गोल्डमैन सैच रिपोर्ट: भारत 2075 तक विश्‍व की दूसरी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था होगी

निवेश बैंक गोल्डमैन सैच (Goldman Sachs) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर हाल ही में एक रिपोर्ट जारी की है. इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2075 तक जापान, जर्मनी और अमरीका को पीछे छोडते हुए विश्‍व की दूसरी सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था होगी.

गोल्डमैन सैच रिपोर्ट: मुख्य बिन्दु

  • 140 करोड की आबादी के साथ भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) बढ कर 52.5 ट्रिलियन डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो अमरीका के GDP के अनुमान से अधिक है.
  • वर्तमान में, भारत जर्मनी, जापान, चीन और अमेरिका के बाद दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
  • नवाचार, प्रौद्योगिकी, उच्च पूंजी निवेश और बढ़ती श्रमिक उत्पादकता आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था की मदद करेगी.
  • अगले दो दशकों में भारत का निर्भरता अनुपात क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम होगा. निर्भरता अनुपात को कुल कामकाजी उम्र की आबादी के खिलाफ आश्रितों की संख्या से मापा जाता है.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6.5% पर अपरिवर्तित

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 6-8 जून को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) की दूसरी द्विमासिक (मई-जून) मौद्रिक नीति (2nd Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी. इस बैठक में RBI ने नीतिगत रेपो दर को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया.

MPC की बैठक, जून 2023: मुख्य बिंदु

चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को पहले के 5.2 प्रतिशत से घटाकर 5.1 प्रतिशत किया गया.

आरबीआई ने बैंकों को रुपे (Rupay) प्रीपेड फॉरेक्स कार्ड जारी करने की अनुमति दी है. आरबीआई ने गैर-बैंक कंपनियों को ई-रुपया वाउचर जारी करने की मंजूरी दी है जिससे ई-रुपया के दायरे का विस्तार हो सके.

चालू वित्त वर्ष में आर्थिक (GDP) वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है. जिसमें Q1 (पहली तिमाही) में 8 प्रतिशत की वृद्धि, Q2 में 6.5 प्रतिशत, Q3 में 6 प्रतिशत और Q4 में 5.7 प्रतिशत की उम्मीद है.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

खरीफ विपणन वर्ष के लिए न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य की घोषणा

मंत्रिमंडल की आर्थिक कार्य समिति ने वर्ष 2022-23 के लिए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी का निर्णय लिया है. यह निर्णय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में 7 जून को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया.

मुख्य बिन्दु

  • फसल वर्ष 2023-24 के लिए सामान्य श्रेणी के धान का MSP 143 रुपये बढ़ाकर 2183 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जो पिछले वर्ष 2040 रुपये प्रति क्विंटल था.
  • ए-श्रेणी के धान का न्‍यूनतम समर्थन मूल्य 163 रुपये बढ़ाकर 2203 रुपये प्रति क्विंटल किया गया है जो पहले 2060 रुपये था.
  • मूंग के न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य में सबसे अधिक 10.4 प्रतिशत की वृद्धि की गई है. इसे पिछले वर्ष के 7755 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 8558 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.
  • 2022-23 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार देश में कुल खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड 33.50 करोड टन होने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.49 करोड टन अधिक है.

मुख्य खरीफ फसलें

धान (चावल), मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली, गन्ना, सोयाबीन, उडद, तुअर, कुल्थी, जूट, सन, कपास आदि. खरीफ की फसलें जून जुलाई में बोई जाती हैं और सितंबर-अक्टूबर में काट लिया जाता है.

MSP (Minimum Support Price) क्या है?

MSP (Minimum Support Price) यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत होती है, जिस पर सरकार किसानों से अनाज खरीदती है. इसे सरकारी भाव भी कहा जा सकता है.

सरकार हर साल फसलों की MSP तय करती है ताकि किसानों की उपज का वाजिब भाव मिल सके. इसके तहत सरकार फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया, नैफेड जैसी सरकारी एजेसिंयों की मदद से किसानों की फसलों को खरीदती है.

भारतीय रिजर्व बैंक ने दो हजार रुपये के नोट वापस लेने का निर्णय लिया

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने दो हजार रुपये के नोट वापस लेने का निर्णय लिया है. हालांकि दो हजार रुपये के नोट वैध मुद्रा के रूप में बने रहेंगे.

मुख्य बिन्दु

  • RBI ने कहा कि क्लीन नोट नीति के अनुसरण में उसने दो हजार रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को प्रचलन से वापस लेने का निर्णय लिया है.
  • परिचालन सुविधा सुनिश्चित करने और बैंक शाखाओं को नियमित गतिविधियों में व्यवधान से बचने के लिए दो हजार रुपये के नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में बदला जा सकता है.
  • RBI ने कहा कि इस प्रक्रिया को नियत समय में समाप्त करने के लिए और लोगों को पर्याप्त समय देने के लिए सभी बैंकों में दो हजार रुपये के नोट जमा करने या बदलने की सुविधा 30 सितम्बर 2023 तक उपलब्ध रहेगी.

IMF वार्षिक रिपोर्ट: भारत के, विश्व की सबसे तेज़ी से विकसित अर्थव्यवस्था का अनुमान

अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) ने हाल ही में वार्षिक रिपोर्ट जारी किया था. IMF ने भारत के, विश्व की सबसे तेज़ी से विकसित अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान व्यक्त किया है.

मुख्य बिन्दु

  • इस रिपोर्ट में विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था की आर्थ‍िक वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2023 में 2.8 प्रतिशत और 2024 में 3 प्रतिशत रहने का अनुमान व्‍यक्‍त किया है. यह जनवरी में घोषित पुर्वानुमानों की तुलना में दस आधार अंक कम है.
  • वित्‍तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत की सकल घरेलू उत्‍पाद वृद्धि दर बीस आधार अंकों की कमी के साथ 5.9 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है. यह रिजर्व बैंक के पूर्व घोषित 6.4 प्रतिशत अनुमान से कम है.
  • IMF ने वित्तीय वर्ष 2024 में भारत की खुदरा मुद्रा स्‍फीति 4.9 प्रतिशत और वित्‍तीय वर्ष 2025 में 4.4 प्रतिशत रहने की आशा व्‍यक्‍त की है.

RBI की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा: नया रेपो दर 6.50%, बैंक दर 6.75%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC) की बैठक 4-6 अप्रैल को मुंबई में हुई थी. बैठक की अध्यक्षता बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने की थी. यह चालू वित्त वर्ष (2023-24) की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति (Bi-Monthly Monetary Policy) समीक्षा बैठक थी.

MPC की बैठक, अप्रैल 2023: मुख्य बिंदु

  • इस बैठक में RBI ने प्रमुख नीतिगत दर रीपो 6.50 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा. इससे पहले, फ़रवरी में RBI ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की थी.
  • रेपो दर के साथ स्थायी जमा सुविधा (SDF) दर 6.25 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (MSF) दर तथा बैंक दर 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है.
  • RBI मुख्य रूप से मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इस साल मई 2022 से लेकर पांच बार में रेपो दर में 2.25 प्रतिशत की वृद्धि कर चुका है.
  • RBI ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 6.5 प्रतिशत कर दिया है.
  • चालू वित्त वर्ष के लिये मुद्रास्फीति अनुमान को 5.2 प्रतिशत रखा गया है. फरवरी की समीक्षा में इसके 5.3 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था.

मौद्रिक नीति समि‍ति (MPC): एक दृष्टि

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति में वर्तमान में 6 सदस्यों की समिति है. इसमें तीन सदस्य RBI से होते हैं और तीन अन्य स्वतंत्र सदस्य भारत सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं. समिति की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर करता है. इस समिति का गठन उर्जित पटेल कमिटी की सिफारिश के आधार किया गया था.

रेपो दर में परिवर्तन का प्रभाव

रिजर्व बैंक जिस रेट पर बैंकों को कर्ज (लोन) देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट के कम या अधिक होने का प्रभाव कर्ज पर पड़ता है. रेपो दर में वृद्धि से बैंकों को RBI से अधिक व्याज पर कर्ज मिलता है. यानी RBI के इस कदम से कर्ज महंगा होगा.

RBI बढ़ते मुद्रास्फीति (महंगाई दर) पर नियंत्रण के लिए नीतिगत रेपो दर में वृद्धि करता है, जबकि बाजार में मांग को बढाने के लिए रेपो दर में कमी करता है.

रेपो दर में वृद्धि से लोग अपने बचत को खर्च करने के बजाय बैंक में जमा करने को प्रोत्साहित होते हैं, जिससे  मांग घटेगी और महंगाई कम होगी.

वर्तमान दरें: एक दृष्टि

नीति रिपो दर6.50%
रिवर्स रेपो दर3.35%
सीमांत स्‍थायी सुविधा दर (MSF)6.75%
बैंक दर6.75%
नकद आरक्षित अनुपात (CRR)4.50%
वैधानिक तरलता अनुपात (SLR)18%

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI): एक दृष्टि

  • भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) भारत का केन्द्रीय बैंक है. यह भारत के सभी बैंकों का संचालक है.
  • RBI की स्थापना 1 अप्रैल 1935 को RBI ऐक्ट 1934 के अनुसार हुई. प्रारम्भ में इसका केन्द्रीय कार्यालय कोलकाता में था जो सन 1937 में मुम्बई आ गया.
  • पहले यह एक निजी बैंक था किन्तु सन 1949 से यह भारत सरकार का उपक्रम बन गया है.
  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत अनिवार्य रूप से मौद्रिक नीति के संचालन की जिम्मेदारी सौपीं गई है.

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

देश की नई विदेश व्यापार नीति की घोषणा, निर्यात को 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य

केंद्र सरकार ने 31 मार्च को नई विदेश व्यापार नीति (FTP) की घोषणा की. इसकी घोषणा वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने की. इसका उद्देश्य देश के निर्यात को 2030 तक 2,000 अरब डॉलर तक पहुंचाना, भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाना और ई-वाणिज्य निर्यात को बढ़ावा देना है.

मुख्य बिन्दु

  • FTP 2023 का रुख प्रोत्साहन के बजाए छूट और पात्रता आधारित व्यवस्था को अपनाना है. साथ ही निर्यातकों, राज्यों, जिलों तथा भारतीय दूतावासों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना, लेनदेन लागत घटाना एवं और निर्यात केंद्र विकसित करना है.
  • निर्यातकों को प्रोत्साहन देने के लिए FTP में उन निर्यातकों को राहत दी गई है जो अपने निर्यात बाध्यताओं को पूरा नहीं कर पाए. इसमें, अग्रिम प्राधिकरण और निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तु (ईपीसीजी) योजनाओं के तहत निर्यात बाध्यताओं में चूक को लेकर एकमुश्त निपटान के लिए आम माफी योजना शुरू की गई है.
  • नई विदेश व्यापार नीति का उद्देश्य ‘SCOMET’ (विशेष रसायन, जीव, सामग्री, उपकरण और प्रौद्योगिकियां) नीति के तहत दोहरे उपयोग वाले उत्पादों के निर्यात को व्यवस्थित करना है.
  • इसमें, ‘निर्यात केंद्र के रूप में जिले’ पहल के जरिए राज्यों और जिलों के साथ गतिविधियों को बढ़ाने पर जोर दिया गया है. इसके तहत हर जिले में उत्पादों और सेवाओं की पहचान करना, संस्थागत प्रणाली एवं जिला निर्यात कार्य योजना बनाना आदि शामिल है.
  • FTP 2023 से ई-वाणिज्य निर्यात को भी बढ़ावा मिलेगा और इसके 2030 तक बढ़कर 200-300 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है.
  • नई FTP में निर्यात उत्कृष्ट शहरों (TEE) में चार नए शहरों को शामिल किया गया है जिनमें फरीदाबाद, मुरादाबाद, मिर्जापुर और वाराणसी हैं. ये पहले से मौजूदा 39 निर्यात उत्कृष्ट शहरों के अलावा हैं.
  • भारत ऐसे देशों के साथ भारतीय मुद्रा में व्यापार करने को तैयार है जो डॉलर की कमी या मुद्रा की विफलता का सामना कर रहे हैं.
  • नई FTP 1 अप्रैल, 2023 से प्रभाव में आएगी. पिछली नीति पांच साल की अवधि के लिए 1 अप्रैल, 2015 से प्रभाव में आई थी, लेकिन कोरोना वायरस महामारी फैलने की वजह से इसका कई बार विस्तार दिया गया. अंतिम बार इसे सितंबर 2022 में 31 मार्च, 2023 तक के लिए बढ़ाया गया था.

वित्‍त वर्ष 2023-24 के लिए केन्द्रीय आम बजट का सार

वित्‍तमंत्री निर्मला सीतारामन ने 1 फरवरी को लोकसभा में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आम बजट (Union Budget) प्रस्तुत किया था. इस बजट के प्राथमिकताओं में- समावेशी विकास, बुनियादी ढाँचा और निवेश, युवा शक्ति, क्षमता को उजागर करना, हरित विकास, अंतिम मील तक पहुँच आदि शामिल हैं.

वित्‍त वर्ष 2023-24: एक दृष्टि
  • वित्त मंत्री सीतारमण ने अगले वित्त वर्ष के लिए 41.9 लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया था.
  • सरकार को सबसे अधिक कमाई उधार व अन्य देनदारियों से होगी. इसकी कुल कमाई में 34 फीसदी हिस्सेदारी होगी. अगले वित्त वर्ष में सरकार की पूरी कमाई का सबसे बड़ा हिस्सा ब्याज चुकाने में खर्च होगा.
  • पूंजीगत परिव्‍यय में 37.4 प्रतिशत की बढोतरी की घोषणा की गयी है. 2023-24 में केंद्र सरकार का प्रभावी पूंजीगत व्यय 10 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 3.3% है.
  • चालू वर्ष में संशोधित वित्‍तीय घाटा, GDP का 6.4 प्रतिशत है, जो कि बजट अनुमान के अनुरूप है. 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से निचले स्‍तर पर लाया जाएगा.
रुपया कहाँ से आया और कहाँ गया
सरकार की आमदनीसरकार का खर्च
  • ऋण से इतर पूंजी प्राप्तियां: 2%
  • कर से इतर राजस्व: 6%
  • वस्तु एवं सेवा कर (GST) : 17%
  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क: 7%
  • सीमा शुल्क: 4%
  • आय कर: 15%
  • निगम कर: 15%
  • उधार और अन्य देयताएं: 34%
  • ब्याज: 20%
  • रक्षा: 8%
  • सब्सिडी: 7%
  • वित्त आयोग और अन्य खर्च: 9%
  • करों और शुल्कों में राज्यों का हिस्सा: 18%
  • पेंशन: 4%
  • केन्द्रीय प्रायोजित योजनाएं: 9%
  • केन्द्रीय क्षेत्र की योजना: 17%
  • अन्य खर्च: 8%

 

मुख्य योजनाओं पर आवंटित राशि
योजनाFY24 में आवंटन
(करोड़ रुपये)
फार्मास्युटिकल उद्योग1250
जल जीवन मिशन70000
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय5943
प्रधानमंत्री आवास योजना79590
नॉर्थ ईस्ट स्पेशल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट स्कीम2491
मंत्रालयों को आवंटित राशि
मंत्रालयआवंटित राशि
(लाख करोड़ रुपये)
दूरसंचार1.23
रसायन व खाद1.78
कृषि व किसान कल्याण1.25
रेल2.41
होम अफेयर्स1.96
सड़क परिवहन व राजमार्ग2.7
उपभोक्ता मामले और खाद्य सार्वजनिक वितरण2.06
रक्षा5.94

आम बजट 2023-24: मुख्य बिन्दु

कृषि और हरित विकास

केंद्रीय बजट 2023-24 में, कृषि के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.

भारत सरकार कृषि त्वरक कोष (Agriculture Accelerator Fund) की स्थापना करेगी. यह कोष ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि स्टार्टअप की संख्या बढ़ाने के लिए स्थापित किया जाएगा.

भारत को मोटे अनाज के लिए एक वैश्विक हब बनाया जाएगा; क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा दिया जाएगा

भारत को प्रदूषण मुक्त बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ाने और हरित विकास को प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार ने FAME योजना के लिए 5,172 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए.

नई MISHTI (Mangrove Initiative for Shoreline Habitats and Tangible Incomes) योजना शुरू की गई है. यह समुद्र तट के किनारे मैंग्रोव वन की रक्षा करेगी. पश्चिम बंगाल में भारत के मैंग्रोव का 42.45% है.

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य बजट में 12.6 प्रतिशत की वृद्धि कर 89,155 करोड़ रुपये कर दिया गया है. देश में 157 नए नर्सिंग कॉलेज खोले जायेंगे. सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया जाएगा. फार्मास्युटिकल अनुसंधान को बढ़ाने के लिए नया कार्यक्रम शुरू किया जाएगा.

शिक्षा और कौशल

इस बार शिक्षा बजट में 8 प्रतिशत की वृद्धि कर 1.12 लाख करोड़ कर दिया गया है.

वित्तीय साक्षरता बढ़ाने के लिए भारत सरकार नेशनल डिजिटल लाइब्रेरी शुरू किया जाएगा. राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अनुसार भारत में साक्षरता दर 73% है. हालांकि, वित्तीय साक्षरता दर लगभग 24% है.

राष्ट्रीय डिजिटल पुस्तकालय का मुख्य उद्देश्य बच्चों में पढ़ने की आदत को प्रोत्साहित करना है. वित्तीय साक्षरता का अर्थ है – धन के सही ढंग से उपयोग को समझने की क्षमता.

लास्ट माइल तक पहुंचना

प्रधानमंत्री PVTG (Particularly Vulnerable Tribal Groups) विकास मिशन शुरू किया जाएगा. भारत श्री की स्थापना की जाएगी. SHRI का अर्थ Shared Repository of Inscription है.

बुनियादी ढांचा और निवेश

पूंजी निवेश को बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपये किया जाएगा. अवसंरचना निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों को 50 वर्षीय ब्याज मुक्त ऋण योजना जारी रखी जाएगी.

रेलवे को 2.5 लाख करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. UIDF – Urban Infrastructure Development Fund के माध्यम से टियर 2 और टियर 3 शहरों में शहरी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा दिया जाएगा.

भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय

भारत सरकार, राष्ट्रीय शासन नीति लांच करेगी. यह नीति एक भारतीय डेटा प्रबंधन कार्यालय (IDMO) बनाएगी. IDMO आईटी मंत्रालय के तहत काम करेगा. यह नीति राष्ट्रीय महत्व के डेटा की उपलब्धता में वृद्धि करेगी. इस नीति का मुख्य उद्देश्य डेटा को सुरक्षित बनाना और इसे देश में स्टार्टअप्स के लिए उपलब्ध कराना है.

महिला सम्मान बचत पत्र

महिला सम्मान बचत पत्र की घोषणा की गई. यह योजना महिलाओं और लड़कियों के लिए है. वे इस सर्टिफिकेट का इस्तेमाल कर दो लाख रुपए की डिपॉजिट सिक्योरिटी हासिल कर सकते हैं. इसके लिए ब्याज दर 7.5% है.

प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान

बजट में प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान की घोषणा की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में शिल्पकारों की स्थिति में सुधार कर भारत को आत्मनिर्भर बनाना है. यह योजना कारीगरों को वित्तीय, कौशल और प्रशिक्षण सहायता प्रदान करेगी.

आयकर स्लैब में बदलाव

बजट में आयकर स्लैब में बदलाव किया गया है. नए आयकर स्लैब इस प्रकार हैं: 0 से 3 लाख रुपये – 0%, 3 लाख से 6 लाख रुपये – 5%, 6 लाख से 9 लाख रुपये – 10%, 9 लाख रुपये से 12 लाख रुपये – 15%, 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये – 20%, 15 लाख रुपये से ऊपर – 30%.

केन्द्रीय वित्त मंत्री ने आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 प्रस्तुत किया

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने 31 जनवरी को आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) रिपोर्ट प्रस्तुत किया था. यह देश की वित्तीय स्थिति का विवरण देने वाली रिपोर्ट है जिसे केन्द्रीय बजट से पहले संसद में प्रस्तुत किया जाता है.

मुख्य बिन्द

  • 2024 में भारत की जीडीपी वृद्धि 6% से 6.8% के दायरे में रहेगी. अन्य विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय रुपये का प्रदर्शन बेहतर रहा.
  • अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल गैर-निष्पादित संपत्ति अनुपात घटकर 5 हो गया है. यह पिछले सात वर्षों में सबसे कम है.
  • वित्तीय वर्ष 2023 में केंद्र और राज्य सरकार का स्वास्थ्य व्यय, सकल घरेलू उत्पाद का 2.1% रहा. यह 2022 में 2.2% और 2021 में 1.6% था.
  • UNDP के बहु-आयामी गरीबी सूचकांक के अनुसार 2005 और 2019 के बीच 41.5 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आये.
  • 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन हासिल किया जाएगा. भारत 2025-26 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जायेगा.

चर्चा में: अदानी समूह पर हिंडनबर्ग वित्तीय शोध कंपनी की रिपोर्ट

अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग (Hindenburg) ने हाल ही में भारत की अदानी समूह पर एक शोध रिपोर्ट जारी की थी. इस रिपोर्ट के मुताबिक, यह ग्रुप स्टॉक मैनिपुलेशन में शामिल था.

रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

  • रिपोर्ट के अनुसार गौतम अदानी, उनके भाई और परिवार के अन्य सदस्यों ने टैक्स हेवन का इस्तेमाल किया और शेल कंपनियों की स्थापना की.
  • कंपनी ने धोखे से खुद को व्यापार में फलता-फूलता दिखाया. इससे कुछ ही महीनों में समूह के शेयर की कीमतों में 815% की वृद्धि हुई.
  • हिंडरबर्ग फाइनेंशियल रिसर्च एंटरप्राइजेज की ओर से जारी रिसर्च रिपोर्ट के बाद अदानी के निवेशकों को एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है.

इंदौर में वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित किया गया

मध्यप्रदेश के इंदौर में 11-12 जनवरी को वैश्विक निवेशक सम्मेलन (Global Investors Summit) का आयोजन किया गया था. सम्मेलन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअल माध्यम से किया था. सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिका प्रसाद संतोखी और गयाना के राष्ट्रपति मोहम्‍मद इरफान अली उद्घाटन सत्र में शामिल थे. इस सम्मेलन का विषय ‘मध्यप्रदेश भविष्य के लिए तैयार राज्य’ था.

वैश्विक निवेशक सम्मेलन: मुख्य बिन्दु

  • इस सम्मेलन का उद्देश्य राज्य की नीतियों को बढ़ावा देना, उद्योग अनुकूल नीतियां बनाने के लिए औद्योगिक संगठनों के साथ परामर्श कर निवेशक फ्रेंडली वातावरण बनाना, सहयोग के अवसर निर्यात क्षमता को बढ़ावा देना था.
  • इस सम्मेलन में 65 से अधिक देशों के प्रतिनिधि मंडल ने हिस्सा लिया. वहीं अंतर्राष्ट्रीय मंडप में 9 भागीदार देश और 14 अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संगठन अपने देशों के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करेंगे. देश के 500 से अधिक प्रमुख उद्योगपति भी इस सम्मेलन भी शामिल थे.
  • वैश्विक निवेशक सम्मेलन में प्रमुख रूप से भारत की 5 ट्रिलियन इकॉनामी में मध्यप्रदेश का योगदान, स्टार्ट-अप के लिये अनुकूल वातावरण, एयरो स्पेस और डिफेंस के क्षेत्र में मध्यप्रदेश में संभावनाएँ, भारत में मैन्युफैक्चरिंग को गति देने में मध्यप्रदेश का योगदान और शिक्षा और कौशल विकास पर मध्यप्रदेश में बेहतर निवेश की संभावना विषयों पर निवेशकों से विस्तार से बातचीत की गई.

विश्व बैंक रिपोर्ट: भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद

विश्व बैंक ने हाल ही में अपनी वार्षिक वैश्विक अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (World Bank Global Economy Report) 2023 जारी की थी. इस रिपोर्ट में विश्व के अर्थव्यवस्थाओं के विकास दर के अनुमान को जारी किया है.

विश्व बैंक अर्थव्यवस्था रिपोर्ट 2023: मुख्य बिन्दु

  • विश्व बैंक ने 2023 के लिए वैश्विक विकास दर के अनुमान को 3 प्रतिशत से घटाकर 1.7 प्रतिशत कर दिया है.
  • रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका इस वर्ष मंदी से बच सकता है. हालांकि उसकी विकास दर सिर्फ 0.5 फीसदी रहने का अनुमान है.
  • कोरोना महामारी और यक्रेन संघर्ष के कारण अमेरिका में सप्लाई चेन में व्यवधान पैदा हो सकता है. चीन की कमजोर अर्थव्यवस्था का यूरोप को खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
  • अमेरिका और यूरोप में बढ़ती व्याज दरों के चलते गरीब देशों से निवेश को आकर्षित करेगा, जिससे इन देशों में निवेश का संकट का पैदा हो सकता है.
  • विश्व की सात सबसे बडी उभरती अर्थव्‍यवस्‍थाओं और विकासशील देशों में भारत के सबसे तेजी से बढने वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनने की उम्‍मीद है.
  • वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था की निराशाजनक छवि के बीच भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था अगले वित्त वर्ष में 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है.

वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा वर्ष में मंदी के करीब

दुनिया की दिग्गज अर्थव्यवस्थाओं (अमेरिका, चीन और यूरोप) के विकास दर में गिरावट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था मौजूदा वर्ष में मंदी के करीब रहेगी. विश्व बैंक की ओर से की गई भविष्यवाणी अगर सच साबित होती है तो यह तीन देश में तीसरा मौका होगा, जब आर्थिक विकास सबसे कमजोर होगा. इससे पहले 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट, 2020 के कोरोना महामारी के चलते वैश्विक विकास दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी.