व पुस्तक दिवस को प्रस्तावित किया था. पहला विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल, 1995 को मनाया गया था.

विश्व पुस्तक दिवस को 23 अप्रैल को मनाने का विचार स्पेन की एक परंपरा से आया. स्पेन में हर साल 23 अप्रैल को ‘रोज डे’ मनाया जाता है. इस दिन लोग प्यार के इजहार के तौर पर एक-दूसरे को फूल देते हैं.

1926 में जब स्पेन के विख्यात लेखक मिगेल डे सरवांटिस (Miguel de Cervantes) का निधन हुआ तो उस साल स्पेन के लोगों ने महान लेखक की याद में फूल की जगह किताबें बांटीं. स्पेन में यह परंपरा जारी रही जिससे ‘विश्व पुस्तक दिवस’ मनाने का विचार आया.

23 अप्रैल: संयुक्त राष्ट्र अंग्रेजी और स्पेनिश भाषा दिवस

प्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को संयुक्त राष्ट्र अंग्रेजी भाषा दिवस (UN English Language Day) मनाया जाता है. इसी दिन (23 अप्रैल को) संयुक्त राष्ट्र स्पेनिश भाषा दिवस भी मनाया जाता है. भाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य बहु-भाषावाद तथा सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना है.

विलियम शेक्सपियर का जन्मदिन

23 अप्रैल को अंग्रेजी के मशहूर विलियम शेक्सपियर का जन्म हुआ था और उनकी मृत्यु भी इसी दिन हुई थी. इसलिए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने 23 अप्रैल को अंग्रेजी भाषा दिवस के तौर पर चुना.

संयुक्त राष्ट्र 6 आधिकारिक भाषाओं के लिए अलग-अलग दिवस

संयुक्त राष्ट्र के 6 आधिकारिक भाषाएं हैं. इन 6 आधिकारिक भाषाओं के लिए अलग-अलग दिवस निश्चित किये गये हैं:

  1. अरबी भाषा: 18 दिसम्बर
  2. चीनी भाषा: 20 अप्रैल
  3. अंग्रेजी भाषा: 23 अप्रैल
  4. स्पेनिश भाषा: 23 अप्रैल
  5. फ़्रांसिसी भाषा: 20 अप्रैल
  6. रूसी भाषा: 6 जून

22 अप्रैल 2024: पृथ्वी दिवस, ग्रह बनाम प्लास्टिक थीम पर मनाया गया

प्रत्येक वर्ष 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस (Earth Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय और पर्यावरण सुरक्षा के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाना है.

पृथ्वी दिवस 2024 की थीम

इस वर्ष यानी 2024 के पृथ्वी दिवस का मुख्य विषय (थीम)- ‘ग्रह बनाम प्लास्टिक’ (Planet vs. Plastics) था.

पृथ्वी दिवस का इतिहास

1969 में यूनेस्‍को सम्‍मेलन में इस दिन को प्रस्‍तावित किया गया था. पहली बार, पृथ्वी दिवस 1970 में मनाया गया था. संयुक्त राष्ट्र ने 22 अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाने की घोषणा 2009 में की थी.

अमेरिका में पृथ्वी दिवस को ‘वृक्ष दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. अमेरिका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन ने 22 अप्रैल 1970 को इस कार्यक्रम को पर्यावरण शिक्षा के रूप में मनाने के लिये चुना था.

21 अप्रैल: सिविल सेवा दिवस

प्रत्येक वर्ष 21 अप्रैल को सिविल सेवा दिवस (Civil Services Day) के रूप में मनाया जाता है. यह दिवस सिविल सेवकों को स्वयं को नागरिकों के लिए पुनर्समर्पित करने तथा अपनी वचनबद्धता को पुनर्सज्जित करने के उद्देश्य से मनाया जाता है.

इसी दिन 1947 में पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ‘आल इंडिया एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ट्रेनिंग स्कूल’ के पहले बैच के अधिकारियों को दिल्ली के मेटकाफ़ हाउस में पहली बार संबोधित किया था. सरदार पटेल ने अपने संबोधन में सिविल सेवकों को ‘स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया’ के रूप में संबोधित किया था.

भारत सरकार ने वर्ष 2006 से इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था. 21 अप्रैल 2023 को देश में 17वां सिविल सेवा दिवस मनाया गया.

लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार

सरदार वल्लभभाई पटेल के अनुसार, सिविल सेवक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. वे लोक प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए अथक प्रयास करते हैं. उनकी ज़िम्मेदारी सत्ताधारी पार्टी की नीतियों को क्रियान्वित करने की ओर है.

सिविल सेवा दिवस पर देश के विभिन्न अधिकारियों को लोक प्रशासन में उत्कृष्टता के लिए प्रधानमंत्री पुरस्कार (Prime Minister’s Awards for Excellence in Public Administration) प्रदान किये जाते हैं.

पहले यह पुरस्‍कार अधिकारी के व्‍यक्तिगत कार्यों के आधार पर दिए जाते थे. लेकिन अब ये पुरस्‍कार विभिन्‍न जिलों के प्रमुख कार्यक्रमों के प्रदर्शन पर दिए जा रहे हैं.

19 अप्रैल: विश्व यकृत दिवस

प्रत्येक वर्ष 19 अप्रैल को विश्व यकृत दिवस (World Liver Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य यकृत संबंधित रोगों के बारे में जागरूकता फैलाना है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में लीवर की बीमारियां मृत्यु का 10वां सबसे आम कारण है.

यकृत (Liver): एक दृष्टि

  • यकृत मस्तिष्क के बाद शरीर का दूसरा सबसे जटिल अंग हैं. यह शरीर के पाचन तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  • लीवर के प्रमुख कार्य- संक्रमणों से लड़ना, रक्त शर्करा (Blood Sugar) को नियमित करना, विषाक्त पदार्थों को निकालना, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करना, रक्त के थक्के का निर्माण करना, पित्त रस का स्त्रावण करना है.
  • हेपेटाइटिस शब्द का उपयोग यकृत सूजन के लिए किया जाता हैं. यह वायरल संक्रमण या अल्कोहल जैसे हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने के कारण होता है.
  • हेपेटाइटिस लक्षण रहित और सीमित लक्षणों के साथ हो सकता है. इसमें प्राय: पीलिया, अत्यधिक थकान (भूख में कमी) और अस्वस्थता हो सकती है.

18 अप्रैल: विश्व धरोहर दिवस, भारत के 42 स्थानों को विश्व धरोहर का दर्जा

प्रत्येक वर्ष पूरे विश्व में 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के रूप में मनाया जाता है. इसका उद्देश्य सांस्कृतिक-ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक विरासतों की विविधता का संक्षरण करना तथा स्मारकों के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

विश्व धरोहर दिवस 2024 का विषय

इस वर्ष यानी 2024 के विश्व धरोहर दिवस का मुख्य विषय (थीम) ‘विविधता की खोज करें और अनुभव करें’ (Discover and Experience Diversity) है.

इतिहास

International Council on Monuments and Sites (ICOMOS) ने 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस को मनाये जाने का प्रस्ताव यूनेस्को को दिया था. यूनेस्को ने 1983 में इस प्रस्ताव को अनुमोदित किया था.

धरोहर स्थल क्या है?

विश्व धरोहर या विरासत सांस्कृतिक महत्व और प्राकृतिक महत्व के वह स्थल होते है जो बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं. दुनियाभर में कुल 1052 विश्व धरोहर स्थल हैं जो बहुत ही महत्वपूर्ण हैं. इनमें से 814 सांस्कृति, 203 प्राकृतिक और 35 मिश्रित स्थल हैं.

यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल

यूनेस्को ने भारत में 42 स्थानों, शहर, इमारतों, गुफाओं आदि को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा दिया है. इनमें 34 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित धरोहर शामिल हैं. यूनेस्को में शामिल भारत के धरोहर स्थल इस प्रकार हैं:

 

क्रमांकविश्व विरासत स्थलवर्षसंबंधित राज्य
1.आगरा का किला1983उत्तर प्रदेश
2.अजंता की गुफाएं1983महाराष्ट्र
3.एलोरा की गुफाएं1983महाराष्ट्र
4.ताज महल1983उत्तर प्रदेश
5.महाबलीपुरम के स्मारक1984तमिलनाडु
6.सूर्य मंदिर1984ओड़िशा
7.मानस वन्यजीव अभ्यारण्य1985असम
8.काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान1985असम
9.केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान1985राजस्थान
10.गोवा के चर्च1986गोवा
11.फतेहपुर सीकरी1986उत्तर प्रदेश
12.हम्पी के स्मारक1986कर्नाटक
13.खजुराहो के मंदिर1986मध्य प्रदेश
14.एलीफेंटा की गुफाएं1987महाराष्ट्र
15.महान चोल मंदिर1987/ 2004तमिलनाडु
16.पट्टाकल के स्मारक1987कर्नाटक
17.सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान1987पश्चिम बंगाल
18.नंदादेवी राष्ट्रीय उद्यान व फूलों की घाटी1988/ 2005उत्तराखंड
19.सांची का स्तूप1989मध्य प्रदेश
20.हुमायूं का मक़बरा1993दिल्ली
21.क़ुतुब मीनार1993दिल्ली
22.भारत के पर्वतीय रेलवे (दार्जिलिंग/नीलगिरी/शिमला)1999/ 2005/ 2008पश्चिम बंगाल/ तमिलनाडु/ हिमाचल प्रदेश
23.महाबोधि मंदिर2002बिहार
24.भीमबेटका गुफ़ाएं2003मध्य प्रदेश
25.चंपानेर – पावागढ़ पार्क2004गुजरात
26.छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस2004महाराष्ट्र
27.लाल किला2007दिल्ली
28.जंतर-मंतर2010राजस्थान
29.पश्चिमी घाट2012गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल
30.राजस्थान के पहाड़ी किले2013राजस्थान
31.रानी की वाव2014गुजरात
32.ग्रेट हिमालयन राष्ट्रीय उद्यान2014हिमाचल प्रदेश
33.नालंदा2016बिहार
34.कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान2016सिक्किम
35.ली कार्बुसियर के स्थापत्य कार्य2016चंडीगढ़
36.अहमदाबाद शहर2017गुजरात
37.विक्टोरियन गोथिक और आर्ट डेको2018महाराष्ट्र
38.जयपुर2019राजस्थान
39.काकतीय रुद्रेश्‍वर मंदिर2021तेलंगाना
40.धोलावीरा2021गुजरात
41.शान्तिनिकेतन2023पश्चिम बंगाल
42.होयसल मंदिर समूह2023कर्नाटक

भारतीय संविधान में प्रावधान

भारतीय संविधान ने धरोहरों को संभालने की व्यवस्था की है। भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51 के अनुसार ‘यह प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि यह अपनी समृद्ध मिश्रित सांस्कृतिक विरासत का सम्मान और संरक्षण करें’.

यूनेस्को (UNESCO): एक दृष्टि

  • यूनेस्को या UNESCO, संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (United Nations Educational Scientific and Cultural Organization) का संक्षिप्त रूप है.
  • यह संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है. इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है.
  • UNESCO का गठन 4 नवंबर 1946 को हुआ था. इसका मुख्यालय फ्रांस के पेरिस में है. UNESCO के वर्तमान अध्यक्ष आंद्रे अजोले हैं.

17 अप्रैल: विश्व हीमोफिलिया दिवस, जानिए क्या है हीमोफिलिया

प्रत्येक वर्ष 17 अप्रैल को ‘विश्व हीमोफिलिया दिवस’ (World Hemophilia Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य हीमोफिलिया और रक्तस्राव विकारों के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. हीमोफिलिया के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1989 से विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी.

इस वर्ष (2024 में) विश्व हीमोफिलिया दिवस का विषय (थीम) ‘सभी के लिए समान पहुंच: सभी रक्तस्राव विकारों को पहचानना’ (Equitable access for all: recognizing all bleeding disorders) है.

फ्रैंक शनाबेल का जन्म दिन

यह दिवस फ्रैंक शनाबेल (Frank Schnabel) के जन्म दिन पर मनाया जाता है. फ्रैंक की 1987 में संक्रमित खून के कारण एड्स होने से मौत हो गई थी. फ्रैंक शनाबेल ने 1963 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हेमोफीलिया (WFH) की स्थापना की थी. WFH एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो इस रोग से ग्रस्त मरीजों का जीवन बेहतर बनाने की दिशा में काम करता है.

क्या है हीमोफिलिया?

हीमोफीलिया को ‘ब्रिटिश रॉयल डिजीज’ के नाम से भी जाना जाता है. यह एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें खून का थक्का (clot) बनने की प्रक्रिया बाधित होती है. इसमें क्रोमोजोम की कार्य प्रणाली बिगड़ने से रक्तस्राव बहुत तेज होता है. अधिकतर यह बीमारी पुरुषों में पाई जाती है.

15 अप्रैल 2024: 76वां हिमाचल दिवस

15 अप्रैल को हिमाचल दिवस मनाया गया. 1948 में इसी दिन यह राज्य अस्तित्व में आया था. 15 अप्रैल 2024 को 76वां हिमाचल दिवस  मनाया गया. 15 अप्रैल, 1948 में पंजाब और शिमला के 30 पहाड़ी राज्यों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया था.

हिमाचल प्रदेश: एक दृष्टि

  • प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को हिमाचल दिवस (Himachal Diwas) मनाया जाता है. 1948 में इसी दिन हिमाचल का गठन किया गया था.
  • हिमाचल सन् 1857 तक पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह के शासन के अधीन पंजाब राज्य का हिस्सा रहा था. अप्रैल, 1948 में 30 रियासतों को मिलाकर हिमाचल को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया था. सन 1966 में इस केन्द्रशासित प्रदेश में पंजाब के पहाड़ी भाग को मिलाकर इस राज्य का पुनर्गठन किया गया था.
  • ‘हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971’ के अन्तर्गत इसे भारत का 18वाँ राज्य का दर्जा दिया गया था. यह 25 जनवरी, 1971 को पूर्ण राज्य बना गया था. प्रत्येक वर्ष 25 जनवरी को हिमाचल प्रदेश का स्थापना दिवस (Foundation Day of Himachal Pradesh) मनाया जाता है.
  • हिमाचल प्रदेश उत्तर में जम्मू कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में पंजाब, दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखण्ड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा हुआ है. रावी, ब्यास और चिनाव हिमाचल प्रदेश की प्रमुख नदियां हैं.
  • यह प्रदेश पश्चिमी भारत में स्थित राज्य है. इस प्रदेश को देव भूमि भी कहा जाता है. यह उत्तर में जम्मू और कश्मीर, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में दक्षिण में हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व में उत्तराखंड तथा पूर्व में तिब्बत से घिरा है.
  • शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी है. डा. यशवंत सिंह परमार हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे.

15 अप्रैल: विश्व कला दिवस, लियोनार्डो डा विंकी का जन्मदिन

प्रत्येक वर्ष 15 अप्रैल को विश्व कला दिवस (World Art Day) मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य ललित कला संरक्षण के प्रति लोगों में जागरुकता फैलाना है. इस दिन को इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ आर्ट (IAA) द्वारा घोषित किया गया था.

लियोनार्डो डा विंकी का जन्मदिन

विश्व कला दिवस लियोनार्डो डा विंकी (Leonardo da Vinci) की याद में मनाते हैं. आज ही के दिन इनका जन्म इटली में हुआ था. लिओनार्दो महान चित्रकार, मूर्तिकार, वास्तुशिल्पी, संगीतज्ञ, कुशल यांत्रिक, इंजीनियर तथा वैज्ञानिक थे.

पहला विश्व कला दिवस 2015 में मनाया गया था

पहली बार विश्व कला दिवस 2015 में लॉस एंजिलिस में मनाया गया था जिसमें यह कहा गया था कि कला को आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए जिससे ये लोगों के दिलों तक पहुंच सके. उसके बाद से ही इसे प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा.

ललित कला क्या है?

गीत, संगीत, नृत्य, नाट्य, और विभिन्न प्रकार की ऐसी चित्रकलाएँ जिसमें हम अपने मनोभाव को प्रगट करते हैं, ललित कलाएं कही जाती हैं.