अग्नि-3 बलिस्टिक मिसाइल का पहली बार रात में परीक्षण किया गया

भारत ने 30 नवम्बर को ‘अग्नि-3’ बलिस्टिक मिसाइल का रात में परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास (चांदीपुर परीक्षण केंद्र) ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ पर एकीकृत परीक्षण (ITR) रेंज में एक मोबाइल लॉन्चर से किया गया. ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ को पहले व्हीलर आईलैंड के नाम से जाना जाता था. यह परीक्षण इंडियन आर्मी की स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड द्वारा किया गया है.

अग्नि-3 मिसाइल का यह पहला रात में किया गया परीक्षण था. इससे पहले हाल ही में जब भारत ने रात के वक्त पहली बार किसी अत्याधुनिक मिसाइल के रूप में ‘अग्नि-2’ का सफल परीक्षण किया था.

अग्नि-3 मिसाइल: एक दृष्टि

  • ‘अग्नि-3’ इंटरमीडिएट रेंज (मध्यम दूरी की) बलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है. यह सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 3,500 किलोमीटर है. यह 1.5 टन के हथियार को ले जाने में सक्षम है.
  • अग्नि-3 मिसाइल हाइब्रिड नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम से लैस है.
  • न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है.
  • इसकी लंबाई 17 मीटर, व्यास 2 मीटर और वजन करीब 50 टन है. यह 1000 किलोग्राम तक पेलोड ले जाने में भी सक्षम है.
  • दो स्टेज में अपना लक्ष्य हासिल करने वाली यह मिसाइल ‘सॉलिड फ्यूल’ से चलती है.
  • इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने तैयार किया है.

भारत ने टैंक भेदी दो स्‍पाइक मिसाइलों का सफल परीक्षण किया

भारतीय सेना ने 29 नवम्बर को लम्‍बी दूरी तक मार कर सकने वाली टैंक भेदी दो स्‍पाइक मिसाइलों (ATGM) का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की उपस्थिति में मध्य प्रदेश के महू में किया गया.

इन मिसाइलों को हाल ही में इस्राइल से खरीदा गया था. इस परीक्षण के साथ है भारत स्पाइक मिसाइल को अपने सुरक्षा बलों में शामिल करने वाला 33वां देश बन गया है. स्‍पाइक मिसाइल को इज़राइल के राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया गया है.

स्‍पाइक चौथी पीढ़ी की मिसाइल है जो चार किलोमीटर तक लक्ष्‍य को सटीकता से भेद सकती है. यह मिसाइल हवा में ही लक्ष्य बदलने की क्षमता रखती है.

अग्नि-2 मिसाइल का सफल परीक्षण: पहली बार अत्याधुनिक मिसाइल का रात में परीक्षण किया गया

भारत ने 16 नवम्बर को अग्नि-2 बलिस्टिक मिसाइल का रात में सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडिशा तट के पास (चांदीपुर परीक्षण केंद्र) ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ पर एकीकृत परीक्षण (ITR) रेंज के प्रक्षेपण परिसर-4 में एक मोबाइल लॉन्चर से किया गया. ‘डॉ अब्दुल कलाम द्वीप’ को पहले व्हीलर आईलैंड के नाम से जाना जाता था. यह पहला मौका था, जब भारत ने रात के वक्त किसी अत्याधुनिक मिसाइल का परीक्षण किया है.

अग्नि-2 मिसाइल: एक दृष्टि

  • ‘अग्नि-2’ इंटरमीडिएट रेंज बलिस्टिक मिसाइल (IRBM) है. यह सतह से सतह पर मार करने में सक्षम है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 2000 किमी है, जरूरत पर 3,000 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को पहले ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है.
  • इसकी लंबाई लगभग 20 मीटर है और यह 1000 किलोग्राम तक पेलोड ले जाने में भी सक्षम है.
  • दो स्टेज में अपना लक्ष्य हासिल करने वाली यह मिसाइल ‘सॉलिड फ्यूल’ से चलती है.
  • इस मिसाइल को DRDO के अडवांस्ड सिस्टम्स लैबोरेटरी ने तैयार किया है.

रक्षा खरीद परिषद ने सुरक्षा बलों के लिए 33 अरब रुपये के स्वदेशी उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी

रक्षा खरीद परिषद (DAC) की 21 अक्टूबर को हुई बैठक में सुरक्षा बलों के लिए 33 अरब रुपये के स्वदेशी उपकरणों की खरीद को मंजूरी दी गयी. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस बैठक की अध्यक्षता की.

रक्षा मंत्रालय ने पहली बार निजी क्षेत्र को जटिल रक्षा उपकरण डिजाइन तैयार करने और उसे विकसित करने तथा उनके स्‍वदेश में निर्माण का प्रस्‍ताव दिया है. इन परियोजनाओं को मेक-2 श्रेणी के अंतर्गत आगे बढ़ाया जाएगा.

DAC की बैठक में मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम पर जोर देते हुए DAC ने तीन परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की गयी. पहली दो परियोजनाओं में टी-72 और टी-90 टैंकों के लिए तीसरी पीढ़ी के टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्‍त्र और सहायक विद्युत इकाइयां शामिल हैं. तीसरी परियोजना पर्वतीय और ऊंचाई वाले स्‍थानों में छिपकर काम करने वाली इलेक्‍ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से संबंधित हैं.

यह प्रक्षेपास्‍त्र, बख्‍तरबंद युद्ध में सेनाओं को बेहतर ढंग से आक्रमण करने की सुविधा उपलब्‍ध कराएंगे. वहीं बिजली उत्‍पादन इकाइयां टैंकों की अग्नि शमन प्रणाली और रात में युद्ध करने की क्षमता बढ़ाएंगी.

भारत ने फ्रांस से पहला रफाल लड़ाकू विमान ग्रहण किया

भारत को फ्रांस से पहला रफाल लड़ाकू विमान मिल गया है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 8 अक्टूबर को फ्रांस के मेरीनेक में दसू एविऐशन की उत्‍पादन इकाई में एक समारोह में इसे ग्रहण किया. भारत ने 59 हजार करोड़ रुपए की लागत से छत्तीस रफाल लड़ाकू विमानों के लिए सितंबर 2016 में फ्रांस के साथ समझौता किया था. ये सभी विमान सितंबर 2022 तक मिल जाने की आशा है.

श्री सिंह ने इस अवसर पर शस्‍त्र पूजा की और रफाल में उड़ान भरी. इससे पहले रक्षा मंत्री ने पेरिस में फ्रांस के राष्‍ट्रपति एमेनुअल मैक्रो से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने भारत-फ्रांस रक्षा और रणनीतिक संबंधों पर चर्चा की.

रफाल विश्व का आधुनिकतम लड़ाकू विमान है. इसका रेडार सिस्टम 100 किलोमीटर के दायरे में 40 टारगेट चिह्नित कर लेता है, जबकि करीब 300 किलोमीटर की दूरी पर लक्ष्य को भेद सकता है.

DRDO ने स्‍वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया


रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 30 सितम्बर को स्‍वदेशी उपकरणों वाले ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के भू-हमला संस्करण का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण ओडि़सा के चांदीपुर परीक्षण केंद्र से किया गया. यह मिसाइल जमीनी लड़ाई में उपयोगी साबित होगी. इस मिसाइल को ज़मीन और समुद्र में स्थित प्लेटफॉर्म दोनों से दागा जा सकता है.

ब्रह्मोस मिसाईल: महत्वपूर्ण तथ्यों पर एक दृष्टि

  • ब्रह्मोस के महानिदेशक डॉक्‍टर सुधीर कुमार हैं.
  • ब्रह्मोस एक कम दूरी की सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है.
  • 9 मीटर लंबी इस मिसाइल का वजन लगभग 3 टन है. यह मिसाइल ठोस ईंधन से संचालित होती है.
  • यह दुनिया की सबसे तेज मिसाइल है. यह ध्‍वनि से 2.9 गुना तेज (करीब एक किलोमीटर प्रति सेकेंड) गति से 14 किलोमीटर की ऊँचाई तक जा सकता है.
  • इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर है जिसे अब 400 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है.
  • ब्रम्‍होस का विकास भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के एनपीओ के संयुक्‍त उद्यम ने किया है.
  • ब्रह्मोस के संस्करणों को भूमि, वायु, समुद्र और जल के अंदर से दागा जा सकता है.
  • इसका पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया गया था.
  • इस मिसाइल का नाम दो नदियों को मिलाकर रखा गया है जिसमें भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्क्वा नदी शामिल है.
  • जमीन और नौवहन पोत से छोड़ी जा सकने बाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाईल पहले ही भारतीय सेना और नौसेना में शामिल की जा चुकी है. इस सफल परीक्षण के बाद ये मिसाइल सेना के तीनों अंगों का हिस्सा बन जायेगी.

सुखोई लड़ाकू विमान से गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने 24 मई 2019 को सुखोई लड़ाकू विमान (SU-30 MKI) से 500 किलोग्राम श्रेणी के एक गाइडेड बम छोड़ने का सफल परीक्षण किया था. यह परीक्षण राजस्थान के पोकरण में किया गया था. यह बम देश में ही विकसित किया गया है.

भारत की तीनों सेनाओं ने गुजरात में पहला संयुक्त युद्धाभ्यास ‘स्मेलिंग फील्ड’ का आयोजन किया

भारत की तीनों सेनाओं ने संयुक्त रूप से पहला युद्धाभ्यास (फर्स्ट वॉरगेम्स) 29 सितम्बर को पूरा किया. इस अभ्यास में आर्मी, एयर फोर्स और नेवी के स्पेशल कमांडो ने एक साथ हिस्सा लिया. यह पहला मौका था, जब तीनों सेनाओं की स्पेशल फोर्स ने इस तरह एक साथ युद्धाभ्यास किया हो.

इस युद्धाभ्यास का आयोजन ‘ऑर्म्ड फोर्स स्पेशल ऑपरेशन डिविजन (AFSOD) ने किया था. AFSOD का नेतृत्व मेजर जनरल अशोक ढींगरा ने किया था. मेजर जनरल ढींगरा इस टीम के पहले चीफ हैं. तीनों सेनाओं की स्पेशल फोर्स आम तौर पर अलग-अलग काम करती है, लेकिन AFSOD के तहत तीनों के स्पेशल कमांडों एक साथ अभ्यास कर रहे हैं.

युद्धाभ्यास का नाम ‘स्मेलिंग फील्ड’
इस अभ्यास का नाम ‘स्मेलिंग फील्ड’ (Operation Smelling Field) था. इसे गुजरात में पाकिस्तान बॉर्डर के पास नालिया में आयोजित किया गया था. यहां भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना का अहम बेस है. नालिया कच्छ जिले का हिस्सा है.

‘स्मेलिंग फील्ड’ युद्धाभ्यास में भारतीय सुरक्षा बलों ने आतंकियों से निपटने के दौरान सामने आने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए अभ्यास किया.


INS खांदेरी को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया

INS खांदेरी को 28 सितंबर को भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया गया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका जलावतरण मुंबई में किया.
INS खांदेरी फ्रांस ऑरिजन की स्‍कॉर्पियन श्रेणी की दूसरी डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी (Submarine) है. यह भारतीय नौसेना के ‘प्रोजेक्ट-75’ का हिस्‍सा है. इसके तहत मझगांंव डॉकयार्ड लिमिटेड फ्रांस के मैसर्स DCNS के साथ मिलकर छह पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है.

INS खांदेरी: एक दृष्टि

    • इस पनडुब्‍बी को खांदेरी का नाम मराठा बलों के द्वीपीय किले के नाम पर दिया गया है. इसकी 17वीं सदी के अंत में समुद्र में मराठा बलों का सर्वोच्च अधिकार सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका थी.
    • 1615 टन वजनी INS खांदेरी पनडुब्‍बी INS कलावरी के बाद दूसरी पनडुब्‍बी है. INS कलावरी को दिसंबर 2017 में नौसेना में शामिल किया गया था.
    • इस पन्नडुब्बी की अधिकतम स्‍पीड करीब 37 किमी प्रतिघंटे की है. यह 1150 फीट (350 मीटर) की गहराई तक जा सकती है.
    • इसमें EXOCETSM 39 मिसाइल और टारपीडो दागने की सुविधा है. EXOCETSM 39 एंटीशिप मिसाइल है. इस पनडुब्‍बी की चुपके से प्रहार करने की अचूक क्षमता है.
    • खंडेरी पन्नडुब्बी 47 दिन पानी में रुक सकती है. स्किल टैक्नोलॉजी से रडार की पकड़ में यह नहीं आती और किसी भी मौसम में कार्य करने में सक्षम है.


समुद्री गश्‍ती पोत ‘वराह’ चेन्‍नई बंदरगाह में भारतीय तटरक्षक बेड़े में शामिल किया गया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 25 सितम्बर को चेन्‍नई बंदरगाह में समुद्री गश्‍ती पोत ‘वराह’ को भारतीय तटरक्षक बल के बेड़े में शामिल किया. यह बेड़े का चौथा गश्‍ती पोत है. इसे पश्चिमी कमान के तहत कर्नाटक के न्‍यू मंगलौर में तैनात किया जाएगा.

गश्‍ती पोत वराह: एक दृष्टि

  • 98 मीटर गश्‍ती पोत वराह का डिजाइन और निर्माण देश में ही किया गया है.
  • यह तलाश और बचाव कार्य तथा समुद्री गश्‍ती संचालन के लिए दो इंजन वाले हेलिकॉप्‍टर और तीव्र गति की चार नौकाओं को ले जाने में सक्षम है.
  • इसमें समुद्र में तेल फैलने जैसी घटनाओं से बचाव के लिए प्रदूषण नियंत्रण उपकरण भी लगे हैं.


भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के बीच ‘SITMEX-19’ त्रिपक्षीय अभ्यास

भारत, सिंगापुर और थाईलैंड के नौसेनाओं के बीच त्रिपक्षीय अभ्यास ‘SITMEX-19’ अंदमान और निकोबार द्वीपसमूह के पोर्ट ब्लेयर में 16 से 20 सितम्बर तक आयोजित किया जा रहा है. इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य मलक्का जलडमरूमध्य में स्वतंत्र और निर्बाध शिपिंग प्रवाह सुनिश्चित करना है. विश्व के आधे से अधिक शिपिंग व्यापार का संचालन मलक्का जलडमरूमध्य के माध्यम से किया जाता है. इस अभ्यास का आयोजन दो चरणों- बंदरगाह चरण और समुद्री चरण में किया जाएगा.


भारत ने हवा से हवा में मार करने सक्षम ‘अस्त्र’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने 17 सितम्बर को अस्त्र मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सुखोई-30 MKI लड़ाकू विमान से किया गया, जिसने पश्चिम बंगाल में एक हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी.

अस्त्र मिसाइल: मुख्य तथ्य

  • अस्त्र मिसाइल BVR (बियोंड विजुअल रेंज) एयर-टू-एयर (हवा से हवा में मार करने वाली) मारक क्षमता वाली मिसाइल है.
  • इसकी रेंज 70-80 किलोमीटर है. अस्त्र एक ऐसी मिसाइल है जो किसी भी मौसम में इस्तेमाल की जा सकती है. इसे एक्टिव रडार टर्मिनल गाइडेंस से लैस किया गया है.
  • इसका निर्माण DRDO ने किया है. इसे मिराज-2000H, मिग-29, मिग-29K, मिग-21 बायसन, LCA तेजस और सुखोई SU-30 MKI विमानों में लगाने के लिए विकसित किया गया है.
  • इस मिसाइल में ठोस ईंधन प्रणोदक का इस्तेमाल किया गया है. यह सुपर सोनिक गति से हवा में उड़ रहे किसी भी लक्ष्य को नेस्तनाबूत कर सकती है.
  • इसका वजन 154 किलोग्राम, लंबाई 3570mm और व्यास 178mm है.


भारतीय सेना पूर्वोत्तर के चीन सीमा पर ‘हिम विजय’ युद्ध-अभ्यास करेगी

भारतीय सेना पूर्वोत्तर के चीन सीमा पर नियोजित युद्ध-अभ्यास (war exercise) करेगी. इस युद्ध-अभ्यास का नाम ‘हिम विजय’ (Him Vijay) रखा गया है. यह युद्ध-अभ्यास मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश में नव-निर्मित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर की युद्ध लड़ने की क्षमताओं का परीक्षण करेगा. इस अभ्यास में भारतीय वायु सेना (IAF) भी शामिल होगी जो वास्तविक युद्ध स्थिति के अभ्यासों के लिए हवाई सुरक्षा प्रदान करेगी.

इस दौरान देश के पूर्वी मोर्चे पर वास्तविक युद्ध जैसी स्थिति का निर्माण कर अभ्यास करने के लिए सैन्यबलों को तैनात किया जाएगा. यह चीन की सीमा पर तैनात नव-निर्मित 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर द्वारा अपनी तरह का पहला अभ्यास होगा.

युद्ध-अभ्यास ‘हिम विजय’: एक दृष्टि

  • युद्ध अभ्यास के दौरान 17 माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स को M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के साथ तैनात किया जाएगा जिससे सेना दुश्मन के खिलाफ तेज और निर्णायक कार्रवाई कर सके.
  • युद्धाभ्यास में अमेरिकी हैवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर चिनूक का भी इस्तेमाल किया जाएगा. इससे M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को ऊंचाई वाले इलाकों में एयरलिफ्ट करके जल्दी से तैनात करने की क्षमताओं का परीक्षण किया जा सके.
  • चिनूक को अभी तक वायु सेना द्वारा पूर्वोत्तर में शामिल नहीं किया गया है. वहीं M-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर को K-9 वज्र हॉवित्जर के साथ भारतीय सेना में शामिल किया गया है.
  • इस युद्धाभ्यास में भारतीय वायु सेना पश्चिम बंगाल में बगदोगरा से सैनिकों को एयरलिफ्ट करने के लिए अपने परिवहन विमानों सी-17 ग्लोबमास्टर, सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और एएन-32 विमानों का उपयोग करेगी.