विपणन वर्ष 2020-21 के लिए खरीफ फसलों के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में बढ़ोतरी की गयी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय किया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 1 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में हुई.

मंत्रिमंडल के निर्णय के अनुसार खरीफ की 14 फसलों के लिए MSP में 83 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गयी है. यह बढ़ोतरी किसानों के लागत से 50 प्रतिशत अधिक मुनाफे को ध्‍यान में रखते हुए किया गया है.

मंत्रिमंडल ने धान के MSP में 53 रुपये की बढ़ोतरी की है. अब धान का MSP 1868 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. ज्‍वार का MSP 2620 प्रति क्विंटल और बाजरा का MSP 2150 प्रति क्विंटल घोषित किया गया है. कपास का MSP 260 रुपये बढ़ाकर 5515 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

NSO ने पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में GDP वृद्धि दर के आंकड़े जारी किये

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने पिछले वित्त वर्ष (2019-20) की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर के आंकड़े 29 मई को जारी किये. इन आंकड़े के अनुसार इस दौरान देश की GDP वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही.

2019-20 में GDP वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत रही

इससे पिछले वित्त वर्ष (2018-19) की समान तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.7 प्रतिशत रही थी. वित्त वर्ष (2019-20) में GDP वृद्धि दर घटकर 4.2 प्रतिशत पर आ गई है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 6.1 प्रतिशत रही थी.

COVID-19 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर असर

COVID-19 पर काबू के लिए सरकार ने 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की थी. लेकिन जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा.

चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना के अंतर्गत चम्‍बा में बनाई गई सुरंग का उद्घाटन

केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना के तहत चम्‍बा में बनाई गई 440 मीटर लम्‍बी सुरंग का 26 मई को विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये उद्घाटन किया.

चम्‍बा सुरंग से चारधाम राजमार्ग (NH 94) के ऋषिकेश-धारसू और गंगोत्री मार्ग के यात्रियों के समय में काफी बचत होगी. इससे चम्‍बा में भीड-भाड से राहत मिलेगी और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढावा मिलेगा.

चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना

चारधाम राजमार्ग विकास परियोजना की आधारशिला 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रखी गई थी. इस परियोजना के तहत वर्तमान में उत्तराखंड में लगभग 12,000 करोड़ रुपये के लागत से इस राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजना का निर्माण किया जा रहा है.

इस परियोजना के तहत लगभग 889 किलोमीटर लम्‍बे राष्‍ट्रीय राजमार्ग का निर्माण किया जाना है. इसमें से गंगोत्री और बद्रीनाथ से लगे 250 किलोमीटर लम्‍बे सडक मार्ग के निर्माण का कार्य सीमा सडक संगठन (BRO) को सौंपा गया है.

RBI ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने 22 मई को कई उपायों की घोषणा की. RBI ने COVID-19 (कोरोना वायरस) से देश की अर्थव्‍यवस्‍था को सहारा देने के लिए ये घोषणाएं की.

RBI की घोषणा के मुख्य बिंदु

इन घोषणाओं में RBI ने बेंचमार्क ब्याज दरों में कमी किए जाने और सभी सावधि ऋण और पूंजीगत ऋण के मासिक भुगतान पर तीन महीने तक की राहत देने की घोषणा की.

RBI ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.40 प्रतिशत की कमी करके उसे 4 प्रतिशत कर दिया है. रिवर्स रेपो दर में भी 40 आधार अंकों की कमी करके उसे 3.75 प्रतिशत किया गया है. इसी प्रकार बैंक दर को 4.65 प्रतिशत से घटाकर 4.25% कर दिया गया है.

RBI के अनुसार इस वित्त वर्ष (2020-21) की पहली छमाही (अप्रैल-सितम्बर) में महंगाई उच्च स्तर पर रह सकती है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोरोना लॉकडाउन के कारण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और इस साल अर्थव्यवस्था वृद्धि दर (GDP) के निगेटिव रहने का खतरा है.

रेपो रेट कम होने से कैसे लोगों को होता है फायदा?

रेपो रेट के कम होने से बैंकों को RBI से कम व्याज पर कर्ज मिलता है. इस सस्ती लागत का लाभ कर्ज लेने वाले ग्राहकों को मिलता है. इससे बैंकों को घर, दुकान, पर्सनल और कार के लिये लोन कम दरों पर देने का मौका मिलता है. ग्राहकों के चल रहे लोन पर EMI का भी कम होता है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर4%
प्रत्‍यावर्तनीय रिपो दर3.65%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर4.25%
बैंक दर4.25%
CRR3%
SLR18%

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

ई-नाम पोर्टल एक हजार मंडियों से जुड़ा, जानिए क्या है ई-नाम

कृषि उत्पादों की बिक्री के लिए बनाया गया ई-नाम पोर्टल 18 राज्यों और 3 केन्द्र शासित प्रदेशों की एक हजार मंडियों से जुड़ गया है. कृषि मंत्रालय के अनुसार, 15 मई को 38 अतिरिक्त मंडियों को इस पोर्टल से जोड़ा गया.

ई-नाम क्या है?

  • ई-नाम (eNAM) National Agriculture Market का संक्षिप्त रूप है. किसानों के लिए अपने फसलों को ऑनलाइन बेचने के लिए यह एक व्यापार पोर्टल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में ई-नाम की शुरुआत की थी. यह पोर्टल ‘www.enam.gov.in’ पर उपलब्ध है.
  • यह पोर्टल एक राष्ट्रीय कृषि बाजार है. इससे किसानों को, अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में जाने की जरूरत नहीं होगी.
  • कोरोनावायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिहाज से ई-नाम सुविधा काफी अहम है, क्योंकि यह सामाजिक दूरी को बनाए रखते हुए व्यापार करने की सुविधा प्रदान करता है.
  • देशभर की कृषि उपज मंडियों को एक मंच पर लाकर किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
  • इस पोर्टल के माध्यम से अब तक 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो चुका है. वहीं पिछले चार साल में एक करोड 66 लाख किसान, 1 लाख 31 हजार व्‍यापारी के अलावा 1 हजार से अधिक किसान उत्‍पादक संगठन ई-नाम से जुड़ चुके हैं.

विश्‍व बैंक ने भारत के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी

विश्‍व बैंक ने भारत के कोविड-19 सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रम को गति देने के लिए एक अरब डॉलर की मंजूरी दी है. आर्थिक पैकेज का पहला चरण देशभर में प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण योजना के जरिये लागू किया जाएगा. यह उन गरीब और कमजोर परिवारों को सामाजिक सहायता प्रदान करने में भारत के प्रयासों का समर्थन करेगा, जो COVID-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.

यह मंजूर सहयोग राशि दो चरणों में जारी की जाएगी. पहले चरण में वित्‍त वर्ष 2020 के लिए 75 करोड़ डॉलर और वित्‍त वर्ष 2021 के लिए दूसरे चरण में 25 करोड़ डॉलर दिया जाएगा. विश्व बैंक ने भारत में कोविड-19 से निपटने के आपात प्रयासों के लिए कुल दो अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है.

विश्‍व बैंक: एक दृष्टि

  1. विश्व बैंक (World Bank) विशिष्ट अन्तर्राष्ट्रीय संस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निमाण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है. इसकी स्थापना 1945 में हुई थी. इसका मुख्यालय वॉशिंगटन डीसी में है. विश्‍व बैंक का आदर्श वाक्य ‘निर्धनता मुक्त विश्व के लिए कार्य करना’ है.
  2. विश्‍व बैंक दो अनूठी विकास संस्‍थाओं- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (IBRD) और अन्तर्राष्ट्रीय विकास एसोसिएशन (IDA) का संगम है. इन दोनों संस्‍थाओं पर 188 सदस्‍य देशों का स्‍वामित्‍व है.

न्यू डेवलपमेंट बैंक ने भारत के लिए एक अरब डॉलर के ऋण को मंजूरी दी

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) ने कोरोना वायरस (COVID-19) महामारी से लड़ने के लिए भारत को एक अरब (बिलियन) डॉलर ऋण देने की मंजूरी दी है. इस राशि का उपयोग इस महामारी से होने वाले मानवीय, सामाजिक और आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए किया जाएगा.

न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB): एक दृष्टि

  • न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB), BRICS समूह के देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) द्वारा स्थापित किया गया बैंक है. NDB का मुख्यालय शंघाई, चीन में है.
  • ब्राज़ील के फ़ोर्टालेज़ा में आयोजित छठे BRICS शिखर सम्मेलन, 2014 में 100 अरब डॉलर की शुरुआती अधिकृत पूंजी के साथ NDB की स्थापना का निर्णय किया गया था. इस धनराशि में सभी सदस्य देशों की बराबर-बराबर हिस्सेदारी है. भारत के केवी कामत NDB के पहले और वर्तमान अध्यक्ष हैं.

20 लाख करोड़ रुपये के ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ की घोषणा की गयी

वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने 13 मई को 20 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत पैकेज (Atmanirbhar Bharat Package) का ब्यौरा दिया. यह राहत पैकेज देश के सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत है. इससे कुटीर उद्योग, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम, मध्य वर्ग तथा उद्य़ोग जगत सहित विभिन्न वर्गों को लाभ मिलने की उम्मीद है.

प्रधानमंत्री का राष्‍ट्र को संबोधन

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने राष्‍ट्र को संबोधित करते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत पैकेज’ की घोषणा की थी. इसकी घोषणा कोरोना वॉयरस महामारी को देखते हुए किया गया है.

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कोविड-19 के बाद आत्‍म निर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने की बात कही थी. उन्होंने देशवासियों से लोकल Products खरीदने और उनके प्रचार करने का भी अनुरोध किया था. उन्‍होंने ज़ोर दिया कि भारत की आत्‍मनिर्भरता इन पांच स्तंभों पर खड़ा होगा:

  1. अर्थव्यवस्था, जो वृद्धिशील परिवर्तन नहीं, बल्कि लंबी छलांग सुनिश्चित करती है.
  2. बुनियादी ढांचा, जिसे भारत की पहचान बन जाना चाहिए.
  3. प्रणाली (सिस्‍टम), जो 21वीं सदी की प्रौद्योगिकी संचालित व्यवस्थाओं पर आधारित हो.
  4. उत्‍साहशील आबादी, जो आत्मनिर्भर भारत के लिए हमारी ऊर्जा का स्रोत है.
  5. मांग, जिसके तहत हमारी मांग एवं आपूर्ति श्रृंखला (सप्‍लाई-चेन) की ताकत का उपयोग पूरी क्षमता से किया जाना चाहिए.

आत्मनिर्भर भारत पैकेज के मुख्य बिंदु

  • यह राहत पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये का है जो देश के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 10 प्रतिशत है. GDP के अनुपात में यह दुनिया का पांचवां बड़ा आर्थिक पै‍केज है.
  • पैकेज में MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) और बिजनस के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के कोलैटरल फ्री 100% ऑटोमैटिक लोन की घोषणा. दबाव वाले MSME को 20,000 करोड़ रुपये का (बिना गारंटी के) कर्ज दिया जाएगा. इससे 2 लाख MSME लाभान्वित होंगे.
  • एंप्लॉयी प्रविडेंट फंड (EPF) में योगदान की राशि को कम करने की घोषणा की गयी. अब तक बेसिक पे का 12 प्रतिशत एंप्लॉयर और 12 प्रतिशत एंप्लॉयी पीएफ फंड में जमा करता रहा है. अगले तीन महीने के लिए इसे घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है. इससे 6750 करोड़ रुपये का लिक्विडिटी सपॉर्ट मिलेगा.
  • NBFC (नॉन बैंकिंग फाइनैंशल कंपनीज) को आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना के जरिये 45,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध करायी जाएगी.
  • सरकार ने नाबार्ड के जरिए किसानों के लिए 30 हजार करोड़ रुपए की आपात कार्यशील पूंजी कोष बनाने की भी घोषणा की.
  • सरकार और निजी संस्‍थाओं को आवास क्षेत्र में किफायती किराया आवास विकसित करने के लिए 70 हजार करोड़ रुपए दिए जाएंगे. इससे रोजगार के साथ-साथ इस्‍पात, सीमेंट, परिवहन और निर्माण संबंधी अन्‍य सामग्री की मांग पैदा होगी.

तरुण बजाज को RBI के केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक नियुक्त किये गये

केंद्र सरकार ने आर्थिक मामलों के सचिव तरुण बजाज को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय निदेशक मंडल में निदेशक नियुक्त किया है. बजाज इस पद से सेवानिवृत्त हो रहे अतनु चक्रवर्ती का स्थान लेंगे. बजाज का नामांकन 5 मई से अगले आदेश तक प्रभावी रहेगा.

तरुण बजाज 1988 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी हैं. आर्थिक मामलों के सचिव बनाए जाने से पहले वह प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव रह चुके हैं.

RBI ने CKP Co-operative Bank Ltd का लाइसेंस रद्द किया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मुंबई स्थित CKP Co-operative Bank Ltd का लाइसेंस हाल ही में रद्द कर दिया है. RBI ने पूंजी संबंधी न्यूनतम अनिवार्यता को पूरा करने में विफल रहने का कारण इस बैंक का लाइसेंस रद्द करने का निर्णय लिया है.

CKP Co-operative Bank Ltd Mumbai का लाइसेंस रद्द किए जाने संबंधी RBI का फैसला 1 मई से प्रभावी हुआ है. लाइसेंस रद्द किए जाने के बाद यह बैंक किसी तरह का लेन-देन नहीं कर सकता है. यह बैंक जमा राशि को स्वीकार नहीं कर सकता है और ना ही किसी को जमा राशि का भुगतान कर सकता है.

DICGC Act 1961 के तहत जमा राशि वापस की जाएगी

CKP Co-operative Bank Ltd का लाइसेंस रद्द होने के बाद DICGC Act 1961 के तहत इस बैंक के जमाकर्ताओं को पैसे लौटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके तहत हर जमाकर्ता को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की जमा राशि वापस की जाएगी.

DICGC Act, 1961 के तहत बैंकों के डूबने पर जमाकर्ताओं को अधिकतम 5 लाख रुपये तक की जमा राशि वापस दिए जाने का प्रावधान है. यह राशि DICGC द्वारा लौटायी जाएगी. अगर किसी की इससे ज्यादा रकम जमा है तो 5 लाख को छोड़कर बाकी की जमा राशि डूब जाएगी.

DICGC क्या है?

DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) RBI की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है. RBI के निर्देश के मुताबिक सभी वाणिज्यिक और को-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं का DICGC से अधिकतम 5 लाख रुपये तक का बीमा होता है. बैंकों के डूबने की स्थिति में इस बीमा के तहत जमाकर्ताओं की जमा राशि लौटाई जाती है.

CAIT ने खुदरा व्यापारियों के लिए ई-कामर्स मार्केट प्लेस ‘bharatemarket.in’ की शुरुआत की

कांफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने देश के सभी खुदरा व्यापारियों के लिए एक राष्ट्रीय ई-कामर्स मार्केट प्लेस की शुरुआत की है. यह ई-कामर्स मार्केट प्लेस ‘bharatemarket.in’ नाम के पोर्टल पर उपलब्ध होगा. इस मार्केटप्लेस में देश के सभी खुदरा व्यापारियों को लाने का लक्ष्य है.

इस पोर्टल से जुड़ने वाले व्यापारी इस मार्केटप्लेस के एक हिस्से के मालिक होंगे. पोर्टल का मिशन भारत की पारंपरिक स्व-संगठित व्यापारिक को डिजिटल तकनीक से जोड़ कर निर्माता से लेकर अंतिम उपभोक्ता तक सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी होगी.

इस पोर्टल पर बिकने वाले सामान पर कोई भी शुल्क नहीं लगेगा तथा व्यापारियों की ई-दुकाने बिना किसी शुल्क के बनाई जाएंगी. कोई भी उपभोक्ता अपने निकटतम रिटेलर से सामान खरीद सकेगा, जिसकी डिलीवरी तुरंत की जायेगी. अन्य पोर्टलों की अपेक्षा इस पोर्टल में सामान की गुणवत्ता, कीमत तथा डिलीवरी बहुत ही कम समय में होगी.

कश्मीरी सैफरन, मणिपुर के काले चावल सहित कई उत्पादों को GI Tag दिया गया

देश में उगाई जाने वाली कश्मीरी सैफरन, मणिपुर के काले चावल सहित कई उत्पादों को हाल ही में भौगोलिक संकेतक (GI Tag) पहचान दी गयी है.

कश्मीरी केसर

कश्मीरी केसर (Saffron) यानी जाफ़रान को GI Tag मिला है. जियोग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री (Geographical Indications Registry) ने कश्मीरी केसर को GI Tag नंबर 635 प्रदान किया है. भारत में केसर कश्मीर के कुछ क्षेत्र में उगाया जाता है.

मणिपुर का काला चावल (चक-हाओ)

मणिपुर के काले चावल को चाक-हाओ से भी जाना जाता है. चाक-हाओ के GI Tag के लिए आवेदन उत्तर पूर्वी क्षेत्रीय कृषि विपणन निगम लिमिटेड (NERAMAC) ने गया था. एंथोसायनिन एजेंट के कारण इस चावल का रंग काला होता है. यह चावल मिष्ठान, दलिया बनाने के लिए उपयुक्त है.

गोरखपुर का टेराकोटा

गोरखपुर टेराकोटा के लिए उत्तर प्रदेश के लक्ष्मी टेराकोटा मुर्तिकला केंद्र द्वारा आवेदन दायर किया गया था. गोरखपुर का टेराकोटा लगभग 100 वर्ष पुराना है जिसका उपयोग हस्तशिल्पियों द्वारा नक्काशी और आकृतियां बनाने में किया जाता है.

कोविलपट्टी की कदलाई मितई

कदलाई मितई तमिलनाडु के दक्षिणी भागों में बनाई जाने वाली मूंगफली कैंडी है. मूंगफली और गुड़ से कैंडी को तैयार की जाता है. इसमें विशेष रूप से थामीबरानी नदी के पानी का उपयोग किया जाता है.

GI टैग क्या है?

GI (Geographical Indication) टैग किसी भी उत्पाद के लिए एक भौगोलिक चिन्ह होता है जो कुछ विशिष्ट उत्पादों (कृषि, प्राक्रतिक, हस्तशिल्प और औधोगिक सामान) को दिया जाता है. यह टैग एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में 10 वर्ष या उससे अधिक समय से उत्पन्न या निर्मित हो रहे उत्पादों को दिया जाता है.

भारत में GI टैग

भारत ने GI टैग उत्पादों का (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम को 15 सितम्बर, 2003 को पारित किया था. इस आधार पर भारत के किसी भी क्षेत्र में पाए जाने वाली विशिष्ट वस्तु का कानूनी अधिकार उस राज्य को दे दिया जाता है. भारत में GI टैग सर्वप्रथम वर्ष 2004- 2005 में, दार्जिलिंग चाय को दिया गया. भारत में GI टैग्स किसी खास फसल, प्राकृतिक और निर्मित सामानों को दिए जाता है.

कई बार ऐसा भी होता है कि एक से अधिक राज्यों में बराबर रूप से पाई जाने वाली फसल या किसी प्राकृतिक वस्तु को उन सभी राज्यों का मिला-जुला GI टैग दिया जाए. यह बासमती चावल के साथ हुआ है. बासमती चावल पर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों का अधिकार है.

 

GI टैग प्राप्त कर चुके भारत के कुछ उत्पाद

जम्मू और कश्मीर कि पश्मीना, वालनट की लकड़ी पर नक्काशी, सिक्किम कि बड़ी इलायची, मैसूर की रेशम, जयपुर की ब्लू मिट्टी के बर्तन, कन्नौज का परफ्यूम, गोवा कि फेनी, राजस्थान कि थेवा पेंटिंग, महाबलेश्वर स्ट्रोबैरी, जयपुर की ब्लूपोटेरी, बनारसी साड़ी, बिहार की ‘शाही लीची’ और तिरूपति के लड्डू कुछ ऐसे उदाहरण है जिन्हें जीआई टैग मिला हुआ है.

GI टैग के फायदे

  • GI टैग उन उत्पादों को संरक्षण प्रदान करता है, जहाँ घरेलू और अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रीमियम मूल्य निर्धारण का आश्वासन देता है.
  • GI टैग यह भी सुनिश्चित करता है कि अधिकृत उपयोगकर्ताओं निदिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में दर्ज किए गये उत्पादों का नाम अन्य किसी को उपयोग करने कि अनुमति नही देता है.
  • GI उत्पाद किसी भौगोलिक क्षेत्रों में किसानों, बुनकरों शिल्पों और कलाकारों की आय को बढ़ाकर वहां की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचा सकते हैं.
  • GI टैग मिलने के बाद अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में उस वस्तु की कीमत और उसका महत्व बढ़ जाता है. इस वजह से देश-विदेश से लोग एक खास जगह पर उस विशिष्ट सामान को खरीदने आते हैं.
  • किसी भौगोलिक क्षेत्रों में रहने वाले कारीगरों/ कलाकारों के पास बेहतरीन हुनर, कौशल और पारंपरिक पद्धतियों का ज्ञान होता है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित होता रहता है. इसे सहेज कर रखने तथा बढ़ावा देने के लिए GI टैग की आवश्यकता होती है.

GI टैग और पेटेंट में अंतर

GI टैग किसी भौगोलिक परिस्थिति के आधार पर दिए जाते हैं, जबकि पेटेंट नई खोज और आविष्कारों को बचाए रखने का जरिया हैं. GI टैग्स और पेटेंट दोनों ही इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) का हिस्सा हैं, जो पेटेंट्स से मिलते-जुलते ही हैं.